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विश्व युद्ध के मुहाने पर दुनिया

 

मौजूदा समय में एक ओर जहां पिछले पांच महीने से भी ज्यादा समय से रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते दुनिया के मुल्क भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, वहीं अब जिस तरह अमेरिका और चीन युद्ध के मोर्चे पर आमने-सामने आते हुए दिखाई दे रहे हैं। उसे देख ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर आ खड़ी हुई है। पहले के दोनों विश्व युद्ध की तरह इस बार भी दुनिया खेमों में बंट रही है। रूस-यूक्रेन, अमेरिका-ईरान और चीन-ताइवान के बीच युद्ध, हमले और उकसाने वाली कार्रवाई देख आशंका जताई जा रही है कि वर्ष 2022 न्यूक्लियर युद्ध का साल न बन जाए

 

पिछले दो-तीन वर्षों से पूरी दुनिया में उथल-पुथल जारी है। ऐसे में यह साल भी अब तक जिस दौर से गुजर रहा है उससे पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। मौजूदा समय में एक ओर जहां पिछले पांच महीनों से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते दुनिया के मुल्क भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं वहीं अब जिस तरह अमेरिका और चीन युद्ध के मोर्चे पर आमने-सामने आते हुए दिखाई दे रहे हैं उसे देख ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर आ खड़ी हुई है। पहले के दोनों विश्व युद्ध की तरह इस बार भी दुनिया खेमे बंट रही है। रूस-यूक्रेन, अमेरिका-ईरान और चीन-ताइवान के बीच युद्ध, हमले और उकसाने वाली कार्रवाई की जा रही है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है लेकिन इस युद्ध से इतर रूस भविष्य के लिए भी अपनी रणनीति तय करता नजर आने लगा है। कुछ दिन पहले यूक्रेन ने दावा किया है कि यूक्रेन फतेह के बाद लिथुआनिया पुतिन का अगला टारगेट है। वहीं रूस की सेना के हमले पोलैंड सीमा के नजदीक तक पहुंच गए हैं। इधर अमेरिका और चीन के बीच तनातनी का केंद्र ताइवान बना हुआ है। वैश्विक मामलों को लेकर अमेरिका और चीन के बीच टकराव होता रहा है। कई बार दोनों देशों के बीच टकराव इतना बढ़ जाता है कि उसे अमेरिका और चीन के बीच युद्ध की आशंका से भी जोड़ कर देखा जाता है। लेकिन इस बार चीन ने अमेरिका को युद्ध की सीधी धमकी दी है जिसके तहत माना जा रहा है कि बेशक युद्ध की शुरुआत ताइवान के करीब जरूर होगी लेकिन चीन का पहला वार ताइवान पर नहीं बल्कि अमेरिका पर हो सकता है। चीन जो कह रहा है अगर उसने वैसा ही किया तो यकीनन 2022 न्यूक्लियर युद्ध का साल बन जाएगा।


गौरतलब है कि अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे को लेकर चीन ने आपत्ति जताई है। इस तरह से आशंका जताई जा रही है कि क्या दुनिया की दो महाशक्तियों चीन और अमेरिका के बीच युद्ध हो सकता है। इसकी वजह है जो बाइडेन से फोन पर की गई बातचीत के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चेतावनी के लहजे में कहा था कि आग से खेलने की भूल न करें। इसके बावजूद नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर चीन नाराज है और लगातार आक्रामक प्रतिक्रिया जाहिर कर रहा है इतना ही नहीं चीन ने ताइवान की सीमा के पास अपना सैन्य बेड़ा भी युद्धाभ्यास के नाम पर उतार दिया है।


ताइवान पर चीन ने लगाए प्रतिबंध

पेलोसी की यात्रा से गुस्साए चीन ने पेस्ट्री, पके हुए माल और मिठाई का उत्पादन करने वाली कई ताइवानी कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंधों और आयात प्रतिबंधों की भी घोषणा की है। इसके अलावा चीन ने ताइवान की खाद्य कंपनियों के उत्पादों के आयात को अस्थायी रूप से रोक दिया है।


ताइवान की कृषि परिषद् (सीओए) के मुताबिक ब्लैक लिस्ट में डाली गई कंपनियों में चाय की पत्ती, सूखे मेवे, शहद, कोकोआ बीन्स और सब्जियों के उत्पादकों के साथ-साथ मछली पकड़ने वाले लगभग 700 जहाज भी शामिल हैं।


पेलोसी की मॉनिटरिंग पर चीन ने उठाए सवाल
अमेरिका पेलोसी की ताइवान यात्रा की पल-पल मॉनिटरिंग कर रहा है तो वहीं चीन इसे अपनी अंदरूनी मामले में दखल मान रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ‘नैंसी के ताइवान दौरे से अलगावादी गुटों में गलत संदेश गया है। चीन के कड़े विरोध के बाद भी नैंसी ने ताइवान का दौरा किया है। यह चीन के सिद्धांत की नीति का उल्लंघन है। इससे चीन और अमेरिका के संबंधों पर गहरा असर पड़ा है और इससे ताइवान में शांति पर भी असर पड़ेगा।’ चीन के इस बयान को बड़े परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है।


किसी नीति का उल्लंघन नहीं, अमेरिका
अमेरिकी व्हाइट हाउस सुरक्षा परिषद् के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने चीन के बयान पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि हमने किसी भी नीति का उल्लंघन नहीं किया है। किर्बी ने कहा ‘नैंसी की यात्रा की पूरी तरह से निगरानी की जा रही है। हमने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं और हमारे स्पीकर की यात्रा पूरी तरह से वन चाइना पॉलिसी के अनुरूप ही है। वन चाइना पॉलिसी में इस यात्रा से कुछ भी नहीं बदला है।’

आग से खेल रही हैं पेलोसी
चीन ने अमेरिकी राजदूत निकोलस बंर्स को तलब किया है और उनसे पेलोसी की यात्रा के बारे में कहा है कि मना करने के बावजूद उनकी यात्रा समझ से परे है। चीन ने चेतावनी के लहजे में कहा है कि पेलोसी आग से खेल रही हैं और अमेरिका को इस गलती का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। वहीं ताइवान ने भी कहा है कि हम अपनी सीमा के पास चीनी सेना की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखे हुए है।

जापान ने व्यक्त की चीन के प्रति चिंता
जापान की सरकार का हवाला देते हुए एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक जापान ने भी ताइवान जलमरू मध्य अभ्यास पर चीन के प्रति चिंता व्यक्त की है।

पेलोसी ने दिया बड़ा बयान
ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के साथ बैठक के दौरान अमेरिकी स्पीकर पेलोसी ने कहा कि आज दुनिया लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच एक विकल्प का सामना कर रही है। यहां ताइवान और दुनिया में लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए अमेरिका बढ़ा संकल्प है।


पेलोसी ने कहा कि ताइवान में लोकतंत्र फल-फूल रहा है। इसने दुनिया में साबित कर दिया है कि आशा, साहस और बढ़ा संकल्प चुनौतियों के बावजूद शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकता है। अब पहले से कहीं अधिक ताइवान के साथ अमेरिका की एकजुटता महत्वपूर्ण है, आज हम यही संदेश लेकर आए हैं।

इस बीच अब अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचने से चीन काफी नाराज है। ताइवान सेना की तरफ से दावा किया जा रहा है कि चीन के 21 मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स ने उनकी घेराबंदी की है। खबरों के मुताबिक नैंसी पेलोसी के ताइवान यात्रा पर जाने के बाद चीन ने महज 50 मिनट के भीतर ही ताइवान के आस-पास सैन्य ड्रिल और मिलिट्री एक्शन की धमकी दी थी। जिस तरीके से चीन की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, अगर अमेरिका भी खुलकर ताइवान के साथ आ गया तो तीसरे विश्व युद्ध की संभावना से नकारा नहीं जा सकता है।


भारत के लिए उलझन वाली स्थिति!
रक्षा विशेषज्ञों कि मानें तो रूस चीन के साथ जा सकता है। बस यही वह मुकाम होगा जो भारत के लिए उलझन पैदा करेगा। क्योंकि रूस-यूक्रेन के बीच भले ही भारत ने खुद को अलग रख लिया हो लेकिन, चीन-ताइवान के बीच ऐसा करना भारत के लिए अब आसान नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन और भारत के बीच हमेशा से विवाद रहा है। ऐसी स्थिति में चीन और ताइवान की बीच छिड़ने वाली संभावित जंग में संभव होगा कि बाद में चीन भारत की ओर भी आंख उठाकर देखने की गुस्ताखी कर सकता है। ऐसे में अगर ताइवान का साथ भारत नहीं देगा तो फिर भारत-चीन युद्ध के दौरान भी कई देश भारत का साथ देने से कन्नी काटते नजर आ सकते हैं।


चीन-ताइवान में छिड़ेगी जंग!
रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के बीच कुछ समय पहले चीन ने भी हिमाकत दिखाई थी। अमेरिका और ताइवान की लाख चेतावनियों के बावजूद चीन के फाइटर जेट्स ताइवान की वायुसीमा में प्रवेश कर गए थे। हर बार की तरह ताइवान ने इस बार भी आपत्ति जताई थी। तब जानकारों का कहना है कि अमेरिका और नाटो देश रूस और यूक्रेन की जंग में फंसे हुए हैं, ऐसे में चीन को ताइवान पर हमला करने का यही सही मौका लग रहा है। लेकिन अमेरिका के सातवें बेड़े के जंगी जहाज दक्षिण चीन सागर में पहले से ही मौजूद हैं। यदि चीन ताइवान पर हमला करता है तो संभव है कि अमेरिका ताइवान की मदद के लिए अपने सैनिक युद्ध में उतार सकता है वहीं दूसरी तरफ रूस की सेना अब तक कीव पर कब्जे के लिए युद्ध कर रही थी लेकिन अब पोलैंड भी उनकी जद में आ सकता है। लवीव शहर के यारोवीव सैन्य अड्डे पर रूस की सेना ने 30 मिसाइल और रॉकेट से हमला किया है। इस हमले में कम से कम 35 यूक्रेनी जवानों की मौत हुई, बड़ी बात यह है कि यह सैन्य अड्डा पोलैंड की सीमा से सिर्फ 10 मील की दूरी पर है।


यूरोप बनेगा तीसरे विश्व युद्ध का सेंटर!
रूस से निपटने के लिए अमेरिका यूरोपीय देशों में अपने सैनिकों की मौजूदगी बढ़ा रहा है। इसलिए जार्जिया में अमेरिका के 3 हजार 800 सैनिक तैनात किए जा रहे हैं और अमेरिका 12 हजार सैनिक यूरोप भेजने का आदेश दे चुका है जिससे तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा बड़ा हो सकता है।

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