महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार अशुभ संकेत हैं। आज महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता की बुलंदियां छू रही हैं। चांद तक अपनी काबलियत का परचम लहरा चुकी हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सैंकड़ों कड़े कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन ये कानून सरकारी फाइलों की धूल चाटती रह जाती हैं। इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए स्पेन की महिलाओं ने एक लंबी लड़ाई के बाद जीत हासिल की है। इस जीत के साथ ही स्पेन दुनिया का पहला ऐसा देश बना है जिसने महिलाओं की रजामंदी को महत्वपूर्ण बताते हुए ‘यस मीन्स यस, नो मीन्स नो’ का समर्थन कर इस कानून को ‘कंप्रीहेंसिव गारंटी ऑफ सेक्सुअल फ्रीडम लॉ’ नाम से पारित कर दिया है
दुनिया भर में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार अशुभ संकेत हैं। आज महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता की बुलंदियां छू रही हैं। चांद तक अपनी काबलियत का परचम लहरा रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सैंकड़ों कड़े कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन ये कानून सरकारी फाइलों की धूल चाटती रह जाती हैं। अगर ये कानून सही तरीके से लागू किए होते तो इन मामलों में इजाफा नहीं होता। महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं, चाहे घर हो दफ्तर हो, बस, सड़क, गली या चौराहा हो महिलाएं हर जगह असुरक्षित ही महसूस कर रही हैं। कहीं यौन शोषण और बलात्कार को लेकर सख्त कानून हैं, तो कहीं मुजरिमों को सजा दिलाने के लिए मुजरिम साबित करने में दशकों का इंतजार करना पड़ता है। यह मुद्दा इतना अधिक बढ़ गया है कि इससे निजात पाने के लिए सरकारों को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए स्पेन की
महिलाओं ने एक लंबी लड़ाई के बाद जीत हासिल की है। इस जीत के साथ ही स्पेन दुनिया का पहला ऐसा देश बना है जिसने महिलाओं की रजामंदी को महत्वपूर्ण बताते हुए यस मीन्स यस, नो मीन्स नो को समर्थन किया है।
स्पेन में इस कानून को ‘कंप्रीहेंसिव गारंटी ऑफ सेक्सुअल फ्रीडम लॉ’ नाम से पारित किया गया है। जिसे एक ओर भारी समर्थन मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ इस कानून का विरोध भी किया जा रहा है। स्पेन में लागू किए गए कानून को ‘कंप्रिहेंसिव गारंटी ऑफ सेक्सुअल फ्रीडम लॉ’ या सेक्स की आजादी कानून कहा जा रहा है। एक साल की लड़ाई के बाद अब जाकर स्पेन की संसद ने इस कानून को मंजूरी दी है। इस कानून का 205 सांसदों ने समर्थन और 141 ने विरोध किया है। कानून विदों का कहना है कि इस कानून पर स्पेन के राजा के हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून आधिकारिक गजट में प्रकाशित हो जाएगा और फिर कुछ दिनों के भीतर ही इसे प्रभावी कर दिया जाएगा। इस कानून को लेकर स्पेन में सरकार चला रहे वामपंथी गठबंधन का कहना है कि यह दुनिया में महिलाओं के अधिकारों के लिए सबसे मजबूत कानूनों में से एक होगा। हालांकि इसके आलोचकों का कहना है कि यह कानून की नजर में बराबरी और अपराध साबित न होने तक कानून की नजर में निर्दोष होने की धारणा का उल्लंघन करता है। जिस कारण इसका दुरुपयोग किए जाने की आशंका भी जताई जा रही है।
क्यों पड़ी इस कानून की जरूरत
इस कानून को पारित करने की आवश्यकता स्पेन में हुए एक बहुचर्चित कथित गैंगरेप मामले से हुई। ला मनाडा नाम से चर्चित इस मामले में 2016 में पांच लोगों के समूह ने एक 18 साल की लड़की से गैंगरेप किया था। ला मनाडा (समूह) एक व्हाट्सएप ग्रुप का नाम है। इस समूह में शामिल पांच पुरुषों ने साल 2016 के पैम्पोलिना में हुए सैन फर्मिन फेस्टिवल (यानी 8 दिन तक चलने वाले पारंपरिक फेस्टिवल में लोगों के पीछे सांडों को दौड़ाया जाता है।) इस फेस्टिवल के दौरान एक लड़की का गैंगरेप किया गया था। स्पेन की अदालत ने इस मामले में अभियुक्तों को यौन उत्पीड़न का तो दोषी पाया, लेकिन यौन हिंसा और आक्रामकता का दोषी नहीं पाया था। इस वजह से अभियुक्तों को नौ साल की सजा हुई और अंतिम फैसला आने तक वह जमानत पर रिहा हो गए, बाद में स्पेन के सुप्रीम कोर्ट ने सजा को नौ साल से बढ़ाकर 15 साल कर दिया था। इस मामले के बाद स्पेन में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को लेकर काफी प्रदर्शन होने लगे।
प्रदर्शनकारियों ने सख्त कानून बनाने और अपराधियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान करने की मांग की थी। इन प्रदर्शनों के बाद स्पेन की सरकार ने नया कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस नए कानून के तहत यौन हिंसा से जुड़े कानूनों में अहम बदलाव किए गए और पीड़ित महिलाओं की बेहतर देखभाल का प्रावधान भी किया गया है।
ओनली यस मीन्स यस
‘ओनली यस मीन्स यस’ इस कानून का सबसे अहम और सबसे विवादित हिस्सा है। इसका मतलब है कि हर बार सेक्स करने से पहले मंजूरी लेनी आवश्यक है। सेक्स के लिए मंजूरी को तभी माना जाएगा जब स्वतंत्र रूप से इसे अभिव्यक्त किया गया हो, मामले की परिस्थितियों को देखते हुए, व्यक्ति की मंजूरी स्पष्ट हो रही हो। इसके अंतर्गत किसी भी परिस्थिति के कारण हां करना भी मंजूरी नहीं माना जाएगा। यदि महिला आपके पति होने या प्रेमी होने के प्रभाव में आकर मंजूरी देती है लेकिन यह उसका स्वतंत्र निर्णय नहीं तो वह भी ‘ना’ ही माना जाएगा। इतना ही नहीं इस कानून के अंतर्गत महिला को अश्लीलता से भरी नजरों से देखना भी यौन शोषण की श्रेणी में माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि यौनशोषण के लिए छूने, जबरदस्ती करने और बल का इस्तेमाल करने से ही नहीं बल्कि अश्लीलता भरी नजरे जिसके कारण महिला असहज महसूस करे, अपराध माना जाएगा। यदि शराब या अन्य पदार्थ के नशे के कारण भी पीड़ित यौन शोषण का विरोध न कर पाई हो तब भी वह यौनशोषण और बलात्कार माना जाएगा।
यौन उत्पीड़न और यौन हिंसा के बीच भेद
यह कानून यौन उत्पीड़न और यौन हिंसा के बीच भेद को खत्म करता है। यानी किसी की मंजूरी के बिना सेक्स को यौन हमला ही माना जाएगा और इसके तहत एक से चार साल तक की सजा होगी। इस नए कानून में शराब या ड्रग्स की वजह से पैदा हुई परिस्थितियों को भी शामिल किया गया है। अब तक ड्रग्स देकर पीड़ित को बेहोश करने या उसकी इच्छा के विरुद्ध काम करने को उत्पीड़न माना जाता था। अब नए कानून के बाद इसे यौन आक्रामकता माना जाएगा। कानून के एक हिस्से में यौन हिंसा की वजह से कत्ल को भी परिभाषित किया गया है। यौन हिंसा के दौरान महिलाओं की हत्या को बाकी परिस्थितियों में हुई हत्या से अलग माना जाएगा। यौन हिंसा की वजह से महिला की हत्या को यौन हिंसा से जुड़ा मानवाधिकार का सबसे गंभीर उल्लंघन माना जाएगा। इससे कठोरता से निपटा जाएगा। ‘सड़क पर छेड़-छाड़ को भी अब अपराध माना जाएगा और पीड़ित की मांग पर मुकदमे चला सजा दी जा सकेगी। छेड़खानी के मामले में अभियुक्तों को 5 से 30 दिन तक नजरबंद किया जा सकता है या सामुदायिक कार्य की सजा दी जा सकती है।
इस कानून में डिजिटल यौन हिंसा को भी परिभाषित किया गया है और इसके लिए सजा का प्रावधान भी किया गया है। नेटवर्क या पोर्न के जरिए यौन शोषण इसके तहत परिभाषित किया गया है। इस कानून के एक सेक्शन के तहत अश्लील विज्ञापन भी प्रतिबंधित किए गए हैं। ऐसे अब उन विज्ञापनों पर रोक होगी जो महिलाओं को कमतर दिखाते हैं या उनकी अपमानजनक छवि पेश करते हैं या महिलाओं के प्रति आक्रामक माना जा सकने वाला रूढ़िवादी नजरिया पेश करते हैं। इस प्रावधान के तहत वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों पर भी रोक लगाई गई है। ऐसे विज्ञापनों पर भी रोक लगाई जा सकती है जिन्हें नस्लवादी, समलैंगिक विरोधी या भेदभावपूर्ण माना जा सकता है। न्यूनतम वेतन (प्रतिवर्ष 14 हजार यूरो) से कम कमाने वाली यौन हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए वित्तीय मदद और सरकारी आवास योजनाओं के तहत प्राथमिकता देने का भी प्रावधान किया गया है।
इस कानून के तहत चौबीसों घंटे सहायता देने वाले कम से कम 50 संकट केंद्र स्थापित करने का भी प्रावधान किया गया है। यहां यौन हिंसा पीड़ित महिलाएं या उनके परिजन मनोवैज्ञानिक, कानूनी या सामाजिक सहायता प्राप्त कर सकेंगे। अभी इस तरह के दो केंद्र देश में हैं जिनमें एक राजधानी मेड्रिड और दूसरा ऑस्ट्रियाज में है। स्पेन ने इस प्रोजेक्ट के लिए 6.6 करोड़ यूरो का बजट जारी कर दिया है। नए कानून के बाद देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में हर स्तर पर सेक्स एजुकेशन अनिवार्य होगी। इसके अलावा अध्यापन, स्वास्थ्य और न्याय से जुड़े यूनिवर्सिटी कोर्स में भी इसे पढ़ना अनिवार्य होगा। यही नहीं यौन हिंसा के मुजरिम के लिए भी सेक्स एजुकेशन हासिल करना अनिवार्य होगा।
क्यों हो रही कानून की आलोचना
एक साल पहले इस कानून को बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी और तब से ही कट्टरवादी समूहों, समाज के एक वर्ग और कुछ जज इसकी आलोचना कर रहे हैं। सोशल मीडिया नेटवर्कों पर भी इस पर बहस जारी है। जनरल काउंसिल ऑफ द
ज्यूडिशियरी (सीजीपीजे) से जुड़े 21 मजिस्ट्रेट ने 2021 में इस कानून पर सवाल उठाने वाली एक रिपोर्ट को सर्वसम्मति से मंजूर किया था। सीजीपीजे, स्पेन में न्याय व्यवस्था को नियमित करने वाला संस्थान है। जजों की राय है कि दोषी साबित होने से पहले कानून की नजर में निर्दोष मानने की धारणा इस कानून के बाद खतरे में पड़ जाएगी। इस कानून में इनकार के लिए ‘हां’ को परिभाषित किया गया है लेकिन रजामंदी देने के लिए ‘हां’ को ठीक ढंग से परिभाषित नहीं किया गया है। इससे यह साबित करने का बोझ अभियुक्त पर होगा कि पीड़िता ने सेक्स करने से पहले हां किस तरह कहा था। मुख्य विपक्षी पार्टी पॉपुलर ने भी यही चिंताएं जाहिर की हैं। स्पेन की संसद में भी पॉपुलर पार्टी ने इस कानून के खिलाफ मतदान किया था। वहीं दक्षिणपंथी दल, वॉक्स पार्टी का कहना है कि इस कानून के बाद झूठे मुकदमे दायर होने लगेंगे। जिससे देश के पुरुष खतरे में आ जाएंगे।