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Corona काल में मनोरोगी बने 13 से कम उम्र के बच्चे

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Corona काल में बीते कुछ वर्षों से खराब मानसिक स्वास्थ्य से गुजर रहे बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। अमेरिका के कई अस्पतालों से प्राप्त डाटा के अनुसार 13 साल से कम उम्र के संकटग्रस्त बच्चों के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। तो वहीं, पहले के मुकाबले किशोर आपातकालीन सेवाएं ज्यादा ले रहे हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार Corona महामारी से पूर्व भी स्कूली बच्चों में दुर्व्यवहार, भोजन विकार, नस्लवाद या खराब मानसिक स्वास्थ्य जैसे संकट देखने को मिलते थे। परन्तु Corona काल में परिवार में आई त्रासदी , दोस्तों से दूर घर पर पढ़ाई या फिर स्कूल लौटने की घबराहट के कारण वे कई अधिक तनावग्रस्त हो गए हैं।

बच्चो की संख्या हुई दोगुनी

कैलिफोर्निया के ऑरेंज काउंटी में बच्चों के अस्पताल के मुख्य मनोचिकित्सक हीथर सी हुस्ती का कहना है कि बच्चों के लिए इतना खराब दौर कभी नहीं देखा। उनका कहना है कि 2018 में जब यह अस्पताल खुला था, तब 12 साल से कम उम्र के महज 10 फीसदी बच्चे ही इस अस्पताल में आते थे, पर 2020 में यह संख्या करीब दोगुनी हो गई है।

24% बढ़े 5-11 साल के मनोरोगी

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सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन में प्रकाशित शोध के अनुसार अप्रैल से अक्तूबर 2020 के मध्य मानसिक स्वास्थ्य के आपात विभाग में आने वाले पांच से 11 साल के बच्चों की संख्या में 2019 के मुकाबले 24 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है।

इस मध्य सबसे ज्यादा लड़कियों के हालात बिगड़े हैं । 2019-20 में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी आपात सेवाओं के लिए आने वाली 18 साल से छोटी लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में काफी अधिक थी। 13 साल से छोटे अश्वेत बच्चों में आत्महत्या की दर श्वेत बच्चों के मुकाबले बीते एक दशक में बढ़कर दोगुनी हो गई है।

आधे बच्चों को नहीं मिला उपचार

-विशेषज्ञों के अनुसार कई मनोरोग यूनिटें 12 साल से कम के बच्चों को तो भर्ती ही नहीं कर रहीं है, क्योंकि छोटे बच्चों को बड़े बच्चों से ज्यादा निगरानी व देखभाल की जरूरत पड़ती है।

– जामा पीडियाट्रिक्स पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में पता लगा कि 2016 में मानसिक विकारों से पीड़ित 77 लाख अमेरिकी बच्चों में से आधे पेशेवर डॉक्टरों से इलाज ही नहीं करा पाए।

द अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकिएट्री की ओर से देश में बाल मनोचिकित्सकों की भारी कमी बताई गई है। कैलिफोर्निया में 18 साल से छोटे एक लाख बच्चों के लिए केवल 13 मनोचिकित्सक ही मौजूद हैं।

अन्य इलाजों की तुलना में बीमा कंपनियां मानसिक इलाज का उतना पैसा नहीं देतीं है। कम मुनाफे के कारण बच्चों के मानसिक रोगों पर इतना जोर नहीं है जितना होना चाहिए। हालांकि अब स्वास्थ्य संस्थान बच्चों के मानसिक रोगों पर अब काफी ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

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