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भाजपा का राष्ट्रपति शासन, शिवसेना का सुप्रीम कोर्ट 

महाराष्ट्र में भाजपा राष्ट्रपति शासन लगाने को उतावली है । इसका अंदाजा इसी बात से हो जाता है की राष्ट्रपति को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भेजी और पल भर में ही वह कैबिनेट द्वारा पास कर दी गई । जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस और एनसीपी में शिवसेना को समर्थन देकर सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है । फिलहाल शिवसेना राष्ट्रपति शासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गई है।
भाजपा पर आरोप है कि वह कांग्रेस शिवसेना और एनसीपी के सभी दावो को दरकिनार करते हुए आखिर अपनी मनमानी पर उतर आई है । क्योंकि वह चाहती भी यही है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो और फिर से चुनाव कराए जाए । भाजपा इस तरह देश के लोगों पर चुनाव पर चुनाव थोप कर आखिर इतना आर्थिक बोझ क्यों बढ़ा रही है ?

कैबिनेट ने महाराष्ट्र में आज राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी, जहां यह फैसला लिया गया। इसी बीच शिवसेना भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।

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कैबिनेट की बैठक ऐसे समय पर बुलाई गई थी, जब महाराष्ट्र में पिछले महीने विधानसभा के लिये हुए चुनाव के बाद अब तक कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना पाई है और इसके कारण प्रदेश में राजनीतिक संकट की स्थिति बन रही है। कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील रवाना हो गए।

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं जबकि राकांपा और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 और 44 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।

गौरतलब है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार गठन के लिए दावा पेश करने की खातिर शाम साढ़े सात बजे तक का समय दिया है। कोश्यारी ने रविवार को शिवसेना को सरकार गठन करने का दावा पेश करने के लिए अपनी इच्छा और सामर्थ्य का संकेत देने के लिए बुलाया था। उससे पहले 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा ने राज्य में सरकार गठन के लिए दावा पेश नहीं करने का फैसला किया था।

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