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चीतों को लेकर भारत और नामीबिया में घमासान 

भारत के जंगलों से लगभग खत्म हो चुके चीतों को एक बार फिर से देश में देखने का वन्यजीव प्रेमियों का सपना आने वाले कुछ समय में पूरा हो सकता है। 1952 में विलुप्त होने के बाद एक बार फिर चीता भारत की धरती पर दौड़ता नजर आ सकता है।

भारत में दशकों से गायब चीता प्रजाति को वापस लाने के लिए नामीबिया से आठ चीतों का आयात किया जा रहा है। हालांकि इसी बीच नामीबिया से बड़ा विवाद हो गया है। मालूम हो कि भारत भेजे जाने वाले सभी चीतों को क्वारंटाइन कर दिया गया है। इनमें से तीन चीते हैं जिन्हें भारत लेने से इंकार कर रहा है। भारत ने कहा कि यह चीता अब शिकार के लायक नहीं है। भारत का दावा है कि ये चीते बंदी नस्ल के हैं, यानी इन्हें कैद में पाला गया है।

भारत के इस दावे पर नामीबिया ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। नामीबिया ने इस दावे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि वे भारत द्वारा खारिज किए गए चीतों की जगह दूसरे पकड़कर नहीं देंगे। नामीबियाई सरकार के एक प्रवक्ता ने भारत के दावे को खारिज करते हुए कहा कि भारत द्वारा खारिज किए गए चीते बंदी नस्ल नहीं थे।

नामीबिया के पर्यावरण और वन मंत्रालय के प्रवक्ता रोमियो मुयुंडा ने कहा कि भारत के ‘प्रोजेक्ट चीता’ के लिए हमारी ओर से कोई चीता नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश में भी इनकी संख्या सीमित है।

नामीबिया मंत्रालय के प्रवक्ता ने क्या कहा?

भारत के दावे पर नामीबियाई मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम चीतों के बारे में भारत के दावे को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि चीता कोई ऐसा जानवर नहीं है जिसे कैद में रखा जा सके। उन्होंने कहा, जब चीते छोटे होते हैं शिकार करना सीख जाते हैं।

चुनकर भारत ने किया खारिज?

नामीबिया के पर्यावरण और वन मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने आगे कहा, “भारत ने जिन तीन चीता को खारिज कर दिया है, उनके बदले में हमारा दूसरा चीता देने का कोई इरादा नहीं है।” साथ ही प्रवक्ता ने तीनों चीतों की अस्वीकृति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने उन चीता का चयन किया था और बाद में उन्हें खारिज कर दिया ।

मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत ने इन चीतों को खारिज कर दिया है।  सरकार में होने के कारण, हम भारत भेजने के लिए चीतों के चयन में शामिल नहीं थे। चीतों के चयन में भारत सरकार और एनजीओ ‘चीता कंजर्वेशन फंड ऑफ नामीबिया’ शामिल थे।

नामीबिया से भारत भेजे जाने वाले चीतों को फिलहाल क्वारंटाइन में रखा गया है। जैसे ही क्वारंटाइन अवधि समाप्त हो जाएगी, उन्हें भारत के मध्य प्रदेश में कुनो वन्यजीव अभयारण्य में भेज दिया जाएगा। एक स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, भारत द्वारा खारिज किए गए चीतों को देखभाल के लिए नामीबिया के जंगलों में भेजा जाएगा। भारत नामीबिया से आए चीतों का खास ख्याल रख रहा है। भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि चीतों को भारत लाने की प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं है। मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने इस बारे में कहा कि भारत सरकार किसी तरह नवंबर के पहले सप्ताह तक चीतों   को भारत लाने की कोशिश कर रही है।

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