[gtranslate]
world

म्यांमार चुनाव में आंग सान सू के बहुमत के करीब होने पर क्यों खुश हो रहा है चीन?

हाल ही में म्यांमार में आम चुनाव हुए हैं जिनमें लोकतांत्रिक समर्थित नेता और वर्तमान राष्ट्रपति आंग सान सू की की पार्टी बहुमत के बेहद करीब नजर आ रही है। नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) सू की की पार्टी ने दावा किया है कि उसने संसदीय चुनावों में बहुमत हासिल किया है और वह सत्ता बरकरार रखेगी। हालांकि, इस समय मतगणना जारी है और चुनाव आयोग ने कहा है कि अंतिम परिणाम आने तक इंतजार किया जाए।

आंग सांग सू म्यांमार की सर्वोच्च नेता हैं। भारत से उनके रिश्ते काफी मधुर रहे हैं। यहां तक ही उन्होंने अपनी पढ़ाई भी भारत की राजधानी दिल्ली में रहकर की है। भारत ने उनकी मदद उस समय की जब सेना ने म्यांमार में सत्ता पर कब्जा कर लिया, उस समय उन्हें कई बार नजरबंदी और रिहाई से गुजरना पड़ा। उस समय भारत सरकार की ओर से उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से मदद की गई थी। यही विशेष कारण है कि आंग सांग सू का झुकाव भारत की ओर अधिक है।

इस कारण से भारत ने म्यांमार के साथ कालाधन प्रोजेक्ट डील को अंतिम रूप दिया है। इसके अलावा भारत म्यांमार में एक बंदरगाह भी विकसित कर रहा है। एनएलडी के प्रवक्ता मोनीवा आंग शिन ने कहा कि पार्टी इस बात की पुष्टि करती है कि उसने बहुमत के आंकड़े के साथ 322 से अधिक सीटें जीती हैं, लेकिन अंतिम परिणामों में पार्टी द्वारा लक्षित 377 से अधिक सीटें जीतेंगी। यह उल्लेखनीय है कि एनएलडी की जीत की उम्मीद है क्योंकि पार्टी की नेता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू की देश में बहुत लोकप्रियता है।

चीन की ख़ुशी का क्या है कारण?

पिछले चुनाव में चीन की ओर से म्यांमार के सैन्य गठबंधन को समर्थन था। लेकिन चीन इस बार खुले तौर पर चाहता है कि लोकतंत्र समर्थक आंग सांग सू को जीत हासिल हो। चीनी सरकार के प्रतिनिधियों को लगता है कि उनके लिए सैन्य शासन में एक जनरल को विश्वास में लेना मुश्किल है। जबकि लोकतंत्र समर्थक नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के नेता उनकी बातों को सहजता से स्वीकार करते हैं।

सैन्य-गठबंधन वाली यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी एनएलडी से साल 2015 के चुनाव में बुरी तरह हार गई थी। लेकिन इस साल के चुनाव में आंग सांग सू की पार्टी एनएलडी को जीत मिलती नजर आ रही है। आंग सांग सू बड़ी ही समझदारी से खुद को रोहिंग्या विवाद से दूर रखने में काफी सफल रही है। साथ ही पिछले कुछ वर्षों से वह आर्थिक लाभ के लिए चीन के करीब बनी हुई हैं। हालांकि, वहां की सेना विद्रोहियों को हथियार, पैसा और समर्थन देने के कारण चीन का विरोध कर रही है।

चीन चाहता है कि म्यांमार चीन के बेल्ट और रोड प्रोजेक्ट के लिए कई परियोजनाओं को मंजूरी दे। म्यांमार सरकार पर दबाव बनाने के लिए चीन इन आतंकवादी समूहों को हथियार मुहैया कराता है। जबकि म्यांमार ने इसमें शामिल होने से साफ़ मना कर दिया है। यही नहीं, चीन भारत के आतंकवादी समूहों को भी कश्मीर में हमले के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

म्यांमार सेना के मुताबिक, विद्रोही गुट अराकान आर्मी के पीछे विदेशी देश का हाथ है। 2019 से यह आतंकवादी संगठन चीन निर्मित हथियारों और भूमि की खान के माध्यम से म्यांमार सेना पर हमला कर रहा है। नवंबर 2019 में म्यांमार सेना ने एक छापे के दौरान नेशनल लिबरेशन आर्मी से बड़ी संख्या में हथियार जब्त किए। इसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी थीं। कहा जाता है कि इस छापे के दौरान मिली मिसाइलों की कीमत लगभग 70000 से 90000 अमेरिकी डॉलर थी। ये हथियार चीन में बनाए गए थे।

You may also like

MERA DDDD DDD DD