सऊदी अरब की गिनती दुनिया के सबसे कट्टरपंथी देशों में होती है, जहां महिलाओं पर कई पाबंदियां हैं। उन पर अभी भी सदियों पुराने कड़े नियम- कानून लागू हैं। रूढ़िवादिता के कारण उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। लेकिन अब यह देश समय के साथ अपनी सोच में बदलाव लाने को विवश है। यहां के शासक महसूस करने लगे हैं कि आर्थिक मोर्चे पर दुनिया में अपनी साख बरकरार रखनी है, तो रुढ़िवादिता को छोड़ना ही होगा।
महिलाओं को उनके अधिकार देने ही होंगे। विश्व की आधी आबादी पर सबसे ज्यादा प्रतिबन्ध लगाने वाला और उनके प्रति दकियानूसी सोच रखने वाला सऊदी अरब अब बदल रहा है। सऊदी अरब मुस्लिम बहुसंख्यक देश है इसलिए वहां लगाए ज्यादातर कानून इस्लाम धर्म का पालन करते है। लेकिन अब धीरे-धीरे इन कानूनों को हटाकर महिलाओं को भी आगे बढ़ने का मौका दिया जा रहा है। हाल ही में अब सऊदी अरब ने पहली बार महिला अंतरिक्षयात्री को स्पेस मिशन पर भेजने का फैसला किया है। रेयाना बरनावी, सऊदी अरब की पहली महिला अंतिरक्षयात्री होंगी, जो इस साल के अंत में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए उड़ान भरेंगी। रेयाना बरनावी के साथ सऊदी अरब के अंतरिक्ष यात्री अली अल करनी भी स्पेस जाएंगे।
सऊदी अरब की दोनों महिला अंतरिक्ष यात्री 2023 की दूसरी तिमाही में अंतरिक्ष यात्रा पर जाएंगी। ये दोनों यात्री एएक्स-2 अंतरिक्ष मिशन के चालक दल में शामिल हैं और इनकी उड़ान अमेरिका से शुरू की जाएगी। इससे पहले साल 2019 में यूएई के अंतरिक्ष यात्री हज्जा अल मंसूरी भी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) में आठ दिन बिता चुके हैं। इनके अलावा संयुक्त अरब अमीरात के सुल्तान अल नेयादी भी इस महीने के अंत में अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेंगे। नेयादी अंतरिक्ष में एक साथ छह महीने बिताने वाले पहले अरब अंतरिक्ष यात्री हैं।