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क्या मार्च में ही आएगी कोरोना की नई लहर; WHO की चेतावनियों से अवगत होना जरूरी

अगर आपको लगता है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कोरोना वैक्सीन की दो खुराक मिलने के बाद यह हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकता और आपको अब मास्क पहनने या सामाजिक दूरी बनाए रखने की जरूरत नहीं है, तो यह आपकी बड़ी ग़लतफ़हमी साबित हो सकती है। हाल ही एक एक शोध ने अब चिंता बढ़ा दी है।

WHO ने कहा: महामारी को हल्के में लेने से बचें

महामारी को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वायरस का एक वेरिएंट वर्तमान में कमजोर हो रहा है लेकिन एक नया रूप कभी भी हमला कर सकता है, इसलिए कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है लेकिन उम्मीद है कि शायद जल्द ही खत्म हो जाएगा।

मरने वालों की संख्या

चीन से करीब ढाई साल पहले फैली कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है, एक बार फिर चीन में कहर बरपा रहा है और कई बड़े शहरों में पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया गया है। अगर भारत की बात करें तो इस वायरस ने अचानक अपना प्रभाव बढ़ा लिया है और संक्रमण से होने वाली मौतों में अचानक उछाल आया है, जिससे सरकार की टेंशन बढ़ गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़ी है, लेकिन गत शुक्रवार सुबह 8 बजे तक देश में इससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 149 हो गई। संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 5,16,281 हो गई है। यह सरकार के लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि बीते दिन कोरोना से मरने वालों की संख्या 60 थी और इससे पहले संक्रमण से 98 लोगों की मौत हो चुकी थी।

मार्च में फिर से चिंतित?

लेकिन बड़ी बात यह है कि देश के वैज्ञानिक अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ पाए हैं कि आखिर मार्च में इस कोरोना के संक्रमण ने भारत में आखिर क्यों भयानक रूप ले लिया? इसकी पहली लहर मार्च 2020 में आई और फिर ठीक एक साल बाद मार्च 2021 में इसकी दूसरी लहर ने कहर बरपाया। अब मार्च में एक बार फिर संक्रमण अपना कुरूप रूप ले रहा है।

यह केंद्र और सभी राज्य सरकारों के लिए चिंता का विषय है, आम लोगों की बढ़ती उदासीनता हमें एक बार फिर प्रतिबंधों का सामना करने के लिए मजबूर कर सकता है। यही वजह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर कोरोना से इस नए खतरे को देखते हुए सतर्क रहने का निर्देश दिया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को पांच सूत्री रणनीति लागू करने का निर्देश दिया है और चेतावनी दी है कि नए मामलों की संख्या चिंताजनक नहीं है, इसे देखते हुए किसी भी राज्य का प्रशासन लापरवाह नहीं होना चाहिए। भूषण ने अपने पत्र में सभी को पांच बातों से अवगत रहने को कहा है। इनमें टेस्टिंग, डिटेक्शन, ट्रीटमेंट, वैक्सीनेशन और कोविड फ्रेंडली बिहेवियर शामिल हैं।

WHO ने भी सतर्क रहने की दी चेतावनी

दूसरी ओर, WHO ने दुनिया भर के सभी देशों को इस वायरस के प्रति सतर्क रहने की चेतावनी दी है। क्योंकि एक महीने से ज्यादा की गिरावट के बाद पिछले हफ्ते से दुनियाभर में कोविड के मामले बढ़ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इससे एशिया और चीन के जिलिन प्रांत में लॉकडाउन हो गया है। डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञ मारिया वान केरखोव ने कल अपनी ब्रीफिंग में कहा कि बीए-2 अभी तक सबसे तेजी से फैलने वाला वेरिएंट प्रतीत होता है, हालांकि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि यह अधिक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। लेकिन फिर भी सभी देशों को जरूरत से ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।

हालांकि, कई विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि ऑस्ट्रिया, जर्मनी, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड और यूके में मार्च की शुरुआत से मामले बढ़ने के साथ यूरोप एक और कोरोना वायरस की लहर का सामना कर रहा है। इन विशेषज्ञों ने चेतावनी देना शुरू कर दिया है कि यूरोप जैसी एक नई लहर जल्द ही संयुक्त राज्य अमेरिका में आ सकती है, संभवतः बी.ए. 2 की वजह से आने की आशंका है। कुछ महीने पहले वैक्सीन दिए जाने के बाद से लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गई है और इसका मुख्य कारण प्रतिबंधों में कमी बताया जा रहा है। इम्यूनोलॉजी के जाने-माने प्रोफेसर एंटोनेला वियोला कहते हैं, “मैं प्रतिबंधों में ढील से सहमत हूं क्योंकि आप इसे दो साल बाद आपातकाल के रूप में नहीं सोच सकते। वियोला ने कहा, ‘हमें यह सोचने से बचना चाहिए कि कोविड नहीं है।

चीन समेत कई देश मंदी की चपेट में हैं

चीन के सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग शहर शेनझेन में पिछले रविवार को कोरोना के मामलों में तेज बढ़ोतरी को देखते हुए लॉकडाउन कर दिया गया। इसने दुनिया भर के व्यवसायों पर भारी असर डाला है। शंघाई, जिलिन और गुआंगझोउ जैसे प्रमुख शहरों और प्रांतों में भी कोरोना प्रतिबंध लगाए गए हैं। कहा जा रहा है कि बंदरगाहों पर जहाजों की भीड़ है। दुनिया के मालवाहक जहाजों की निगरानी करने वाले प्रोजेक्ट 44 के अनुसार, कई चीनी बंदरगाहों पर जहाजों की संख्या पहले से ही बढ़ रही है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में माल के सबसे बड़े निर्यात बंदरगाह यंतियन बंदरगाह पर खड़े जहाजों में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन सभी से ज्ञात होता है कि फिर कोविड के मामलों ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी।

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