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यूक्रेन : तेंदुए और पैंथर के बिना वतन वापसी नहीं चाहते डॉ गिरी कुमार पटेल

एक तरफ रूस-यूक्रेन में भयंकर युद्ध जारी है तो वहीं दूसरी तरफ लोग भारी संख्या में यूक्रेन से पलायन कर दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं। वॉर के बीच भारतीय भी अपने पालतू कुत्तें- बिल्लियों के साथ अपने देश लौट पा रहे हैं लेकिन एक भारतीय डॉक्टर द्वारा अपने पालतू तेंदुए और एक ब्लैक पैंथर के साथ यूक्रेन में ही रहने का फैसला लिया गया है। आंध्र प्रदेश के मूल निवासी डॉक्टर गिरिकुमार पाटिल फिलहाल डोनबास में अपने घर में बने एक बंकर के अंदर रह रहे हैं।

डॉक्टर पाटिल का कहना है वो अपने पालतू जानवरों को किसी की दया के भरोसे छोड़कर नहीं आना चाहते। वह जहां छिपे हुए हैं वहां से लगातार सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते रहते हैं। वह कई वर्षों से यूक्रेन में हैं। वह भारतीय स्टूडेंट्स की यूक्रेन से निकलने में मदद कर रहे हैं लेकिन खुद भारत वापस नहीं आ रहे हैं।

यूक्रेन में फंसे डॉ पाटिल का कहना है जंग के मैदान में अपने बच्‍चों को किसी कीमत में अकेला नहीं छोड़ेंगे। उन्‍होंने कहा कि वे अपने ‘बच्चों’ के बिना वापस नहीं आएंगे। उन्‍होंने चीता और तेंदुए को पालतू जानवर के रूप में अपने पास रखा हुआ है। उन्‍होंने कहा , “मैंने (भारतीय) दूतावास में संपर्क किया, लेकिन उचित प्रतिक्रिया नहीं मिली। मेरी जगह रूसियों से घिरी हुई है, मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा हूं। मैं अपने पालतू जानवरों को अपने बच्चों की तरह मानता हूं। ऐसे में उन्‍हें छोड़ने का मतलब ही नहीं बनता।

कुमार का दावा है कि उनके पास जो जगुआर है वह दुनिया की सबसे दुर्लभ प्रजाति है और दुनिया में ऐसे केवल 21 हैं और कुमार के पास उनमें से एक है। इस प्रजाति को बाघों और शेरों जैसी बड़ी बिल्लियों के बीच खतरे वाली नस्लों में से एक माना जाता है। कुमार ने अपने पालतू नर जगुआर का नाम ‘यगवार’ रखा है।

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