विश्व बैंक ने कहा है कि वह भारत में 150 मिलियन योग्य लघु और मध्यम उद्यमों को बजटीय सहायता में 750 मिलियन प्रदान करेगा। वित्त वर्ष 2020 (जुलाई 2019 से जून 2020) में, विश्व बैंक का भारत को ऋण सबसे अधिक 5.13 बिलियन था, जो एक दशक में सबसे अधिक था। उसमें से कोविड-19 के प्रकोप से लड़ने के लिए 2.75 बिलियन का ऋण तुरंत मंजूर कर लिया गया।
भारत के लिए विश्व बैंक के देश निदेशक, जुनैद अहमद ने कहा कि बहुराष्ट्रीय क्रेडिट विकास नीति के तहत भारत को ऋण दिया गया था और अब छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए समान प्रावधान करने की योजना है। सरकार द्वारा धन का उपयोग तरलता, गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों और छोटे वित्त बैंकों का समर्थन करने के लिए किया जा सकता है, जिससे छोटे और मध्यम उद्यमों को मदद मिलेगी। इसके बाद लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के सहयोग से पैकेज स्तर पर क्षमता निर्माण की सुविधा होगी।
विश्वबैंक के वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों के बोर्ड ने कोविड-19 संकट के दौरान बुरी तरह से प्रभावित एमएसएमई के हाथों में वित्त प्रवाह बढ़ाने के लिये एमएसएमई आपात प्रतिक्रिया कार्यक्रम के तहत 75 करोड़ डालर के समर्थन देने को मंजूरी दी है।’’
अहमद ने कहा, ‘‘विकास नीति रिण के तहत हम किसी खास व्यय के लिये धन नहीं देते हैं … जब सरकार कोई ऐसी नीतिगत रूपरेखा तैयार कर देती है, जिसे हम समझते हैं कि समर्थन मिलना चाहिये तब ऐसे में हम सीधे बजट समर्थन उपलब्ध कराते हैं।’’
विश्व बैंक के निदेशकों ने छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए 750 मिलियन की मंजूरी दी है। कोविड-19 के प्रकोप ने भारत में छोटे व्यवसायों पर कड़ा प्रहार किया है और इसे बंद कर दिया है। जिससे लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए इस पर निर्भर हैं। इससे पहले, विश्व बैंक ने सामाजिक और स्वास्थ्य क्षेत्रों में प्रत्येक को 1 बिलियन का ऋण दिया था।