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ज़ेलेंस्की ने पुतिन पर लगाया ‘युद्ध अपराध’ का आरोप

यूक्रेन- रूस युद्ध पिछले दो हप्ते से चल रहे है। युद्ध की वजह से यूक्रेन के नागरिक आपने देश छोड़कर दूसरे देशो में शरण ले लगे है। संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी के मुताबिक,लगभग 20 लाख लोगो ने अब तक यूक्रेन छोड़ दी है। यूक्रेन छोड़ने की कई वजह है जिसमे से एक वजह स्वास्थ सुविधाए भी है। यहाँ लगातार रूस द्वारा अस्पतालो पर हमला किया जा रहा है।

इसी तरह रूस ने यूक्रेन के मारियुपोल शहर के एक मैटरनिटी अस्पताल पर हवाई हमला किया। जिससे नाराज़  होकर यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने इसे ‘युद्ध अपराध ‘ बताया है। इस हमले की दुनिया भर में निंदा किया जा रहा है। राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने एक वीडियो संदेश में रूस के हमले को लेकर कहा है, ‘रूस कैसा देश है, जो अस्पतालों और मैटरनिटी अस्पतालों से डरता है और उन्हें बर्बाद कर रहा है?’ क्या यूक्रेन के अस्पताल में किसी ने रूसी सैनिको से दुर्व्यवहार किया था? रूसी घुसपैठिए जो कुछ भी मारियुपोल में कर रहे हैं, वो अत्याचार की भी हदें पार कर चुका है। यूक्रेनियों नरसंहार किया जा रहा है।

रुसी हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अपील की है। जिसमे उन्होंने कहा की खून-खराबा बंदकरना चाहिए। मारियुपोल के अस्पताल में हुए हमला को लेकर उन्होंने कहा है यह हमला भयावह है। यूक्रेनी नागरिकों को इस युद्ध की सबसे भारी कीमत चुकानी पड़ रही है, जिससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। इस  हिंसा को तुरंत बंद कर देनी चाहिए।

गौरतलब है कि,युद्ध अपराध के तहत आम नागरिकों और उनके लिए ज़रूरी बुनियादी ढांचे को जान बूझकर निशाना नहीं बनाया जा सकता है। युद्ध के दौरान कई तबाही मचने वाले हथियारों पर प्रतिबंध लगया जाता है। जैसे रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान एंटी-पर्सनल लैंडमाइन्स और केमिकल या जैविक हथियार पर प्रतिबंध  लगाया गया है।
युद्ध अपराध क़ानून युद्ध में प्रताड़ना और नरसंहार से रोकते हैं। युद्ध के दौरान हत्या, रेप या नरसंहार को ‘मानवता के विरुद्ध अपराध कहा जाता है।

पुतिन पर किस तरह के आरोप लगया गया है? यूक्रेन के मुताबिक, रूस द्वारा मारियुपोल में गर्भवती महिलाओं और बच्चों के अस्पताल पर किया गया हमला युद्ध अपराध है। यहाँ कई लोगो की मौत हो गई है और कई लोग घायल है।

युद्ध अपराध की सुनवाई कैसे होती है?

रोम अधिनियम 1998 के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की स्थापना वर्ष 1998 में नीदरलैंड्स के हेग में हुई थी। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नुकसान पहुंचाने के सबसे गंभीर अपराधों के अभियुक्तों पर मुक़दमा चलाने वाली और सुनवाई करने वाली एक स्वतंत्र संस्था है।यह युद्ध अपराधों, नरसंहार, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और आक्रामकता के अपराध की जांच करता है।कोई भी देश इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में संदिग्ध अभियुक्तों पर मुक़दमा चला सकती है।आईसीसी केवल उस क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर सकता है जहां कोई देश ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हैं या नहीं कर सकते हैं। यह ‘न्याय के लिए अंतिम उपाय की व्यवस्था’ है। लेकिन इस कोर्ट के पास अपना पुलिस बल नहीं है और अभियुक्तों की गिरफ़्तारी के लिए वह संबंधित देश के सहयोग पर निर्भर रहता है।

गौरतलब है कि, अभी इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के 123 सदस्य देश हैं, रूस और यूक्रेन इसके सदस्य नहीं हैं। लेकिन यूक्रेन ने अदालत के न्याय क्षेत्र को स्वीकार किया है, यानी अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यूक्रेन में कुछ निश्चित कथित अपराधों की जांच कर सकती है।

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