डोनाल्ड ट्रम्प चीन के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। उनके पहले कार्यकाल में अमेरिका और चीन के रिश्ते काफी खराब हो गए थे। ये स्थिति भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सम्बंधों को और मजबूत कर सकती है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान वो क्वाड को मजबूती देने के लिए काफी सक्रिय दिखे थे। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से भारत के साथ हथियारों के निर्यात, संयुक्त सैन्य अभ्यास और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में दोनों देशों के बीच ज्यादा अच्छा तालमेल दिख सकता है। ये चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारत की स्थिति ज्यादा मजबूत कर सकता है। लेकिन प्रवासियों को लेकर ट्रम्प की नीतियां भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। ट्रम्प इस मामले में काफी मुखर हैं और उन्होंने इसे अमेरिकी चुनाव का अहम मुद्दा बनाया था। ट्रम्प ने अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेजने का वादा किया है। अगर ये नीति जारी रही तो भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरियों के अवसर कम होंगे
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर दुनियाभर की नजर थी। हाल ही में आए चुनावी नतीजों से यह तय हो चुका है कि अगले चार सालों तक अमेरिका में किसका शासन रहेगा। रिपब्लिक पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने प्रतिद्वंद्वी दल डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस को हराते हुए 295 इलेक्टोरल वोट से जीत हासिल की है, वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस को 226 इलेक्टोरल वोट प्राप्त हुए। इलेक्टोरल कॉलेज में 538 इलेक्टर होते हैं। राष्ट्रपति पद तक पहुंचने के लिए 270 इलेक्टोरल वोटों का बहुमत होना जरूरी है। लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने बहुमत के आकड़े को भी पार कर लिया है। उन्हें इस चुनाव का विजेता घोषित कर दिया गया है। डोनाल्ड ट्रम्प ने जीत के बाद अमेरिकी नागरिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ये क्षण देश को उबरने में मदद करेगा। अमेरिका ने हमें अभूतपूर्व जनादेश दिया है, मैं आपके लिए लड़ता रहूंगा, ऐसी जीत पहले कभी नहीं देखी। आपके लिए शरीर की हर सांस तक खड़ा रहूंगा, तब तक चैन से नहीं बैठूंगा जब तक एक मजबूत और समृद्ध अमेरिका आपको नहीं दे देते, जिसके आप हकदार हैं। अगले 4 साल अमेरिका का स्वर्णिम काल होगा। डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनेंगे। वे 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। सवाल यह है कि आखिर 20 जनवरी को ही शपथ क्यों? दरअसल चुनाव और शपथ के बीच का समय राष्ट्रपति चुने गए प्रत्याशी को कैबिनेट चुनने के लिए दिया जाता है। इसे लेम डक पीरियड कहते हैं। कभी यह अवधि चार महीने की होती थी और नया राष्ट्रपति 4 मार्च को शपथ लेता था। लेकिन 23 जनवरी 1933 को अमेरिकी संविधान के 20वें संशोधन में इसे 20 जनवरी किया गया। फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने 1937 में पहली बार इसी तारीख को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।
राष्ट्रपति चुनाव में सत्ताधारी दल डेमोक्रेटिक की उम्मीदवार उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और मुख्य विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। चुनाव से पहले अंतिम दिनों में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प ने मतदाताओं को अपनी-अपनी ओर रिझाने की भरपूर कोशिश की। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों उम्मीदवारों ने एक-दूसरे को घेरने के लिए तमाम मुद्दों का भी सहारा लिया। इन दो प्रमुख प्रतिद्वंदियों के अलावा 3 उम्मीदवारों ने भी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई है। डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के अतिरिक्त ग्रीन पार्टी की 74 वर्षीय महिला उम्मीदवार जिल स्टेन, लिबरल पार्टी से युवा उम्मीदवार चेस ओलिवर और 71 वर्षीय निर्दलीय उम्मीदवार कोर्नल वेस्ट भी राष्ट्रपति की रेस में शामिल थे।
सात स्विंग स्टेट में भी ट्रम्प आगे
अमेरिका के 50 राज्यों में 538 सीटों या अमेरिका के हिसाब से कहें तो इलेक्टोरल वोट के लिए चुनाव हुआ। इन सीटों में जीतने वाले प्रत्याशी को 270 का आंकड़ा पार करना था जिसे डोनाल्ड ट्रम्प ने आसानी से पार किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुई वोटिंग में गिनती के बाद जो परिणाम आए हैं उससे साफ हो गया है कि सिनेट में रिपब्लिकन पार्टी को बहुमत मिल चुका है। अमेरिका में कहा जाता है कि सत्ता की चाभी वाले सात स्विंग स्टेट में जो जीतता है उसे पूरे चुनाव में जीत मिल जाती है। इन सात स्विंग स्टेट में से एक नॉर्थ कैरोलिना पर ट्रम्प ने पूरे समर्थन के साथ जीत हासिल की है। चुनाव के दौरान सातों स्टेट में डोनाल्ड ट्रम्प आगे रहे हैं। स्विंग स्टेट वे राज्य हैं जहां पर किसी पार्टी के समर्थन का रिकॉर्ड नहीं है। यानी लोग पार्टी और प्रत्याशी के हिसाब से वोट करते हैं और समर्थन बदल जाता है। सभी सात स्विंग स्टेट कुछ इस प्रकार हैं – पेंसिल्वेनिया, मिशिगन, विस्कॉन्सिन, जॉर्जिया, नेवादा, एरिजोना और नॉर्थ कैरोलिना। जॉर्जिया एक ऐसा स्विंग स्टेट है जिसने इस बार ट्रम्प का साथ दिया है। यहां पर डोनाल्ड ट्रम्प ने कमला हैरिस पर जीत दर्ज की है। यहां के 16 इलेक्टोरल वोट ट्रम्प के खाते में गए हैं। डोनाल्ड ट्रम्प को यहां 51 फीसदी और कमला हैरिस को 48 प्रतिशत मत मिले हैं। पिछले चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी ने जिन राज्यों में जीत हासिल की थी उन राज्यों को इस बार रिपब्लिकन दल ने हासिल किया है। नॉर्थ कैरोलिना में 16 इलेक्टोरल वोट हैं, यहां पर ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी जीत पाई है। पेन्सिलवेनिया में 19, मिशिगन में 15, विस्कॉन्सिन में 10, एरिजोना में 11 और नेवादा में 6 इलेक्टोरल वोट हैं। इन सभी राज्यों में ट्रम्प ने डेमोक्रेटिक पार्टी को पछाड़ते हुए जीत हांसिल की है। ये इस बात का संकेत है कि डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस इन राज्यों के शहरी और उपनगरीय इलाकों में रहने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थकों की उम्मीदें पूरी नहीं कर पाई हैं।
अमेरिका में प्रमुख रूप से दो दलों डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन पार्टी के बीच मुकाबला होता रहा है। वर्तमान में जो बाइडेन की सरकार है और वे डेमोक्रेट्स पार्टी से आते हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के 2020 में चुनाव जीतने के बाद बाइडेन राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने तब डोनाल्ड ट्रम्प को हराया था। उस दौरान बाइडेन को 306 और ट्रम्प को 232 इलेक्टोरल वोट्स मिले थे। इससे पहले जब 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी की ओर से चुनाव जीते थे तब उन्हें 304 और डेमोक्रेट्स की प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन को 227 इलेक्टोरल वोट मिले थे। इस चुनाव में डेमोक्रेट्स पार्टी की कमला हैरिस से ट्रम्प का मुकाबला हुआ जिसमें एक बार फिर ट्रम्प ने डेमोक्रटिक पार्टी को करारी शिकस्त दी।
इस चुनाव में कमला हैरिस ने भी डोनाल्ड ट्रम्प को शिकस्त देने की पूरी कोशिश की थी। चुनावी रैलियों के दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा था कि वह बाइडेन प्रशासन से अलग अपनी नीतियों पर काम करेंगी। एक वजह यह भी है कि महिलाओं के सबसे ज्यादा वोट कमला हैरिस को प्राप्त हुए हैं। 44 फीसदी महिलाओं की पसंद ट्रम्प रहे हैं तो वहीं कमला हैरिस को 54 फीसदी वोट महिलाओं से मिले हैं। गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रम्प के आक्रामक रवैये और जो बाइडेन की उम्र के चलते पहली चुनावी डिबेट में जो बाइडेन काफी पिछड़ने लगे थे। बढ़ती उम्र को लेकर हो रहे विरोध को देखते हुए बाइडेन ने राष्ट्रपति चुनाव से अपना नाम वापिस लेने के साथ डेमोक्रेटिक पार्टी से कमला हैरिस का नाम राष्ट्रपति चुनाव के लिए आगे बढ़ाया था। कमला हैरिस के पास डोनाल्ड ट्रम्प के आक्रामक रुख का जवाब देने के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं था। लेकिन उन्होंने चुनाव में जोरदार कैंपेन किया। डोनाल्ड ट्रम्प को इस बार के चुनाव में अमेरिका के कई उद्योगपतियों का समर्थन हासिल था। दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार एलन मस्क ने तो समर्थन के साथ ही खुलकर कई बार डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में प्रचार भी किया।
इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प जहां कमला हैरिस को कम्युनिस्ट करार देते हुए अर्थव्यवस्था और गैरकानूनी इमीग्रेशन के मुद्दे को सबसे ज्यादा उछाल रहे थे। वहीं कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रम्प को एक अलोकतांत्रिक इंसान करार दे रही थी। देश में लोकतंत्र को बचाने के मुद्दे के साथ-साथ सबसे ज्यादा वे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के मुद्दे पर जोर दे रही थी। कमला हैरिस ने 30 लाख नए घर बनाने, पहली बार घर खरीदने वालों को आर्थिक मदद देने और डेवलपर्स को भी टैक्स इन्सेंटिव देने का प्रस्ताव अमेरिकी जनता के सामने रखा था। हालांकि उनके ये प्रस्ताव उन्हें चुनावी जीत न दिला सके। जबकि ट्रम्प ने हाउसिंग के लिए कोई औपचारिक की घोषणा तो नहीं की थी पर यह जरूर कहा है कि रेगुलेशन कम करके हाउसिंग को अधिक अफोर्डेबल किया जाएगा तथा सप्लाई बढ़ाई जाएगी। ट्रम्प का सबसे रोचक प्रस्ताव अवैध अप्रवासियों को वापस भेजने तथा उनके घर खरीदने पर रोक लगाने का है। उनका कहना है कि इससे घरों की डिमांड कम होगी तो दाम अपने आप कम होंगे। अपनी कई चुनावी रैलियों में डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका की आर्थिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए महंगाई को देश के लोगों के सामने प्रमुखता से रखा था। उन्होंने कमला हैरिस पर निशाना साधते हुए कहा था कि जो बाइडेन के राष्ट्रपति के तौर पर कमला हैरिस उनकी उपराष्ट्रपति रहते हुए नाकाम हुई हैं, राष्ट्रपति बनने के बाद कमला हैरिस क्या बदलेंगी जो वह अभी तक नहीं कर पाईं थी।
ट्रम्प को मिली जीत की बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दुनियाभर के नेताओं ने डोनाल्ड ट्रम्प को उनकी जीत पर बधाई दी है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने डोनाल्ड ट्रम्प को जीत की बधाई देते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, वह पहले की ही तरह उनके साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं, वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रम्प की जीत पर बधाई देते हुए कहा, ‘ट्रम्प की वापसी अमेरिका के नए दौर की शुरुआत है और इजरायल के साथ शक्तिशाली गठबंधन को पुनः प्रतिबद्धता प्रदान करती है।’ हंगरी के प्रधानमंत्री ओर्बन ने कहा कि दुनिया को इस जीत की बेहद जरूरत थी तो वहीं ऑस्ट्रिया की चांसलर कार्ल नेहमर ने भी बधाई दी और कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ऑस्ट्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, हम वैश्विक चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान करने के लिए अपने ट्रांस-अटलांटिक सम्बंधों को और विस्तारित और मजबूत करने के लिए तत्पर हैं।
पाकिस्तान भी बधाई देने वाले देशों की कतार में रहा। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने डोनाल्ड ट्रम्प को बधाई देते हुए एक्स पर लिखा, ष्राष्ट्रपति-चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प को दूसरे कार्यकाल के लिए उनकी ऐतिहासिक जीत पर बधाई! मैं पाकिस्तान-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत और व्यापक बनाने के लिए आने वाले प्रशासन के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने डोनाल्ड ट्रम्प को जीत की बधाई देते हुए कहा कि भविष्य के सालों में आपके साथ काम करने की आशा रखता हूं। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने बधाई देते हुए एक्स पर लिखा कि मुझे सितंबर में राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ हमारी शानदार बैठक याद है, जब हमने यूक्रेन-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी, विजय योजना और यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता को समाप्त करने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की थी। मैं वैश्विक मामलों में ‘शक्ति के माध्यम से शांति’ दृष्टिकोण के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प की प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं। यह बिल्कुल वही सिद्धांत है जो व्यावहारिक रूप से यूक्रेन में न्यायपूर्ण शांति ला सकता है। मुझे उम्मीद है कि हम इसे एक साथ क्रियान्वित करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की शानदार जीत पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बधाई दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने एक्स पर लिखा, मेरे दोस्त ण्डोनाल्ड ट्रम्प को चुनाव में ऐतिहासिक जीत पर दिल से बधाई हैं, जैसा कि आप अपने पिछले कार्यकाल की सफलताओं को आगे बढ़ा रहे हैं। मैं भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए हमारे सहयोग को नए मुकाम तक पहुंचाने के लिए उत्सुक हूं। आइए मिलकर अपने लोगों की भलाई के लिए और वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए काम करते हैं।
ट्रम्प की जीत से क्या होगा भारत पर असर
डोनाल्ड ट्रम्प की जीत का असर भारत के साथ उसके विदेशी सम्बंधों पर पड़ेगा। ट्रम्प कई बार भले ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बता चुके हैं लेकिन भारत की नीतियों पर वे हमला भी बोलते रहे हैं। विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रम्प की आर्थिक नीतियां ‘अमेरिका फर्स्ट’ पर केंद्रित हैं। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी अमेरिकी उद्योगों को संरक्षण देने की नीति अपनाई थी। उन्होंने चीन और भारत समेत कई देशों के आयात पर भारी टैरिफ लगाया था। ट्रम्प ने अमेरिका फर्स्ट का नारा दिया है और वो अमेरिकी वस्तुओं और सेवाओं के आयात पर ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों के ख़िलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। भारत भी इसके घेरे में आ सकता है। ट्रम्प के अनुसार भारत कारोबारी नियमों का बहुत ज्यादा उल्लंघन करता है। ट्रम्प अमेरिकी चीजों पर भारत का बहुत ज्यादा टैरिफ लगाना पसंद नहीं करते। ट्रम्प चाहते हैं कि उनके देश से आयात होने वाली चीजों पर 20 फीसदी तक ही टैरिफ लगे। कुछ अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगर ट्रम्प के टैरिफ नियम लागू हुए तो 2028 तक भारत की जीडीपी में 0.1 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। भारत और अमेरिका के बीच 200 अरब डॉलर का कारोबार होता है। अगर ट्रम्प ने टैरिफ की दरें ज़्यादा बढ़ाईं तो इससे भारत को आयात में काफी नुकसान होगा। इसके अलावा ट्रम्प की कारोबारी नीतियों से भारत का आयात महंगा हो सकता है। ये महंगाई दर को बढ़ाएगा और इसे ब्याज दरों में ज्यादा कटौती नहीं हो पाएगी।