कांग्रेस के भीतर आतंरिक कलह के चलते पार्टी में टूट का सिलसिला जारी है। हाल ही में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद के बाद फिल्म अभिनेता से राजनेता बने शत्रुघ्न सिन्हा को लेकर खबरें आ रही थी कि आने वाले दिनों में वो भी त्रृणमूल कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। इस बीच अब कांग्रेस पार्टी को मणिपुर में बड़ा झटका लगा है।दरअसल ,कांग्रेस पार्टी में केंद्र से लेकर राज्यों तक नेतृत्व को लेकर भारी गुटबाजी चल रही है। जिन राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव होने हैं ,वहां स्थिति बेहद खराब होती जा रही है।

मणिपुर में कांग्रेस के प्रदेश कमिटी (एमपीसीसी) के अध्यक्ष गोविंददास
मणिपुर में कांग्रेस के प्रदेश कमिटी (एमपीसीसी) के अध्यक्ष गोविंददास कोंथौजम ने कल 19 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इतना ही नहीं पार्टी के आठ विधायकों ने भी पार्टी छोड़ने का निर्णय ले लिया है जो आज भाजपा में शामिल हो सकते हैं। मणिपुर में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा झटका है।
गोविंददास कोंथौजम कांग्रेस पार्टी से विष्णुपुर विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक चुने गए और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। पिछले साल दिसंबर में उन्हें मणिुपर कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते पिछले महीने भाजपा ने शारदा देवी को मणिपुर में पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया था। शारदा देवी ने एस टिकेंद्र सिंह की जगह ली, जिनकी मई में कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई।
लगभग दो महीने पहले हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को मिली करारी हार के बाद पार्टी पर पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाने का भी दबाव है। लेकिन राज्यों में कांग्रेस अंदरूनी झगड़ों को निपटाने में ही उलझी हुई है। हालांकि कहा जा रहा है कि पार्टी पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम नवजोत सिंह सिद्दू के बीच चल रही खीचतान को फिलहाल विराम लगा चुकी है, लेकिन कांग्रेस कर्नाटक में सिद्धरमैया बनाम डीके शिवकुमार और उत्तराखण्ड में विपक्ष के नेता के चुनाव और राजस्थान में अशोक गहलोत बनाम सचिन पयालट की लड़ाई को सुलझाने में व्यस्त है।
पार्टी का आंतरिक झगड़ा सिर्फ इन प्रदेशों तक सीमित नहीं है। असम, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड सहित कई दूसरे प्रदेशों में भी विवाद है। पश्चिम बंगाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी से प्रदेश कांग्रेस के कई नेता नाराज हैं। वह चौधरी को हटाकर नया अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं, पर नया अध्यक्ष कौन हो, इसको लेकर एक राय नहीं है। सभी अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि एक के बाद एक प्रदेश में शुरू हो रही अंदरूनी कलह की एक वजह पार्टी अध्यक्ष को लेकर अनिश्चितता है। पद की दावेदारी करने वाले सभी नेता और गुट पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं।
इससे पहले मणिपुर में वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 28 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई थी, लेकिन 21 सीटें जीतने वाली भाजपा ने सहयोगी दलों के समर्थन से राज्य में पहली बार अपनी सरकार बना डाली।
मणिपुर, गोवा,पंजाब और उत्तराखण्ड विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्तहो रहा है , वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल अगले साल मई तक चलेगा।