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ऑस्ट्रेलिया के लिए मुसीबत बने खरगोश !

मौजूदा समय में ऑस्ट्रेलिया में जंगली खरगोशों की संख्या लगभग 20 करोड़ तक बताई जाती है। खरगोश को बेहद प्यारा और शांत जानवर माना जाता है। अधिकतर लोग खरगोश को शौक के लिए पालते हैं। लेकिन ऑस्ट्रेलिया की सरकार और वहां की जनता खरगोशों से त्रस्त हो चुकी है। देश को सालाना खरगोशों के कारण 1600 करोड़ का नुकसान हो रहा है। अब आप सोच रहे होंगे भला खरगोशों से क्या नुकसान हो सकता है।

दरअसल बात है करीब डेढ़ सदी पहले की जब ऑस्टिन को तोहफे में 24 खरगोश भेजे गए थे। ऑस्टिन को 1859 में 24 खरगोश उपहार स्वरूप भेजे गए थे। आज वहीं हजारों करोड़ों की संख्या में ऑस्ट्रेलिया में है। संख्या इतनी हो चुकी है कि अब इन्होने आपदा की शक्ल अख्तियार कर ली है। 1859 में 25 दिसंबर क्रिसमस के दिन ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न बंदरगाह पर इंग्लैंड से एक जहाज थॉमस ऑस्टिन नाम के एक शख्स के लिए क्रिसमस के तोहफे में 24 खरगोश लाया था। ऑस्टिन की चाहत थी कि वो मेलबर्न के कंपाउंड में खूब सारे खरगोश पाल सके। उनकी इसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उनके भाई ने इंग्लैंड से उनके लिए यूरोपीय खरगोश गिफ्ट के तौर पर उन्हें भेजे थे।

लेकिन तीन साल बाद ही 24 खरगोशों से हजारों खरगोश पैदा हो गए और आज ऑस्ट्रेलिया में जंगली खरगोशों की तादाद करीब 20 करोड़ मानी जाती है। अब ये खरगोश वहां की फसलों और स्थानीय पेड़-पौधों को नष्ट कर रहे हैं। अनुमान है कि इनके कारण ऑस्ट्रेलिया को सालाना करीब 1,600 करोड़ रुपये का कृषि-संबंधी नुकसान हो रहा है।

5 खरगोश 1788 में भी सिडनी आए ब्रिटिश जहाजों की खेप अपने साथ लाई थी। अगले 70 साल में करीब 90 खरगोश ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी किनारे के पास बसे इलाकों में भी लाए गए। लेकिन अधिकतर का संबंध 1859 में ऑस्टिन को भेजे गए 24 खरगोशों से पाया गया है।

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रिसर्च से हुए खुलासे

‘प्रोसिडिंग्स ऑफ दी नैशनल अकेडमी ऑफ साइंसेज’ के एक हालिया शोध में ये जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्टिन को भेजे गए 24 खरगोशों में जंगली और पालतू दोनों तरह के खरगोश शामिल थे। ऑस्टिन के कंपाउंड में खरगोशों की संख्या तेज गति से बढ़ी। संख्या इतनी हो गई कि फिर वो बाहर निकलने लगे। शोध के मुताबिक, 100 किलोमीटर प्रति वर्ष की दर से खरगोश आगे फैलने लगे। 50 साल के भीतर वो अपने कुदरती यूरोपीय रेंज से 13 गुना बड़े इलाके में विस्तार कर गए।

ये जंगली खरगोश ‘इनवेसिव स्पीशिज’ के माने जाते हैं। ये खरगोश यहां के स्थानीय जीव नहीं है। इनवेसिव स्पीशिज का अर्थ उन पौधों या जीवों से है जो बाहरी प्रजातियां से ताल्लुक रखती हैं, कुदरती तौर पर वह उस देश की न हो तो भी वह इनवेसिव स्पीशिज कही जाती हैं।

यही कारण है कि बाहरी प्रजातियां खुद को उस देश या इलाके में फिट नहीं बैठा पाती हैं और स्थानीय पौधों या जीवों के अस्तित्व के लिए खतरा सिद्ध हो जाती हैं। इस तरह के बायोलॉजिकल इनवेजन पर्यावरण और आर्थिक रूप से विनाशकारी सिद्ध हो सकते हैं। जानकारों के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में यूरोपीय खरगोशों की बढ़ती जनसंख्या बायोलॉजिकल इनवेजन की सबसे घातक परिणामों में से एक है।

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