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पश्चिमी देशों ने ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए की बैठक

ईरान और अमेरिका एक दूसरे को ऐसे देखते है जैसे चूहे को बिल्ली। अमेरिका ने ईऱान पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं। ईरान इन प्रतिबंधों की परवाह किए बगैर परमाणु हथियार बना रहा है। जिसको लेकर अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने चिंता जाहिर की है। लेकिन अब एक बार फिर अमेरिका ने संकेत दिए है, कि वह ईरान के साथ 2015 में हुए परमाणु समझौते की शर्तों को एक बार फिर स्वीकार करने को तैयार है। लेकिन अमेरिका तभी इन शर्तों को स्वीकार करेगा, जब ईरान समझौते की सभी बातों को मानेगा।

इसी संबंध में पश्चिमी देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक हुई है। पेरिस में हुई इस बैठक में फ्रांस, जर्मनी, और ब्रिटेन के विदेश मंत्री आए हुए थे। इन पश्चिमी देशों का मकसद है कि ईऱान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना। लेकिन वहीं ईरान की तरफ से इस मुद्दे को लेकर कहा गया है कि ईऱान इन सभी शर्तों को तभी मानेगा, जब अमेरिका उन पर आर्थिक प्रतिबंधों को हटाना शुरू करेगा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तीन साल पहले इस समझौते से खुद को बाहर कर लिया था, और ईरान पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। ईरान ने कई महीनों तक पश्चिमी देशों से आग्रह किया था, कि वह इस मामले पर हस्तक्षेप करें और इस मुश्किल का कोई रास्ता निकालें। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

लेकिन अमेरिका में अब डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल खत्म हो चुका है। सत्ता परिवर्तन के बाद जो बाइडन प्रशासन से उम्मीद लगाई गई है कि वह 2015 के समझौते पर जरूरी कार्रवाई करेगा। लेकिन विशेषज्ञ मानते है कि आने वाला समय काफी चुनौतियों से भरा होगा, क्योंकि अमेरिका उस समझौते पर तभी बात करेगा, जब ईरान समझौते में उल्लेखित शर्तों का पालन करेगा।

पेरिस में हुई बैठक के बाद चारों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। बयान में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन ने कहा कि “अगर ईरान ज्वॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ़ एक्शन (2015 परमाणु करार का औपचारिक नाम) के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का कड़ाई से पालन करते हुए वापसी करता है तो अमेरिकी भी ईरान के साथ इस ओर बढ़ने के लिए बातचीत करने के लिए तैयार है।”

इस बयान के बाद ईरान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पहले अमेरिका को शुरूआत करनी चाहिए। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने कहा है कि “ईरान को ज़िम्मेदार बनाने और चालाकी से भरी बातें करने की जगह ई3 और यूरोपीय संघ को अपनी प्रतिबद्धताओं और ईरान के ख़िलाफ़ ट्रंप के आर्थिक चरमपंथ की विरासत को ख़त्म करने की माँग को पूरा करना चहिए।” वहीं, एक अमेरिकी अधिकारी ने रॉयटर्स से बात करते हुए कहा है कि “मुझे नहीं लगता है कि कौन पहले क़दम उठाता है यह एक समस्या है। मुझे लगता है कि शर्तों के पालन का मतलब क्या है, उसे कैसे परिभाषित किया जाएगा, ये एक बड़ी चुनौती है।”

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