ऑस्ट्रेलिया में लगातार यौन शोषण की खबरे थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले से ही देश के राजनेताओं पर यौन शोषण के आरोपों को लेकर जनता आक्रोशित है और सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है। इस बीच अब देश की संसद के अंदर से भी आवाजें उठनी शुरू हो गई है। देश की महिलाएं हजारों की संख्या में असुरक्षित कार्यस्थल के मामले पर सड़कों पर उतर आई हैं। प्रदर्शन में शामिल हुई महिलाओं का कहना है कि पुरुष खुद को संसद में राजा समझते हैं और उनके साथ यौन उत्पीड़न करते रहे हैं। उनके द्वारा बताया गया कि उन्हें किसी ने किसी नेता ने जबरन छुआ या उनकी इन्सर्ट की। यहां तक की महिलाओं ने तो संसद को सबसे असुरक्षित कार्यस्थल तक कह दिया।
महिलाओं के अनुसार, जब भी पुरुषों के व्यवहार पर सवाल उठता था, उनका चारित्रिक हनन होता था और वह चुप हो जाती थीं । लेकिन, हाल ही में हजारों महिलाएं सड़कों पर उतरी और कारण रहा। पूर्व विधायक कर्मचारी ब्रिटनी हिगिंस द्वारा रक्षा मंत्री के कार्यालय में उनके साथ बलात्कार की बात सबके सामने रखा जाना। इसके बाद प्रधान मंत्री स्कॉट मॉरिसन को भी कहना पड़ा, संसद की स्थिति में सुधार करना होगा।
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एक नेता जुलिया बैंक्स ने बताया कि मैं जब करीब पांच साल पूर्व संसद आई तो पुरुषों का व्यवहार देखकर प्रतीत हुआ कि जैसे में 80 के दशक में हूं। उनके अनुसार,कई पुरुष सांसदों के मुंह से कार्यवाही के दौरान शराब की बदबू आती रहती थी। इतना ही नहीं महिला नेताओं को लेकर कई मजाक बनाए जाते हैं।
लेबर पार्टी की नेता तान्या लिबर्सेक कहती हैं, संसद से जुड़ी रही महिलाओं में लंबे समय से दबा गुस्सा फूट रहा है। अन्य संस्थानों में तो लिंग समानता ने जोर पकड़ा है लेकिन सत्ता प्रतिष्ठान में पुरुषों का ही दबदबा है। महिलाएं पुरुषों का नाम इसलिए नहीं ले पातीं क्योंकि नौकरी या न्याय में से एक चुनने का दबाव बनाया जाता है।
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लेबर पार्टी के नेता तान्या लिबर्सेक का कहना है कि संसद से जुड़ी महिलाओं में लंबे समय से गुस्सा भरा हुआ था। जो अब मीटू आंदोलन के रूप में बाहर आ रहा है। अन्य संस्थानों में लैंगिक समानता को गति मिली है, लेकिन सत्ता प्रतिष्ठानों में पुरुषों का वर्चस्व है। महिलाएं पुरुषों पर आरोप लगाने में असमर्थ हैं क्योंकि नौकरी या न्याय में से किसी एक को चुनने के लिए दबाव बनाया जाता है।
देश में सामने आ रहे ऐसे मामलों के बाद ऑस्ट्रेलियाई राजनीतिक संस्कृति पर सवाल उठने लगे हैं। इसमें राजनेताओं द्वारा महिला विरोधी बयान देना भी शामिल है। राजनीतिक सलाहकार द्वारा बलात्कार की शिकार एक महिला ने बताया कि वह सामने आई है, ताकि इस बदसूरत संस्कृति को उजागर किया जा सके। वहीं, पीएम मॉरिसन ने कहा था कि मुझे लगता है कि हमारी संसद और कार्यस्थल की संस्कृति में समस्या है, जिस पर हमें काम करना है।