आपको #Danceisnotacrime तो याद ही होगा। हाल ही में पूरा ईरान 19 साल की एक लड़की की गिरफ्तारी का विरोध सोशल मीडिया में अपनी डांसिंग विडियोज डाल कर रहा था। इस लड़की का गुनाह सिर्फ इतना था कि उसने इंस्टाग्राम पर अपनी डांसिंग विडियो अपलोड की थी जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया था। इस बात को अभी 15 दिन भी नहीं हुए कि साउदी अरब में एक लड़की को महज इस लिए गिरफ्तार कर लिया। इस लड़की का गुनाह सिर्फ इतना था कि उसे एक गायक का गाना इतना पसंद आया कि उसने दौड़कर उस गायक को गले से लगा लिया। इसके बाद सुरक्षा बलों ने इस महिला को गायक से अलग किया और ले जाकर जेल में डाल दिया।
भले ही आपको यह सुनकर अटपटा लगे लेकिन आज भी दुनिया में कुछ ऐसी जगहें हैं जहां आजादी के नाम पर महिलाओं पर इतने सख्त पाबंदियां लगाई गई हैं कि वह खुल कर अपने दिल की भी नहीं सुन सकती और न ही अपने दिल की कर सकती हैं। हुआ यू कि मशहूर गायक माजिद अल मोहनदीस ताइफ शहर में एक समारोह में गाना गा रहे थे। इसी बीच एक महिला को उनका गाना इतना पसंद आया कि वह उनकी ओर दौड़ी और बिना कुछ सोचे समझे उस गायक को गले से लगा लिया।
यह मशहूर गायक वैसे तो इराक से हैं और इन्हें साउदी की नागरिकता भी प्राप्त है। इन्होंने भी इस घटना पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस घटना के बाद भी वह सामान्य ही रहे और उन्होंने अपना गाना जारी रखा।
सउदी अरब की सरकारी खबर एजेंसी के अनुसार इस महिला पर उत्पीड़न का मुकदमा भी चलाया जाने पर विचार हो रहा है।
ये हालात तब हैं जब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को प्रोग्रेसिव विचारों वाला माना जाता है। उन्होंने पिछले साल महिलाओं से संबंधित कई प्रतिबंधों को हटाकर एक के बाद एक कई सुधारवादी कदम उठाए थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2030 तक देश की पहचान खनिज तेल वाली अर्थव्यवस्था के तौर पर न रहे। इसलिए उन्होंने संस्कृति और मनोरंजन पर होने वाले खर्च को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत तक पहुंचा दिया। इन्हीं सुधारवादी कदमों के तहत पिछले साल ही महिलाओं को सार्वजनिक कंसर्ट में जाने और फुटबॉल मैच देखने जाने की इजाजत दी गई थी। साथ ही साउदी अरब के इतिहास में पहली बार लेबनान स्टार गायिका हिबा तावाजी का समारोह भी आयोजित कराया गया। इसी क्रम में जून 2018 में महिलाओं को अकेले कार चलाने की छूट भी दे दी गई।
लेकिन ये छूट और इजाजत के बाद भी वहां शालीन कपड़े, सार्वजनिक स्थान में महिलाओं का व्यवहार, महिलाओं का पहनावा और शराबबंदी जैसे बहुत कठोर और महिलाओं की आजादी का विरोध करने वाले कानून मौजूद हैं। जो छूट उदारवादी और प्रोग्रेसिव बनकर साउदी अरब के प्रिंस ने वहां की महिलाओं को दी हैं वह किसी अग्नी परीक्षा की तरह हैं जिसका जीता जागता उदाहरण ये घटना बन चुकी है। आज से एक साल पहले जब महिलाओं को कंसर्ट में जाने की इजाजत नहीं थी तब ऐसी घटनाएं संभव ही नहीं थी।
इसलिए इस तरह की छूट महिलाओं पर और हत्याचार करने की साजिश है क्योंकि अगर सोच को विकसित करके आधी आबादी को बराबर का हक दिया जाए न कि आधा अधूरा।