दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव आए दिन देखने को मिलते हैं। लेकिन आने वाले दिनों में इसकी भयावहता और भी भीषण होने वाली है। शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के आधार पर कहा है कि आज जो बच्चे हैं, उन्हें वयस्कों की तुलना में ज्यादा प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ेगा। यह निष्कर्ष ‘साइंस’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है। आज की युवा पीढ़ी पर जंगल की आग, सूखा और बाढ़ का प्रभाव आज के वयस्कों की तुलना में दोगुने से भी अधिक होगा।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि आज के बच्चों में वयस्कों की तुलना में गंभीर मौसम की स्थिति से पीड़ित होने की संभावना अधिक है। अध्ययन के निष्कर्ष साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। 2021 में जन्म लेने वाले बच्चों को अपने जीवनकाल में अब वयस्कों की तुलना में दोगुनी पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। शोधकर्ताओं के निष्कर्ष इंटर-सेक्टोरल इम्पैक्ट मॉडल इंटरकंप्रेशन प्रोजेक्ट (ISIMIP) के डेटा पर आधारित है।
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ग्लासगो में आगामी विश्व जलवायु सम्मेलन COP26 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर चर्चा की जाएगी। आईएसआईएमआईपी समन्वयक काटजा फ्रीलर ने कहा कि यदि हम जीवाश्म ईंधन के उपयोग को रोककर तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर दें, तो हम अपने बच्चों के कंधों पर मौसम के प्रतिकूल प्रभावों का बोझ हल्का कर सकते हैं।” वह पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च में एक प्रमुख शोधकर्ता और अध्ययन की सह-लेखक हैं।