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आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान में पिछले दिनों कुदरत का क्रोध इस कदर बरपा कि लोगों के पास न तो रहने हो छत है और न ही पीने को स्वच्छ पानी। ऐसे में गेहूं और आटे की कीमत में हुई बढ़ोतरी लोगों के सामने कंगाली में आटा गीला करने जैसा है। यही नहीं इन हालातों को लेकर कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में बेघर हुए लाखों लोगों पर अकाल मौत का साया भी मंडराने लगा है

पड़ोसी देश पाकिस्तान की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पिछले कुछ सालों से देश अलग- अलग चुनौतियों का सामना कर रहा है। पहले राजनीतिक संकट, फिर आर्थिक संकट और इसी बीच कुदरत का कहर ऐसा बरपा की पूरा देश गले तक डूब चुका है। दरअसल एक महीने पहले तक पाकिस्तान की सरकार दिवालिया होने से बचने के लिए आईएमएफ से लोन लेने के लिए जद्दहोजहद कर रही थी ताकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके। आईएमएफ पैसे देने वाला ही था कि बाढ़ ने दस्तक दे दी और रही सही कसर भी निकाल दी। महंगाई और अन्य समस्याओं से जूझ रहे पाक में स्थिति और खराब होती जा रही है। एक बार फिर गेहूं और आटे की कीमत में 10-20 फीसदी की बढ़ोतरी से कहा जा रहा है कि कंगाली में आटा गीला।

‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर में फसल की बुआई में संभावित देरी के कारण गेहूं और आटे के दाम में 10-20 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। यही नहीं पाकिस्तान सरकार द्वारा अनाज समर्थन मूल्य को भी दोगुना कर दिया गया है।

पाकिस्तान में हालात कितने खराब हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कराची शहर में आटे की कीमत 125 रुपए किलो हो चुकी है, जबकि 6-7 महीने पहले तक यह कीमत करीब 25 रुपए प्रति किलो थी। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 15 सितंबर को समाप्त सप्ताह में गेहूं के आटे की कीमत में 7.51 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और अब इसकी कीमत 106.38 रुपए प्रति किलो है।

महज तीन महीनों बढ़े गेहूं के दाम

बढ़ोतरी सिर्फ आटे की कीमत में ही नहीं, बल्कि गेहूं में भी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार गेहूं की कीमत में एक हफ्ते में 14 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। फिलहाल गेहूं 88 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है, जबकि एक हफ्ते पहले इसकी कीमत करीब 77 रुपए प्रति किलो थी। पाक में गेहूं की कीमत पिछले तीन महीने में 30 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों पाकिस्तान में आई अप्रत्याशित बाढ़ में हजारों लोगों की जान चली गई। जलवायु परिवर्तन की वजह से आई इस आपदा ने आर्थिक स्तर पर भी पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। जिससे महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। बाढ़ की वजह से हजारों लोग जान गंवा चुके हैं। बाढ़ से पीड़ित लोगों को सही स्वास्थ्य और सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जिसकी वजह से लोगों को गंभीर बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक पाकिस्तान में बाढ़ की विभीषिका से 1 करोड़ 60 लाख बच्चे प्रभावित हुए हैं। बहुत सारे बच्चे डेंगू, दस्त और त्वचा रोगों के शिकार हुए हैं। इस बाढ़ में कम से कम 530 बच्चों की जान चली गई है। वहीं बच्चे अपने परिवार के साथ असुरक्षित जगहों पर रहने को मजबूर हैं। स्कूल बंद हो गए हैं और अस्पतालों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से बच्चों को स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। इस दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि बीमारियों और मौतों की दूसरी लहर पाकिस्तान में और तबाही मचा सकती है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ ़टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का कहना है कि ‘मैं पाकिस्तान में दूसरी आपदा की संभावना को लेकर चिंतित हूं।’
बाढ़ की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं और इन्फ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बाढ़ के पानी घटने के बावजूद भी लाखों लोगों के सिर पर मौत मंडरा रही है। स्वच्छ पानी की सप्लाई बाधित होने की वजह से लोगों को गंदा पानी पीना पड़ रहा है। इसकी वजह लोगों में कालाज्वार और डायरिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं। देश में बाढ़ के बाद डेंगू का खतरा बढ़ने लगा। दक्षिण सिंध प्रांत में डेंगू के 3 हजार 830 मामले दर्ज किए गए हैं। जिसमें से दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक डेंगू से मरने वालों की संख्या में इजाफा हो सकता है। डब्लूएचओ ने 1 करोड़ डॉलर का फंड पाकिस्तान के लोगों को बचाने के लिए जारी किया है।

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