पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण फैल चुका है। तो वहीं दूसरी तरफ करीब डेढ़ साल बाद भी अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति कैसे हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच कर रही खुफिया एजेंसियों को 90 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
अमेरिका की नेशनल लैब एजेंसी कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच में मदद करेगी। अमेरिका ने भी चीन से मामले की जांच में मदद की अपील की है।
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि दुनिया में कोरोना वायरस की उत्पत्ति के लिए केवल दो सिद्धांत सामने आए हैं। इसमें जानवरों से मनुष्यों में वायरस का संचारण या प्रयोगशाला में वायरस का उत्पादन शामिल है। फिलहाल इन दोनों थ्योरी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसलिए उन्होंने कहा कि उन्हें कोरोना की जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ ही दिनों पहले वुहान की एक प्रयोगशाला के तीन शोधकर्ताओं ने कोरोना के दुनिया में फैलने से पहले ही संक्रमित होने का दावा किया था। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन शोधकर्ता 2019 में बीमार पड़ गए। उस समय उन्होंने इलाज के लिए मदद भी मांगी थी। इन शोधकर्ताओं में कोरोना लक्षण पाए गए। नवंबर-दिसंबर 2019 के बाद कोरोनरी मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ। ऐसे में चीन एक बार फिर शक के भंवर में फंस गया है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल की एक गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर इस खबर की सूचना दी। रिपोर्ट को कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में जानने में विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए काफी मददगार बताया जा रहा है।