यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया को खाद्य संकट के कगार पर खड़ा कर दिया है। ऐसा हम नहीं बल्कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के पास अब कुछ ही हफ़्तों का गेहूं बचा है। यूरोप की ‘ब्रेड बास्केट’ कहे जाने वाले यूक्रेन पर रूस का हमला खाद्य आपूर्ति को लेकर स्थिति को विकट बना रहा है। तो वहीं इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुकिन ने अमेरिका को एक पेशकश की है। रूसी राष्ट्रपति ने कहा है कि अगर अमेरिका रूस के खिलाफ ‘कुछ’ प्रतिबंध हटाता है, तो रूस खाद्य संकट को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएगा।
ख़राब मौसम और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इस साल गेहूं की पैदावार में रिकॉर्ड नुकसान हुआ है और यही खराब मौसम उत्तरी अमेरिका, यूरोप, भारत और दक्षिण अमेरिका में उत्पादन की संभावनाओं को कम कर रहा है। गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन ही सबसे अधिक गेहूं का उत्पादन करते हैं, लेकिन जारी युद्ध में रूस द्वारा यूक्रेन के बंदरगाह वाले शहरों पर कब्जा कर लिया गया है।
रूसी सैनिक बंदरगाह वाले शहर ओडेसा और मारियुपोल को पूरी तरह से अपने अधीन कर चुके हैं और काला सागर पर भी रूस की नौसेना का कंट्रोल है, जिसके कारण यूक्रेनी बंदरगाह होते हुए अब गेहूं की सप्लाई नहीं हो पा रही है। पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रूस, यूक्रेन, तुर्की, अमेरिका और यूरोपीय संघ के अधिकारियों के साथ यूक्रेनी अनाज निर्यात की बहाली पर चर्चा करने के लिए संपर्क साधा था। वहीं, अमेरिका रूस पर पूरी दुनिया को ब्लैकमेल करने का आरोप लगा रहा है।
यूक्रेन युद्ध के बाद पूरी दुनिया में तेल, गैस का संकट गहराया और अब गेहूं का संकट आ खड़ा हुआ है। रूस पर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने अनेक प्रतिबंध लगाए हैं, उन्हें प्रतिबंधों से छुटकारा पाने के लिए रूस इन तीनों चीजों का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। अमेरिका और यूरोपीय देश तो रूस के तेल और गैस आपूर्ति पर भी रोक लगाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन पूरी दुनिया की नजरे इस हफ्ते केवल खाद्य संकट पर है।
यूएन महासचिल एंटोनियो गुटेरेस का कहना है कि वह यूक्रेन के निर्यात को मुक्त करने की कोशिशें की जांच कर रहे हैं, परन्तु उससे पूर्व रूस की गेहूं की स्थिति पर भी नजर रखनी होगी। पिछले कई महीनो से रूस गेहूं को जमा कर रहा था जिसकी जानकारी अब हुई है। मौसम की मार से गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है।
रूस का अमेरिका को ऑफर
इस बीच अमेरिका को रूस ने एक पेशकश की थी कि अगर वह उस पर लगाए सभी प्रतिबंधों को वापस ले ले, तो वह अपने कण्ट्रोल किए बंदरगाह से गेहूं निर्यात की अनुमति दे देगा। लेकिन, अमेरिका द्वारा रूस के इस ऑफर को ठुकरा दिया गया। जिस पर कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका ने ऑफर ठुकराने के साथ ही रूस के साथ बातचीत करने में शामिल होने का एक अहम मौका भी खो दिया है। अमेरिका ने रूस पर आरोप लगाते हुए कहा है कि क्रेमलिन ने शिपमेंट को रोककर वैश्विक खाद्य संकट को हवा दी है।
वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन की ओर रूसी तेल की एक रिकॉर्ड मात्रा में टैंकर समुद्री जहाज के जरिए बढ़ रहे हैं क्योंकि अन्य राष्ट्र यूक्रेन में युद्ध के कारण आयात को प्रतिबंधित कर चुके हैं। ऐसे में अंदेशा इस बात का भी है कि कहीं इन जहाजों पर कोई हमला न हो। इस वक्त दुनिया के कई हिस्से में गेहूं का उत्पादन कम होने की आशंका जताई जा रही है। फ़्रांस के एक बड़े हिस्से में फसलों पर सामान्य तापमान से अधिक और शुष्क परिस्थितियों से प्रभाव पड़ता है तो वहीं, जर्मनी और पोलैंड में भी सूखे की स्थिति है।
भारत ने गर्म मौसम के कारण अपने गेहूं की फसल के अनुमान में 4.4 प्रतिशत की कमी की आशंका जताई है और भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, यूएसडीए ने चीन की गेहूं की फसल 135 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है, जो पिछले साल की तुलना में एक प्रतिशत कम है। इस वसंत ऋतु के अच्छे मौसम ने खराब बुवाई के मौसम में पिछली गिरावट के बाद पैदावार बनाए रखने में मदद की, लेकिन गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा और सामान्य से अधिक मात्रा में फ़ीड की गुणवत्ता होगी।