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कोरोना पर WHO और अमेरिका आमने – सामने 

एक साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन दुनियाभर में कोरोना संक्रमण से हालात अब  भी नाजुक बने हुए हैं । अभी तक इस वायरस की चपेट में करोड़ों लोग आ चुके हैं, जबकि लाखों  लोगों की जानें चली गई हैं। बावजूद इसके कोरोना वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई, इसका पता अभी तक नहीं मिल पाया  है। हालांकि इस बारे में  विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक जांच टीम के विशेषज्ञों की राय है  कि इस घातक विषाणु के स्रोत का अब तक पता नहीं चला है और इन अनसुलझे  सवालों के जवाब पाने के लिए आगे और अध्ययन की जरूरत है। इसके बाद से दुनिया के कई देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर सवाल भी खड़े किए । इस सबके बीच कुछ दिन पहले  एक नए अध्ययन में दावे के साथ कहा गया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान की लैब से फैला है , जिस पर दुनिया को  शक है, लेकिन अब अमेरिकी लैब की एक रिपोर्ट ने इस पर मुहर भी लगा दी है।

WHO ने कहा कि कोरोना की उत्तपत्ति को लेकर चीन पर ज्यादा दबाव नहीं बनाया जा सकता है ,दूसरी तरफ अमेरिका का दावा है कि कोरोना की उत्तपत्ति चीन की बुहान लैब में  ही हुई है। अमेरिका अपनी राय के पक्ष में विश्व समुदाय को गोलबंद कर रहा है। 

अमेरिकी सरकार कोरोना वायरस को लेकर जांच  करवा रही है। इसकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस के चीन की वुहान लैब से लीक होने की संभावना अधिक है। साथ ही कहा गया है कि इसकी  आगे जांच की जानी चाहिए। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान में कहा है कि  कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन चीन पर और अधिक दबाव नहीं बना सकता है। एजेंसी के आपातकाल कार्यक्रमों के निदेशक माइक रयान  ने एकप्रेस  कॉन्फ्रेंस में कहा कि  इस मामले पर किसी पर अधिक दबाव बनाने का अधिकार हमारे  पास नहीं है। साथ ही उन्होंने सदस्य देशों से पूर्ण सहयोग की भी उम्मीद जताई। रयान ने कहा, ‘हमारे सदस्य राज्यों से इसमें पूरे सहयोग की उम्मीद है।’ दूसरी तरफ अमेरिकी समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार  इस अध्ययन को मई 2020 में कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी ने रिसर्च पर काम करना शुरू किया था। ट्रंप के हटने से ठीक पहले स्टेट डिपार्टमेंट की तरफ से वायरस के मूल स्त्रोत को लेकर जांच करने के आदेश दिए थे। लॉरेंस लिवरमोर का मूल्यांकन कोरोना वायरस के जीनोमिक एनालिसिस पर आधारित है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने कहा है कि कोरोना की उत्पत्ति के बारे में जानकारी देने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर चीन पर दबाव बनाना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही अमेरिका अपने स्तर पर समीक्षा एवं प्रक्रिया को भी जारी रखेगा।इससे पहले अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया था  कि विशेषज्ञों ने 14 जनवरी से 10 फरवरी तक चीन के वुहान शहर का दौरा किया था जहां दिसंबर 2019 में वायरस का सबसे पहला मामला सामने आया था। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डाॅक्टर टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस ने कहा था कि  जहां तक विश्व स्वास्थ्य संगठन का संबंध है, सभी विचार सामने हैं।हमें अभी वायरस के स्रोत का पता नहीं चला है और हमें विज्ञान का अनुसरण जारी रखना चाहिए। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अमेरिका और जापान समेत 14 देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर चिंता जताई थी , जिसमें कोरोना वायरस की उतपत्ति और इसके इंसानों में फैलने का विवरण दिया गया । इन 14 देशों का मानना था  कि इस रिपोर्ट को डब्लूएचओ के साथ चीन ने मिलकर तैयार किया है। बता दें कि जनवरी 2021 में डब्लूएचओ ने कोरोना की उत्पत्ति और इसके इंसानों में फैलने की जांच के लिए अपनी दस सदस्यों की टीम चीन के वुहान शहर में भेजी थी।इस टीम ने वहां पर सी-फूड मार्केट समेत दूसरी जगहों की जांच की और साथ ही लोगों और चीनी विशेषज्ञों से भी इस संबध में बात की थी। इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि उन्हें जांच में ऐसा कुछ नहीं मिला जिसके दम पर ये कहा जाए कि ये वायरस चीन की लैब से लीक हुआ है । उन्होंने ये भी कहा कि ये वायरस चमगादड़ के जरिए इंसान में आया। लेकिन कैसे, इस बारे में कुछ पता नहीं चल सका। इसमें ये भी कहा गया कि वायरस के लैब से लीक होने की बातें बेबुनियाद हैं, क्योंकि सभी लैब अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। लेकिन  इसी रिपोर्ट पर इन 14 देशों ने सवाल खड़ा कर दिया था । उनका कहना था  कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट को सही तरह से तैयार नहीं किया है। इसमें आॅरिजनल डाटा और सैंपल को शामिल नहीं किया गया । इन देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा रिपोर्ट में देरी किए जाने पर भी आपत्ति जताई थी।जिन देशों ने इस रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है उनमें अमेरिका, कनाडा, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, आॅस्ट्रेलिया और इजरायल भी शामिल है।  अमेरिका ने कहा है कि  अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर चीन पर यह दबाव बनाना जारी रखेंगे कि वह पारदर्शिता बरते, आंकड़े एवं सूचना देने के लिए तैयार रहे। वह कहता है कि वह इसमें शामिल नहीं होगा तो ऐसा नहीं होगा कि हम खड़े रहकर केवल यह देखते रहें और उसकी इस बात को मान लें।ऐसी भी थ्योरी दी जा रही है कि वुहान लैब से दुर्घटनावश कोरोना वायरस लीक हो गया और यह पूरी दुनिया में महामारी के रूप में फैल गया है। हालांकि चालबाज चीन  इस बात से लगातार इनकार कर रहा है कि इस महामारी का जन्मदाता वही है । विश्व स्वास्थ्य संगठन  टीम के सदस्य इस साल की शुरुआत में चीन दौरे पर गए थे ताकि नोबल कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगा सकें। टीम ने कहा है कि इससे जुड़े अधिकतर डाटा तक पहुंच नहीं सके हैं। इसके बाद से ही दुनियाभर में  चीन की मंशा  को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

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