हिजबुल्लाह-इजरायल तथा इजराइल और लेबनान के बीच चल रहे युद्ध के कारण हालात दिनों-दिन विस्फोटक होते जा रहे हैं। विश्व युद्ध के आशंका से दुनिया डर के माहौल में है। लेकिन हिजबुल्लाह और इजरायल झुकने को तैयार नहीं हैं। इजरायल के हमलों से गाजा और लेबनान के आम नागरिकों में खौफ बना हुआ है। आए दिन लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लेबनान में इजरायली हमलों से बचने के लिए लाखों लोग विस्थापित हो रहे हैं
पश्चिम एशिया में जारी दो बड़े संघर्षों से पूरी दुनिया चिंता में आ गई है। यहूदी राष्ट्र इजरायल द्वारा किए जा रहे हमलों की गति लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में अंदेशा है कि मध्यपूर्वी मुल्कों में चल रही लड़ाई नियंत्रण से बाहर हो जाएगी और आगे चल कर ईरान अमेरिका समेत कई राष्ट्र इस युद्ध में शामिल हो तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ सकते हैं। गाजा में इजरायल और हमास के बीच जारी जंग को लगभग एक साल का समय हो गया है। इजरायल के 76 साल के इतिहास में यह समय उसके लिए सबसे जटिल माना जा रहा है। हमास के बाद इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हूती के खिलाफ जंग शुरू कर दी है। आधुनिक हथियारों से लैस इजरायल लगातार हवाई हमले करके लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों को तबाह कर रहा है। हाल के दो हफ्तों के इजरायली हमलों में लेबनान में एक हजार तीस लोग मारे गए हैं। वहीं लेबनान के प्रट्टाानमंत्री नजीब मिकाती ने जल्द ही यह संख्या बढ़कर 10 लाख होने की आशंका जताई है। इजरायल और हिजबुल्लाह दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर हमले कर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं। विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि दोनों पक्षों के बीच अगर शांति नहीं स्थापित हुई तो अन्य देश भी इस संघर्ष में उलझ सकते हैं और यह संकट पूरे मध्य पूर्व को अपनी चपेट में ले सकता है।
हिजबुल्लाह के साथ संघर्ष में भी इजरायल वही भाषा बोल रहा है जो हमास के साथ लड़ाई में बोलता रहा है। इस बार भी उसका कहना है कि हिजबुल्लाह के खात्मे तक उसकी कार्रवाई जारी रहेगी। हालांकि गाजा में साल भर से चल रहे मिलिट्री ऑपरेशन के बाद भी इजरायल अब तक हमास का खात्मा नहीं कर पाया है। लेबनान की राजधानी बेरूत में इजरायल द्वारा सबसे ज्यादा हमले किए गए हैं। दोनों देशों के बीच चल रहा यह तनाव अपने चरम पर है। लेबनान में हाल के दो हफ्तों में इजरायल द्वारा किए गए हमलों में हिजबुल्ला के नेता और कमांडर भी मारे गए हैं। इजरायल ने लेबनान पर लगातार तीन दिन 27, 28, 29 सितम्बर को हवाई हमले किए, जो कि टार्गेटेड हमले थे। इजरायली सेना के अनुसार केवल एक हफ्ते के अंदर इजरायल ने हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह, केंद्रीय परिषद का उप प्रमुख नबील कौक, एक टॉप कमांडर अली कराकी समेत सात कमांडरों को मार गिराया। टारगेट किए गए हमले में इन कमांडरों के अलावा 20 आतंकवादी भी मारे गए। जिनमें नसरल्लाह के दो करीबी सहयोगी भी शामिल हैं। इजरायल द्वारा सिर्फ 29 सितंबर को किए गए हमले में 45 लड़ाकों समेत 14 स्वास्थ्यकर्मी मारे गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इजरायली सेना ने दक्षिणी लेबनान में सीमित ग्राउंड ऑपरेशन शुरू कर दिया है। इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) का कहना है कि अभियान सटीक खुफिया जानकारी के आट्टाार पर चलाया जा रहा है, जिसका मकसद हिजबुल्लाह की जनरल स्टाफ और उत्तरी कमांड की ओर से बनाए गए इंफ्रास्ट्रकचर को खत्म करना है। इजरायली सेना वायुसेना और टैंक्स के सहारे आगे बढ़ रही है, जो दक्षिणी लेबनान में लगातार बमबारी कर रहे हैं। इजरायल द्वारा लेबनान में शुरू किए गए इस जमीनी हमले को लेकर हिजबुल्लाह के उप प्रमुख नईम कासिम ने 30 सितंबर को कहा कि लेबनानी मिलिशिया (लड़ाकू संगठन) अपने नेता और कई सीनियर कमांडरों की हत्या के बावजूद इजराइल के जमीनी हमले का सामना करने के लिए तैयार है। अगर इजरायल उनके इलाके में घुसने की कोशिश करता है, तो वे जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। लेबनान पर बमबारी के दौरान हुए नुकसान के बावजूद नईम कासिम ने जोर देकर कहा कि हिजबुल्लाह पहले की तरह ही आगे भी लड़ाई जारी रखेगा। हिजबुल्लाह के चीफ नसरल्लाह हसन की मौत के बाद हिजबुल्लाह के उप प्रमुख नईम कासिम का ऐसा बयान आया है। हिजबुल्लाह के दूसरे नंबर के नेता और राजनीतिज्ञ कहे जाने वाले नईम कासिम ने यह भी कहा है कि हिजबुल्लाह जल्द ही अपना नया नेता चुन लेगा।
दुनिया भर की नजर इजरायल और हिजबुल्लाह पर
हिजबुल्लाह और इजरायल तथा इजराइल और लेबनान के बीच चल रहे युद्ध के कारण वहां हालात दिनों-दिन विस्फोटक होते जा रहे हैं। विश्व युद्ध के अंदेशे से दुनिया डर के माहौल में है। लेकिन हिजबुल्लाह और इजरायल झुकने को तैयार नहीं है। इजरायल के हमलों से गाजा और लेबनान के आम नागरिकों में खौफ बना हुआ है। आए दिन लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लेबनान में इजरायली हमलों से बचने के लिए लाखों लोग विस्थापित हो रहे हैं।
दूसरी तरफ लेबनान और इजरायल के बीच जारी युद्ध पर दुनिया भर की नजर बनी हुई है। सऊदी अरब का कहना है कि वो इस युद्ध पर गंभीरता पूर्वक अपनी नजर बनाए हुए है। उन्होंने कहा लेबनान की संप्रभुता को बचाना बहुत जरूरी है। वहीं इस युद्ध को लेकर ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रपति ने कहा उन्हें अपने देश में कट्टरवादी विचारट्टाारा नहीं चाहिए। ऑस्ट्रेलिया का ऐसा बयान तब आया जब हाल ही में हसन नसरल्लाह के समर्थकों द्वारा वहां आंदोलन किया गया था। वहीं इस युद्ध के बीच फ्रांस के विदेश मंत्री लेबनान पहुंचे और वहां के प्रधानमंत्री से मुलाकात की। उन्होंने इजरायली हमलों पर तुरंत रोक लगाने को कहा है। गौरतलब है कि अमेरिका और सहयोगी देशों ने 21 दिनों के लिए इस युद्ध पर विराम लगाने की अपील की थी। लेकिन 26 सितंबर को इजरायल ने युद्ध विराम की सहमति से स्पष्ट इनकार कर दिया। इजरायल ने कहा कि वह लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह और लेबनानी राजनीतिक दलों के साथ युद्ध विराम पर सहमत नहीं हुआ है। इससे पहले 25 सितंबर को सुरक्षा परिषद में यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरेस ने एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि ‘लेबनान में आफत का तूफान मचा है। इजरायल और लेबनान को अलग करने वाली सीमा रेखा ‘ब्लू लाइन’ पर गोलाबारी हो रही है, जिसका दायरा व तीव्रता बढ़ती जा रही है।’ आखिर संघर्ष के बड़े स्तर पर फैल जाने का खतरा क्यों बना हुआ है?
अमेरिका और ईरान भी इस युद्ध में हो सकते हैं शामिल
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच हो रहे जंग में लेबनान के आलावा उसके कई समर्थक मुल्क भी इस युद्ध की चपेट में आ रहे हैं। दरअसल इजरायल सिर्फ लेबनान पर हमले नहीं कर रहा है, बल्कि सीरिया-लेबनान बॉर्डर पर भी इजरायल द्वारा हवाई हमले किए गए हैं। जिसमें करीब 8 लोगों के घायल होने की खबर है। वैसे यहूदी राष्ट्र अक्सर सीरिया में हवाई हमलों को अंजाम देता रहा है। इसके अलावा उसने यमन के साथ भी युद्ध छेड़ दिया है। यमन के दो इलाकों में हुती विद्रोहियों का खात्मा करने के लिए इजरायल द्वारा बम गिराए गए हैं। जिसमें चार लोग मारे गए।
हिजबुल्लाह के उप प्रमुख का कहना है कि इजरायली सेना लोगों की हत्या और नरसंहार कर रही है। इसके अलावा हिजबुल्लाह ने अमेरिका को लेकर कहा कि अमेरिका इजरायल का साझेदार है, उसे सांस्कृतिक, राजनीतिक और वित्तीय रूप से असीमित सैन्य सहायता मिलती है। गौरतलब है कि हिजबुल्लाह को संयुक्त राज्य अमेरिका और कई अन्य देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन माना जाता है। वहीं हिजबुल्लाह के ईरान और सीरिया में दमनकारी, इजरायल विरोधी शासनों के साथ उसके गहरे सैन्य गठबंधन हैं। ऐसे में संभावना है कि इस युद्ध में अमेरिका और ईरान भी शामिल हो सकते हैं।
इजरायल हिजबुल्लाह और हमास के साथ मोर्चे पर है और इन दोनों को ही ईरान का खुला समर्थन हासिल है। विशेषकर हिजबुल्लाह की स्थापना में ईरान का अहम रोल रहा है। हिजबुल्लाह लेबनान में स्थित एक शिया मुस्लिम राजनीतिक दल और उग्रवादी समूह है, लेबनान के भीतर इसने एक राज्य के रूप में अपनी प्रतिष्ठा बनाई है। पंद्रह साल के लेबनानी गृह युद्ध (1975-1990) के बीच स्थापित, ईरान समर्थित हिजबुल्लाह समूह इजरायल के प्रति अपने हिंसक विरोध के लिए जाना जाता रहा है। वहीं यह समूह मध्य पूर्व में पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ रहा है। माना जाता है कि हिजबुल्लाह लेबनानी आर्मी से भी ज्यादा ताकतवर है। इजरायल की तरह ही उसके पास भी शक्तिशाली और आधुनिक हथियारों की कोई कमी नहीं है।
हाल के वर्षों में हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच संघर्ष बढ़ गया है। हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच जारी इस युद्ध में हिजबुल्लाह के कमांडरों के मारे जाने के बाद ईरान बौखला उठा है। नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान ने इस्लामिक देशों के संगठन (ओआईसी)की बैठक भी बुलाई थी। 27 सितंबर को हुए हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत पर ईरान द्वारा पांच दिनों का शोक घोषित किया गया। हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान ने भले ही इजरायल को बदला लेने की धमकी दी है। लेकिन ईरान ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि गाजा और लेबनान में वह अपने लड़ाके नहीं उतरेगा। ऐसे में संभावना है कि ईरान इस युद्ध में सीधे तौर पर न उतर कर हमास, हूती और हिजबुल्लाह का ही सहारा लेगा।
दरअसल, ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा है कि तेहरान इजरायल का सामना करने के लिए लेबनान और गाजा में लड़ाके नहीं भेजेगा। हालांकि कनानी द्वारा यह दावा भी किया गया कि ईरान, इजराइल के किसी भी ‘आपराधिक कृत्य’ को प्रतिक्रिया दिए बिना नहीं जाने देगा। संभवतः यही वजह है कि ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा है कि ईरान युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन वह इससे डरता भी नहीं है। गाजा या लेबनान में ईरान से सैनिकों को भेजने की जरूरत नहीं है क्योंकि हिजबुल्लाह और हमास के लड़ाके इजराइली आक्रमण का सामना करने के लिए सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि हम दृढ़ता से निपटेंगे और इस तरह से काम करेंगे, जिससे दुश्मन को पछताना पड़े।