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भाजपा की अग्नि परीक्षा

देश में इन दिनों पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर सियासत चरम पर है। इन पांच राज्यों में चुनावी अभियान जोर पकड़ता जा रहा है। कई दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान भी कर दिया है। चुनाव प्रचार के बीच नेताओं का दलबदल अभियान भी जोरों पर है। सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर लगी हैं। जिन पांच राज्यों में चुनाव  हैं उनमें से चार राज्यों में भाजपा की सरकार है। इसलिए भाजपा के लिए यह चुनाव काफी मायने रखते हैं। भाजपा नेतृत्व इन चुनावों को बेहद गंभीरता से ले रहा है। पार्टी के सामने अपनी सत्ता बचाने की सबसे बड़ी चुनौती है। भाजपा इन राज्यों में एंटीइन्कम्बेंसी से जूझ रही है। इसलिए भी भाजपा के लिए ये चुनाव अहम हैं।

 

गौरतलब है कि जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गोवा और मणिपुर में भाजपा सत्तासीन है। भाजपा नेतृत्व ने जिन राज्यों में चेहरे को बदला है, उसे पार्टी की भावी रणनीति के मद्देनजर महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके जरिए पार्टी ने अपने सत्ता विरोधी माहौल को खत्म करने की कोशिश की है।

दरअसल, आमतौर पर चुनाव स्थानीय और तत्कालीन मुद्दों पर होते हैं। लेकिन इनके जरिए राजनीतिक दल जनता की नब्ज को भी टटोलती है। जिसे आगे के महत्वपूर्ण चुनावों में रणनीति बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए भी भाजपा सहित विपक्षी दलों के लिए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जनता राज्य सरकारों के कामकाज पर अपना फैसला देगी। यह भविष्य की राजनीतिक संकेत भी होंगे।

 

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पांच में से चार राज्यों पंजाब, उत्तराखण्ड, गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए लड़ाई लड़ रही है। वहीं उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पहले से बेहतर करने की उम्मीद पाले है। अभी पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। इसलिए यह चुनाव कांग्रेस के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। यदि कांग्रेस चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करती है तो पार्टी के अंदर हाईकमान के प्रति बढ़ती नाराजगी न केवल कम होगी, बल्कि विपक्षी दलों में भी पार्टी की साख बढ़ेगी। यदि वह एक से अधिक राज्यों में वापसी नहीं कर पाती है तो भविष्य में पार्टी की मुश्किलें और बढ़ेंगी। पंजाब और गोवा में आम आदमी पार्टी भी लंबे समय से तैयारियों में जुटी है। इस बार ‘आप’ उत्तराखण्ड में भी चुनावी मैदान में है। पंजाब पर उसकी उम्मीदें टिकी हैं। यदि उसे सफलता मिलती है तो वह पहली क्षेत्रीय पार्टी होगी जो दूसरे राज्य में भी सरकार बनाने में कामयाब होगी।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उत्तर प्रदेश का चुनाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। भाजपा ने पिछली बार प्रचंड बहुमत से विधानसभा चुनाव जीते थे। लेकिन इस बार उसके लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। पिछला चुनाव जहां उसके लिए एकतरफा जीत वाला साबित हुआ था। लेकिन इस बार का चुनाव उसके लिए टेढ़ी खीर होता जैसा नजर आ रहा है। मौजूदा राजनीतिक हालात में त्रिकोणीय या बहुकोणीय चुनाव भाजपा के लिए कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता था। लेकिन अभी तक की जो स्थिति है, उसमें समाजवादी पार्टी भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला होता दिख रहा है। उत्तराखण्ड में भी भाजपा को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है। राज्य में भाजपा ने तीन मुख्यमंत्री बदले हैं, लेकिन इसके बावजूद उसका मुकाबला कड़ा है। पंजाब में भाजपा अकालियों के साथ नहीं है। इस दफा कैप्टन अमरिंदर नए साथी बने हैं। इसलिए वहां मुकाबला कांग्रेस और आप के बीच होता दिख रहा है। गोवा में मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच रहता आया है। लेकिन इस बार ‘आप’ और तृणमूल कांग्रेस ने उसे रोचक बना दिया है। ऐसे में भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है।

गोवा विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक जो 34 प्रत्याशियों की सूची जारी की है उसमें गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर को टिकट नहीं मिला है। उत्पल पणजी से टिकट मांग रहे थे। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रत्याशियों के नामों का एलान किया। उन्होंने बताया कि पणजी से मौजूदा विधायक को ही टिकट दिया गया है। उत्पल पर्रिकर को दो आॅप्शन दिए गए थे। उनमें से एक उन्होंने पहले ही मना कर दिया। दूसरी सीट को लेकर चर्चा हो रही है। उम्मीद है कि वह मान जाएंगे। पर्रिकर परिवार हमारा परिवार है।
भाजपा के प्रत्याशियों की सूची में मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर का नाम न शामिल होने पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साध कहा है कि गोवा  वासियों को बहुत दुख होता है कि भाजपा ने पर्रिकर परिवार के साथ भी यूज एंड थ्रो की नीति अपनाई है। मैंने हमेशा मनोहर पर्रिकर जी का सम्मान किया है। मैं उत्पल जी का स्वागत करता हूं अगर आप आम आदमी पार्टी में शामिल होकर आप के टिकट पर चुनाव लड़ें।

मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार है। लेकिन कांग्रेस वहां भाजपा को चुनौती दे रही है। केंद्र में आने के बाद भाजपा ने
पूर्वोत्तर पर विशेष रूप से ध्यान दिया है। इसलिए मणिपुर में उसे अपनी मौजूदा स्थिति को बनाए रखना बेहद जरूरी है। लेकिन राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा विधानसभा चुनाव में इस बार अपने दम पर ताकत दिखाने को तैयार है। भाजपा ने 2017 में सहयोगी दलों और निर्दलियों की मदद से पहली बार सत्ता का स्वाद चखा था, लेकिन केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक और मणिपुर चुनाव के लिए भाजपा के प्रभारी अशोक सिंघल ने संकेत दिए हैं कि भाजपा इस बार अपने दम पर चुनाव लड़ने को तैयार है। हालांकि भौमिक और सिंघल दोनों ने चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया है। सिंघल के मुताबिक समान विचारधारा वाले दलों और सहयोगियों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए बातचीत हो रही है, लेकिन भाजपा अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल करेगी। उधर सरकार में सहयोगी मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी ने पहले ही अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। सरकार में एक अन्य सहयोगी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने भी अभी चुनाव पूर्व गठबंधन को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। मणिपुर में दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को मतदान होगा। मतगणना 10 मार्च को होगी।

 

चुनाव का पूरा कार्यक्रम

 

उत्तर प्रदेश में कुल सात चरणों में चुनाव होने हैं। जिसमें 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च, 2022 पर चुनाव होने हैं। मणिपुर में दो चरणों में से पहले चरण के मतदान  27 फरवरी और 3 मार्च दूसरे चरण के लिए चुनाव होने हैं। वहीं उत्तराखण्ड, गोवा और पंजाब में सिर्फ एक चरण में 14 फरवरी को चुनाव होने हैं, लेकिन पंजाब में मतदान की तारीख में बदलाव किया गया है जो अब 20 फरवरी कर दी गई है। इसलिए पंजाब में अब 20 फरवरी को मतदान होगा।सभी चुनावी राज्यों की  वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी।

 

किस राज्य में कितने सीटों पर होंगे चुनाव
उत्तर प्रदेश- 403 सीट
पंजाब – 117 सीट
उत्तराखंड 70 सीट
मणिपुर – 60 सीट
गोवा – 40 सीट

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