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डोनबास पर नियंत्रण क्यों चाहते है पुतिन

रूस-यूक्रेन युद्ध अब चरम पर पहुंचता नजर आ रहा है। रूस ने 24 फरवरी को सबको हैरान करते हुए यूक्रेन पर हमला कर दिया था। तब से दुनिया भर के लोग इस युद्ध को खत्म कर शांति बनाने की अपील कर रहे हैं। इस युद्ध को खत्म करने के लिए पश्चिमि देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए हैं इसके बावजूद यह युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।अब यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का कहना है कि डोनबास के लिए लड़ाई शुरू हो गई है।

 

दरअसल, यूक्रेन की राजधानी कीएव से अपनी सेना वापस बुलाने के बाद रूस ने पूर्वी यूक्रेन में हमले तेज कर दिया है। इस हमले के बाद राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का कहना है कि डोनबास के लिए लड़ाई शुरू हो गई है। यूक्रेन की सर्वश्रेष्ठ सेनाएं पहले से ही पूर्व में तैनात हैं क्योंकि वहां पर पिछले आठ वर्ष से रूस समर्थित अलगाववादियों के साथ युद्ध चल रहा है। ऐसा माना जाता है कि अलगाववादियों की वजह से यूक्रेन को भारी नुकसान हुआ है लेकिन अभी भी रूस की सेना के लिए ये एक बड़ी चुनौती है। रूस की सेना पहले ही यहाँ तबाही मचा चुकी है, लेकिन अभी तक बंदरगाह शहर मारियुपोल पर नियंत्रण नहीं कर पाई है।

कुछ दिन पहले ही यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा था कि,हम अपनी जमीन के एक एक इंच के लिए लड़ेंगे लेकिन अब रूस का यह नया हमला एक लंबे संघर्ष की शुरुआत कर सकता है। इस पर रूस -यूक्रेन युद्ध विशेषज्ञों का कहना है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन जब भी डोनबास की बात करते हैं,तो वे यूक्रेन के पुराने कोयला और इस्पात उत्पादक क्षेत्र की बात कर रहे होते हैं। इसका मतलब यूक्रेन के दो बड़े क्षेत्र जिसमें लुहान्सक और दोनेत्स्क से है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक,रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के सैम क्रैनी-इवांस कहते हैं कि रूस का मानना है कि यूक्रेन का रूसी भाषा बोलने वाला हिस्सा यूक्रेन की भाषा से अधिक है। ये क्षेत्र मोटे तौर पर रूसी भाषी हो सकते हैं, लेकिन वे अब रूसी समर्थक नहीं हैं। रोचन कंसल्टिंग के प्रमुख रक्षा विशेषज्ञ कोनराड मुज़्यका कहते हैं कि,मारियुपोल यूक्रेन में सबसे अधिक रूसी समर्थक शहरों में से एक था और इस पर हमला करना मेरी समझ से परे है।युद्ध के एक महीने बाद, रूस ने लुहान्स्क क्षेत्र के 93% और दोनेत्स्क के 54% हिस्से पर नियंत्रण करने का दावा किया है। रूस के राष्ट्रपति को अभी भी पूरे क्षेत्र को अपने अधीन करने में एक लंबा समय तय करना है। भले ही रूस जीत का दावा करने में सक्षम हो लेकिन नियंत्रण करने के लिए एक ये एक बहुत बड़ा क्षेत्र है।

गौरतलब है कि,जब यूक्रेन और रूस के बीच में युद्ध शुरू हुआ,तो यूक्रेन पूर्वी क्षेत्रों का लगभग दो-तिहाई हिस्सा यूक्रेन के हाथों में था। बाकी हिस्से को रूस के समर्थन में अलगाववादि चला रहे थे। लेकिन युद्ध से ठीक पहले, राष्ट्रपति पुतिन ने दोनों पूर्वी क्षेत्रों को स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में मान्यता दी थी।

अगर अब रूस दोनों क्षेत्रों को जीत लेता है तो ये व्लादिमीर पुतिन के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं होगा। क्योंकि रूस के लिए अगला कदम तब डोनबास को शामिल करना होगा। ठीक वैसे ही जैसे रूस ने क्रीमिया के साथ 2014 में एक झूठे जनमत संग्रह के बाद किया था। वही अगर ये 9 मई से पहले होता है तो रूस विजय दिवस पर इसका जश्न मना सकेंगे। रूस की विजय दिवस 1945 में नाजी जर्मनी पर रूस की विजय का प्रतीक है। लुहान्स्क में रूस के कठपुतली नेता पहले ही आने वाले दिनों में एक जनमत संग्रह कराने की बात कह चुके हैं।

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