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जो बाइडन के लिए आसान नहीं अमेरिका में शासन करना, नियुक्तियों पर अभी से हुआ बवाल 

अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन दवारा की गई नियुक्तियों पर अभी से सवाल उठने शुरू हो गए हैं। उनके मंत्रिमंडल को लेकर देश में असंतोष पैदा होने लगा है। क्योंकि बिडेन के अपने मंत्रिमंडल में कई ऐसी नियुक्तियां है जिनको लेकर मुश्किलें खड़ी हो सकती है। ऐसी ही एक नियुक्ति है नीरा टंडन, बजट प्रबंधन के लिए भारतीय मूल की नीरा टंडन को चुना गया है। लेकिन इससे रिपब्लिकन पार्टी के साथ-साथ डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रगतिशील धड़ा पूरी तरह से उनके विरोध में खड़ा हो गया है।

दरअसल अमेरिका में मंत्रिमंडल के हर नियुक्त सदस्य का अनुमोदन संसद का ऊपरी सदन सीनेट करे यह अनिवार्य होता है। मौजूदा समय में सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी के पास बहुमत नहीं है। उसकी सारी उम्मीदें पांच जनवरी को जॉर्जिया राज्य में सीनेट की दो सीटों के लिए होने वाले दोबारा मतदान पर हैं। अगर ये दोनों सीटें डेमोक्रेटिक पार्टी जीत जाए, तो सीनेट में उसका बहुमत हासिल हो जाएगा। और अगर ऐसा नहीं हुआ तो जो बाइडन के लिए शासन करना बेहद मुश्किल भरा हो सकता है।

पहली मुश्किल बाइडन के सामने यह होगी कि वह नीरा टंडन और कुछ और नियुक्त मंत्रियों का अनुमोदन कैसे कराएंगे। इसमें उनको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटरों ने कहा है कि वह मंत्रियों का अनुमोदन उनके गुण दोष के आधार पर करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि बाइडन को मंत्रियों की नियुक्ति के पहले उनसे सलाह -मशविरा करना चाहिए। लेकिन नवनिर्वाचित बाइडेन ने ऐसा नहीं किया।

डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रोग्रेसिव खेमे की मांग रही है कि निर्वाचित राष्ट्रपति दवारा सरकार में कुछ प्रगतिशील नेताओं को सम्मिलित किया जाए चाहिए। परन्तु अभी तक जो भी नियुक्तियां बाइडन ने की हैं, उससे इस खेमे में नाराजगी है।

इस धड़े की स्टार नेता एलेक्जेंड्रिया ओकासियो कॉर्तेज का कहना है कि राष्ट्रपति दवारा ऐसे लोगों को नियुक्त किया जाना चाहिए, जो मेहनतकश परिवारों के हित में काम करें। तभी इस तबके का समर्थन डेमोक्रेटिक पार्टी जीत सकेगी। कॉर्तेज ने कहा कि अगर सरकारी खर्च में किफायत की मानसिकता वाले नेताओं को अहम पद दिए जाते हैं, तो 2022 के संसदीय चुनाव में पार्टी की संभावनाएं धूमिल हो जाएंगी।

प्रोग्रेसिव खेमा को खास एतराज नीरा टंडन की नियुक्ति पर हुआ है। टंडन उदारवादी थिंक टैंक- सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस की प्रमुख हैं। वे नव उदारवादी आर्थिक नीतियों की समर्थक रही हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी में राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया के दौरान उन्होंने सोशलिस्ट नेता बर्नी सैंडर्स की बार-बार आलोचना की थी।

प्रोग्रेसिव खेमा सैंडर्स को अपना प्रेरक पुरुष मानता है। प्रगतिशील सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन हालांकि सैंडर्स खेमे से संबंधित नहीं हैं, लेकिन उन्होंने बुधवार को यह कहा कि निर्वाचित राष्ट्रपति को कुछ मजबूत प्रगतिशील छवि वाले नेताओं को अपने प्रशासन में शामिल करना चाहिए।

नीरा टंडन को लेकर भी रिपब्लिकन नेताओं में काफी नाराजगी है। ट्विटर के जरिए वे रिपब्लिकन नेताओं पर भी हमले करती रही हैं। इसी कारण कई रिपब्लिकन नेता उनसे खफा हैं।  इसीलिए अटकलें लगाई जा रही है कि ये दोनों खेमे सीनेट में उनका अनुमोदन रोकने में कामयाब हो सकते हैं।

रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर जॉन थुने ने कहा है कि नीरा टंडन के नाम का जैसा विरोध हुआ है, उसे बाइडन को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। अब उन्हें ऐसे नेताओं को ही नियुक्त करना चाहिए, जिनका सीनेट से अनुमोदन करवा पाना संभव हो।

सीनेटर चक ग्रेसले ने कहा है कि बाइडन को ऐसे नेताओं की नियुक्ति करनी चाहिए, जिसे दोनों पार्टियों का समर्थन मिल सके। जब जाकर ही उनकी नियुक्तियों का वह हाल नहीं होगा जो डोनाल्ड ट्रंप की अटार्नी जनरल के रूप में पहली नियुक्ति का हुआ था। ट्रंप ने जेफ सेसन्स को अपना अटार्नी जनरल नियुक्त किया था, लेकिन सीनेट उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई।

अमेरिकी परंपरा के मुताबिक, नए राष्ट्रपति की कुछ नियुक्तियों का अनुमोदन उनके पद संभालने के पहले दिन ही सीनेट कर देती है। लेकिन एक तरफ कई ऐसे उदाहरण भी रहे हैं कि जिन नामों पर एतराज रहा हो उन्हें सदन में मानने से इंकार भी कर दिया गया है।

रिपब्लिकन नेताओं की ओर से कहा गया है कि जॉर्जिया में चुनाव के बाद अगर उनका बहुमत बना रहा, तो वे हर नियुक्ति गुण-दोष के आधार पर करेंगे। यानी पहले ही दिन वे कई नामों का अनुमोदन कर दें, मुमकिन है कि ऐसा नही हो।

अब तक राष्ट्रपति ट्रंप के हार ना स्वीकार ने करने से पहले ही दोनों दलों में तनाव और नाराजगी बढ़ चुकी है। इसलिए रिपब्लिकन नेताओं की इस चेतावनी को गंभीरता से लिया जा रहा है और अगर डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रोग्रेसिव खेमा भी नाराज बना रहा, तो बाइडन को और अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

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