पड़ोसी देश पाकिस्तान पहले ही कई मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है । देश का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने की वजह से आर्थिक स्थिति चरम पर है। इस बीच पाकिस्तान पर कुदरत का कहर इस कदर वर्षा कि लगभग पूरा देश पानी में डूबने की कगार पर है। इसके कारण अब सालों से भारत को आंख दिखाने वाला पाकिस्तान भारत से मदद की उम्मीद लगाए बैठा है। हालांकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री सीधे- सीधे भारत से कोई सहायता नहीं मांग रहे हैं । लेकिन भारत के साथ पाक का व्यापार करने का एलान के ये मायने निकाले जा रहे हैं कि पाक भारत से मदद की उम्मीद लगाए हुए है। वहां की जनता की उम्मीदें भी भारत से लगी हुई है। पाकिस्तान भारत की इस चीज से बखूबी परिचित है कि भारत हमेशा से ही मुश्किल दौर में अपने पड़ोसी देशों की मदद करता रहा है। इसी वजह से पाकिस्तान की जनता भारत से मदद की गुहार लगा रही है।
इससे पहले आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की भी भारत ने काफी मदद की है। अफगानिस्तान में भी तालिबान शासन होने के बावजूद भारत द्वारा मानवीय आधार पर वहां के लोगों के लिए अनाज, दवाइयां और जरूरत का सामान भिजवाया गया था। मोदी सरकार ने ‘पड़ोस प्रथम’ नीति अपनाते हुए हमेशा नेपाल, म्यांमार, भूटान और बांग्लादेश की मदद की है। पीएम मोदी ने पाकिस्तान की इस हालत पर खेद प्रकट किया है। उन्होंने सोमवार को ट्वीट कर कहा है कि , पाकिस्तान में बाढ़ से हुई तबाही को देखकर दुखी हूं। हम पीड़ितों, घायलों और इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित सभी लोगों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं। साथ ही सामान्य स्थिति की शीघ्र बहाली की आशा करते हैं। बीते 14 जून से जारी भारी बारिश के चलते पाकिस्तान में आई बाढ़ में 70 फीसदी डूब हिस्सा चुका है । इस बाढ़ में बारह हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। वहीं लाखों लोग विस्थापित हो गए है। सरकार बाढ़ से जनता को बचाने के पूरे प्रयास कर रही है। लेकिन ये प्रयास पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहें ।
दाने-दाने को मोहताज
बाढ़ के कारण देश की जनता दाने – दाने के लिए महोताज हो रही है। अंदेशा लगाया जा रहा है कि बाढ़ के कारण भुखमरी जैसे हालात पैदा हो सकते है।
पहले से ही महंगाई की मार झेल रही जनता अब दूध से लेकर सब्जियों तक के दाम तीन गुना तक बढ़ गए। पाकिस्तान के सिंध बलूचिस्तान ,खैबर पख्तूनख्वा , पंजाब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके ) में 38, गिलगित बाल्टिस्तान इस्लामाबाद जैसे प्रांतों में बाढ़ के असर से हुए नुकसान को देखा जा सकता है। बाढ़ के कारण बलूचिस्तान, सिंध और दक्षिण पंजाब से सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है। टमाटर की कीमत 400 से 500 किलो तक पहुँच गई है। वहीं आलू की कीमत 40 रुपये किलो से बढ़कर 120 किलो हो गया है । थोक व्यापारी के अनुसार आने वाले दिनों मे प्याज और टमाटर की कीमत 700 रुपये प्रति किलो के पार हो सकती है। लाहौर मार्केट कमेटी के सचिव शहजाद चीमा के अनुसार बाढ़ के कारण शिमला मिर्च जैसी सब्जियों की भी बाजार में कमी हो गई है । पाक्सितान सरकार की चुनौतियां अब बढ़ने लगी है इसके हल के लिए सरकार अब वाघा सीमा के जरिए भारत से प्याज और टमाटर का आयात करने पर विचार कर रही है।
पाकिस्तान करेगा भारत से व्यापार
बाढ़ से प्रभावित लोगों को सरकार पूरी तरह से मदद नहीं पहुँचा पा रही है। सरकार की मदद नहीं मिलने से पाकिस्तान की जनता अपनी सरकार को कोस रही है। सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास असफल हो रहे हैं इसके कारण वो अब अंतराष्ट्रीय मदद की गुहार कर रही है। सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान के सिंध प्रदेश में हुआ है। वहीं पाकिस्तान की आवाम मोदी सरकार से मदद की अपील कर रही है। पाकिस्तान को मुसीबत के वक्त भारत नजर आ रहा है। उसने भारत के साथ व्यापार शुरू करने की घोषणा की है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री एम इस्माइल ने भारत के साथ व्यापार मार्ग खोलने का एलान करते हुए कहा है कि सरकार भारत से सब्जियों और अन्य खाने की चीजों का आयात करने पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खत्म करने के बाद से भारत के साथ व्यापार करना बंद कर दिया था। इसी वर्ष मार्च में पाकिस्तान ने कहां था कि वह देश के प्राइवेट सैक्टर को भारत से वाघा सीमा के जरिये चीनी और कपास आयात करने की मंजूरी देगा। लेकिन इस फैसले का पीएमएनएल और पीपीपी दलों ने विरोध किया था, जो अब गठबंधन सरकार में हैं। लेकिन अब उसे न चाहते हुए भी अपना ये फैसला बदलना पड़ा है।
मुस्लिम देशों ने की पाक की मदद
पाकिस्तान में हालात इतने खराब है कि सरकार को आपातकाल घोषित करना पड़ा। बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान कपास के फसल को पहुँचा है। जो कि पूरी तरह से नष्ट हो गई है । 5 लाख से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है। लोग बेघर हो चुके है और बाढ़ से 3451.5 किलोमीटर सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। 147 पुल इस बाढ़ में बह गए है। 170 दुकानें नष्ट हो गईं. 9, लाख 49,हजार 858 मकान आंशिक रूप से या पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए है। पाकिस्तान के साथ खड़ा रहने वाला चीन भी सैलाब के इस मुश्किल दौर में साथ नहीं है। बल्कि पाकिस्तान के मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा 16 करोड़ डॉलर की सहायता जारी करने का एलान किया गया है । वहीं ब्रिटेन ने 15 लाख पौंड की मदद राशि देने का एलान किया है। वहीं मुस्लिम देशों में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), तुर्की और ईरान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सहायता देने की बात कही है । यूएई ने तीन हजार टन खाद्य सामग्री, चिकित्सा आपूर्ति और तंबू लोगों के मदद के लिए भेजे हैं। बाढ़ के कारण बलूचिस्तान, सिंध और दक्षिण पंजाब से सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो गई है। इस बाढ़ में अब तक 44 हजार करोड़ से भी ज्यादा का नुक्सान हो चुका है। विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्तान को वापस पटरी में आने के लिए पांच साल तक का समय लग सकता है । ऐसे में आर्थिक मदद और खाद्य आपूर्ति के लिए पाकिस्तान की जनता की निगाहें भारत की ओर रुख किए हुए हैं ।