भले ही पूरी दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए प्रयास होते रहते हो। लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि हर देश खुद को सुरक्षित रखने के लिए हथियारों के निर्माण और उनकी खरीद पर काफी खर्च करता है।
गौरतलब है कि लगभग दो साल से भी अधिक समय से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। इस महामारी ने कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को अपंग कर दिया है फिर भी हथियारों की दौड़ अब तक जारी है। वहीं दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन युद्ध ने भी बड़े पैमाने पर रक्षा खर्च को बढ़ावा दिया है। हालांकि इससे पहले भी दुनिया के कई देश अपने रक्षा खर्च पर अरबों -खरबों रुपये निवेश करते रहे हैं। लेकिन अब विश्व के मौजूदा हालातों ने दुनिया के कई देशों की चिंता को इतना बढ़ा दिया है कि आने वाले वर्षों में रक्षा पर होने वाला खर्च और बढ़ने की पूरी संभावना जताई जा रही है। स्टॉकहोम में इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि मौजूदा समय में दुनियाभर का रक्षा बजट 21.13 खरब डॉलर तक पहुंच गया है। ये पहली बार है कि दुनिया में रक्षा क्षेत्र का खर्च लगभग 21.13 खरब डॉलर हो गया है।
कोरोना काल में भी बढ़ा रक्षा खर्च : सिप्री
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) के मुताबिक इस बार रक्षा बजट के सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं। सिप्री के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष दुनिया के रक्षा बजट में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और अब यह 21.13 खरब डालर हो गया है। सिप्री के आंकड़ों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि कोरोना महामारी के दौरान रक्षा खर्च में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है।
अमेरिका के रक्षा खर्च में गिरावट
सिप्री की रिपोर्ट के अनुसार पहले की तुलना में अमेरिका के रक्षा खर्च में गिरावट देखी गई है। अमेरिका ने अब तक 801 अरब डॉलर खर्च किए जो उसके कुल जीडीपी का 3.6 फीसदी है। यह पहले 3.7 प्रतिशत था। अमेरिका ने मिलिट्री रिसर्च एंड डेवलेपमेंट पर खर्च को 24 फीसदी बढ़ाया है जबकि हथियारों की खरीद पर खर्च को 6.4 फीसदी कम किया है। बावजूद इसके सिप्री का अनुमान है कि अमेरिका अब भी अपनी अगली पीढ़ी के लिए तकनीकों के विकास की ओर अग्रसर है।
रूस ने रक्षा बजट बढ़ाया
वहीं यदि रूस की बात करें तो उसका रक्षा बजट बढ़ा है। रूस ने इस मद में लगातार तीन वर्षों से तेजी दिखाई है और अपना सैन्य खर्च 2.9 फीसदी बढ़ाया है। रूस अपनी जीडीपी का 4.1 प्रतिशत रक्षा पर खर्च कर रहा है। सिप्री के मुताबिक खर्च में इस वृद्धि को रूसी तेल की कीमतें बढ़ने से भी मदद मिली और यह तब हुआ जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। इसके अलावा यूक्रेन की बात करें तो रूस के उलट उसके रक्षा बजट में कमी देखी गई है। यूक्रेन ने इस दौरान रक्षा बजट पर अपने जीडीपी का 3.2 प्रतिशत खर्च किया है।
एशिया में हथियारों की बढ़ी होड़
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का रक्षा बजट दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट है। यह 76.6 अरब डॉलर यानी 58 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर रहा है, जो 2020 से 0.9 फीसदी ज्यादा है। 2012 से भारत के रक्षा बजट में 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भारत में घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने पर काफी जोर है। कुल बजट का 64 प्रतिशत घरेलू उद्योगों द्वारा बनाए गए हथियार खरीदने पर खर्च किया गया।
एशिया में चीन का रक्षा बजट 4.7 प्रतिशत बढ़कर 293 अरब डॉलर हो गया, जो लगातार 27 वीं वार्षिक वृद्धि है। चीन के प्रतिस्पर्धी देश भी अपना रक्षा बजट लगातार बढ़ा रहे हैं। जापान का रक्षा बजट 7.3 प्रतिशत बढ़कर 54.1 अरब डॉलर हो गया, जो 1972 के बाद सबसे बड़ी वृद्धि है। ऑस्ट्रेलिया का रक्षा बजट भी 4 प्रतिशत बढ़कर 31.8 अरब डॉलर हो गया है।
हथियारों की खरीद में भारत और सऊदी आगे
सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार भारत और सऊदी अरब खरीदते हैं। उन्होंने 2016 से 2020 के बीच बेचे गए कुल हथियारों का 11-11 फीसदी हिस्सा खरीदा है। हालांकि, 2012-16 की तुलना में भारत के आयात में 21 फीसदी की कमी आई है।
जिन पांच देशों ने सैन्य मद में सबसे ज्यादा खर्च किया, वे अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और रूस हैं। हालांकि कुछ देशों में इस दौरान रक्षा बजट पहले के मुकाबले कुछ कम भी हुआ है। इसकी वजह महामारी रही है। जहां के रक्षा बजट में कमी आई है वहां पर महामारी की रोकथाम के लिए विकास पर अधिक निवेश किया गया है। इसकी वजह से कुछ देशों के रक्षा बजट में कुछ कमी आई है।