नेशनल पीपुल्स पार्टी की 14वीं बैठक में इस बात की पुष्टि हो गई है कि शी जिनपिंग तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बनेंगे। इसके बाद अब शी जिनपिंग की ताकत बढ़ गई है। शुक्रवार यानी आज से वे तीसरी बार अध्यक्ष पद संभालेंगे। माओ त्से तुंग के बाद पहली बार शी जिनपिंग को लंबे समय तक चीन के राष्ट्रपति पद पर रहने का सम्मान दिया गया है। शी जिनपिंग चीनी सरकार और अर्थव्यवस्था दोनों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
चीनी सांसदों की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने यह बैठक 5 मार्च को शुरू की थी। यह मुलाकात एक हफ्ते तक चलती रही। इस बैठक में 69 वर्षीय शी जिनपिंग को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी जीरो कोविड पॉलिसी पर भी कुछ सवाल उठे थे। लेकिन इन तमाम मुलाकातों के बाद शी जिनपिंग का नाम तय हुआ।
चीन के राष्ट्रपति को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में चुना जाता है। अक्टूबर के मध्य में कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति द्वारा देश भर में जनप्रतिनिधियों की नियुक्ति की जाती है। बताया जाता है कि इस साल करीब 3 हजार प्रतिनिधि नियुक्त किए गए हैं। इन प्रतिनिधियों की बैठक होती है। केंद्रीय समिति में 200 सदस्य होते हैं। केंद्रीय समिति पोलित ब्यूरो के 25 सदस्यों की नियुक्ति करती है और सात सदस्यीय स्थायी समिति से एक व्यक्ति को अध्यक्ष के रूप में चुनती है।
चीन में एकदलीय व्यवस्था है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी, जिसका अर्थ है चीन की कम्युनिस्ट पार्टी, चीन की एकमात्र सत्तारूढ़ पार्टी है। शी जिनपिंग दो बार राष्ट्रपति चुने गए। अब शी जिनपिंग एक बार फिर राष्ट्रपति पद पर काबिज हैं।
कैसा रहा माओ का करियर?
माओ त्से तुंग एक चीनी क्रांतिकारी, राजनीतिक विश्लेषक और कम्युनिस्ट नेता थे। उसने चीन में क्रांति ला दी। 1949 में उन्होंने चीन गणराज्य की स्थापना की। माओत्से तुंग 1949 से 1976 तक यानी चीन गणराज्य की स्थापना से लेकर अपनी मृत्यु तक चीन के राष्ट्रपति रहे। माओ को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता था जो मार्क्स और लेनिन के विचारों को सैन्य रणनीति से जोड़ता था। साथ ही उनके सिद्धांतों को माओवाद कहा जाता है। उनके बाद शी जिनपिंग सबसे लंबे समय यानी 15 साल तक राष्ट्रपति रहेंगे।