दुनिया में अमीरी का आंकलन जब भी होता है तो केवल पुरुषों के नाम का उल्लेख अधिक किया जाता है। दुनिया भर में एक से एक अमीर लोग हैं, परंतु जब इसकी सूची तैयार की जाती है तो इसमें पुरुषों के नाम का जिक्र और यशगान देखा जाता रहा है। लेकिन बदलते दौर के साथ महिलाओं को कम नहीं आंका जा सकता है। अब महिलाएं पूरी दुनिया में अपनी काबिलियत का परिचय दे रही हैं।
गौरतलब है कि दुनिया भर में कई बार विभिन्न संगठनों द्वारा अमीर लोगों की सूची प्रकाशित की जाती है, लेकिन अक्सर केवल अमीर पुरुषों का ही उल्लेख देखा जाता है। फार्च्यून 500 की बिजनेस रैंकिंग में अमेरिकी महिलाएं सर्वोच्च पदों के मामले में भी पुरुषों से पीछे नहीं हैं।
बिजनेस वुमन ने कुछ समय पहले तीन रिकॉर्ड तोड़े हैं। अमेरिका में फॉर्च्यून 500 कंपनियों में 41 महिलाएं सर्वोच्च पदों पर हैं। इससे पहले इतनी संख्या में महिलाएं कंपनियों की बॉस नहीं थीं। सीवीएस हेल्थ, 2021 में राजस्व के हिसाब से अमेरिका की चौथी सबसे बड़ी कंपनी एक महिला-कैरेन लिंच द्वारा संचालित सबसे बड़ी कंपनी रही। पहली बार दो अश्वेत महिलाएं दो बड़ी कंपनियों – फार्मास्युटिकल कंपनी Walgreens Boots Alliance और वित्तीय फर्म TIAA के शीर्ष पदों पर आसीन हैं। अमेरिका और अन्य जगहों पर महिलाएं व्यापार जगत में एक बड़ी छलांग लगा रही हैं। कंपनियों के बोर्ड में उनकी हिस्सेदारी हर जगह बढ़ी है।
हालांकि, 2019 के बाद स्वीडन में गिरावट आई है। नीदरलैंड और जर्मनी में अनिवार्य कोटा लागू होने के बाद निदेशक जैसे पदों पर महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। ब्रिटेन की सरकार द्वारा निर्धारित स्वैच्छिक लक्ष्यों ने FTSE 100 कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की संख्या को दस साल पहले के 12.5% से बढ़ाकर अब 40% कर दिया है। फिर भी, महिलाओं को अपने पुरुष साथियों के बराबर होने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। अमेरिका में तीन में से दो बोर्ड पदों पर अभी भी पुरुषों का कब्जा है। दक्षिण कोरिया में बोर्ड रूम की दस में से नौ सीटों पर पुरुषों का कब्जा है। अमीर देशों के स्कूलों में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करने वाली लड़कियां अपने पुरुष साथियों की तुलना में कम कमाती हैं। अमेरिका में अश्वेत महिलाओं को गोरे महिलाओं की तुलना में कम वेतन दिया जाता है। वे वरिष्ठ पदों के मामले में भी पीछे हैं।
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एक चिंताजनक पहलू यह भी है कि बड़ी संख्या में महिलाएं कॉरपोरेट जगत को छोड़ रही हैं। हालाँकि वर्क फ्रॉम होम ने महिलाओं के लिए परिवार और काम की ज़िम्मेदारियों को संभालना आसान बना दिया है, लेकिन महामारी ने कई महिलाओं की नौकरी चीन ली है। अमीर देशों के समूह ओईसीडी में महामारी के बीच एक वर्ष में कार्यबल में महिलाओं की संख्या 65% से घटकर 63.8% हो गई। महामारी ने महिलाओं की प्रगति को प्रभावित किया है।