दुनियाभर में महिला हर क्षेत्र में बुलंदियों को छू रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए तमाम ऐसे कानून बने हैं जो न सिर्फ उनकी सुरक्षा के लिए ढाल बने बल्कि उन्हें एक सम्मान की जिंदगी देने का जरिया भी बनें। लेकिन शादी से पहले कौमार्य कई लड़कियों और उनके परिवारों के लिए बेहद अहम है। कई बार पुरुष वर्जिनिटी सर्टिफ़िकेट (कौमार्य का प्रमाण पत्र) मांगते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस प्रथा को मानवाधिकारों के ख़िलाफ़ मानता है। पिछले एक साल से, इस प्रथा के ख़िलाफ़ आंदोलन चलाने वालों की तादाद भी बढ़ी है।
अधिकतर युवा वर्ग आजाद ख्यालों के है। लेकिन समाज का एक तबका है जो रूढ़िवादी सोच को अपनाये हुए है। ईरान उन देशों में शामिल है जहाँ महिलाओं को अपना कुँवारापन साबित करने के लिए वर्जिनिटी सर्टिफिकेट शादी से पहले देना पड़ता है। ईरान में शादी से पहले कौमार्य होना जरूरी माना जाता है। लेकिन मेडिकल संस्थानों के मुताबिक ये वर्जिनिटी टेस्ट विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। जैसे की बलात्कार के मामले में या अदालत के मामले में। अदालत ऐसे ही बिना सबूत के किसी को सजा नहीं दे सकती। इसलिए बलात्कार हुआ है इसे सिद्ध करना पड़ता है। जिसके लिए टू फिंगर टेस्ट करवाना पड़ता है। इसे ही वर्जेनिटी टेस्ट भी कहा जाता है।
ईरान में अधिकतर पुरुष शादी से पहले महिलाओं से वर्जिनिटी सर्टिफिकेट मांगते हैं । इसके लिए वो सरकारी अस्पतालों में न जाकर निजी अस्पतालों में जाते हैं । टेस्ट के बाद सर्टिफिकेट जारी किया जाता है जिसमें लड़की के पिता का नाम ,पहचान पत्र , अतिरिक्त हाइमन की स्थिति दर्ज की जाती है। जिसमे लिखा जाता है कि लड़की वर्जन है या नहीं। कुछ रूढ़िवादी परिवार सर्टिफिकेट पर दो गवाहों के हस्ताक्षर भी करवाते हैं ।
शादी से पहले इस देश की महिलाओं को वर्जिनिटी साबित न कर पाने का डर अक्सर बना रहता है। इसके कारण यहाँ आधिकारिक तौर पर वर्जिनिटी सर्टिफिकेट पाने का चलन तेजी से फैल रहा है। इस सर्टिफिकेट पाने के लिए महिलाएं अपने गुप्तांग की सर्जरी तक करवाती हैं । इसे हाइमनोप्लास्टी कहा जाता है। इस सर्जरी में हाइमन को दुबारा बनाया जाता है। लेकिन इसे ईरान में गैरकानूनी माना जाता है। अधिकतर महिलाएं लोकलाज और शादी के बाद होने वाली बदनामी के डर की वजह से ये जोखिम उठाती हैं । क्योंकि ईरान में कई मामलों में देखा गया है कि शादी के बाद स्त्री को वर्जन न पाकर उन्हें तलाक दे दिया जाता है।
क्या है टू फिंगर टेस्ट : टू-फिंगर टेस्ट की आलोचना होती रही है। यह एक मैन्युअल प्रक्रिया है, जिसके तहत डॉक्टर पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर टेस्ट करते हैं कि वह वर्जिन है या नहीं। यदि उंगलियां आसानी से चली जाती हैं तो माना जाता है कि वह सेक्सुअली एक्टिव थी।
कहां बैन है टू फिंगर टेस्ट : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टू फिंगर टेस्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि ये प्रक्रिया वैज्ञानिक नहीं है। भारत में साल 2013 में ही टू फिंगर टेस्ट पर रोक लगा दी गई थी । वर्ष 2018 में बांग्लादेश में भी इस टेस्ट पर रोक लगा दी गई थी ।
महिलाओं का हनन करने वाले कानून
पुराने समय में ईरान में महिलाओं की वर्जिनिटी की पता लगाने के लिए सफेद चादर का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अब बदलते दौर में वर्जिनिटी सर्टिफिकेट या वर्जिनिटी टेस्ट माँगा जाता है। ईरान जैसे देशों में वर्जिनिटी सर्टिफिकेट का चलन तेजी से चल रहा है। समाज के द्वारा वर्जिनिटी टेस्ट और देश में महिलाओ के खिलाफ कई कड़े कानून भी बनाये गए है। जो महिलाओं के मानवाधिकार को खत्म करती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (एनएससीबीआइ ) के मुताबिक कई ऐसे कानून है जो पुरूषों को महिलाओ के मुकाबले अधिकतर मिले होते है। इसकी वजह से पुरुष मिले हुए अधिकारों का दुरुपयोग करते है। इसके कारण वर्जन महिलाएं डर के मारे शादी से पहले ये टेस्ट करवाती है। यहां इतने कड़े कानून है कि यदि महिलाओं ने किसी पर पुरुष से हाथ भी मिला लिया तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है। यहां के कानून के अनुसार महिलाओं को टाइट कपड़े पहनने होते है। पति के मर्जी के बिना यहां महिलाये कोई भी कार्य नहीं कर सकती अगर वो ऐसा करती है तो वे आपराधिक श्रेणि में आती है। यही नहीं वो अपने पति को सेक्स के लिए मना नहीं कर सकती है। ईरान ही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस प्रथा को मानवाधिकारों खिलाफ और अनैतिक मानता है।
कई देशों में किया जाता है वर्जिनिटी टेस्ट
ईरान ही में नहीं विश्व के कई देशों में आज भी वर्जिनिटी टेस्ट को अहमियत दी जाती है।अफगानिस्तान ,इराक, इंडोनेशिया ,चीन उत्तरी अमेरिका , दक्षिण अफ्रीका ,ब्राजील जैसे देशों में महिलाओं का वर्जिनिटी टेस्ट किया और करवाया जाता है। जमैका, जॉर्डन, लीबिया, मलावी, मोरक्को, श्रीलंका, तुर्की के अलावा ब्रिटेन और आयरलैंड में भी वर्जिनिटी टेस्ट किये जाते रहे है ।
इंडोनेशिया: यहां महिला सिपाहियों का कौमार्य परीक्षण करके इंडोनेशिया की नेशनल पुलिस 2014 के दौरान विवादों में आई थी। वहां
महिला सिपाहियों का शारीरिक और नैतिक शक्ति’ साबित करने के लिए उनका वर्जिनिटी टेस्ट करवाया जाता है। इसकी पुष्टि वहां के आर्मी चीफ ने की थी। ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने इस जांच बेहद अपमानजनक करार दिया है। इंडोनेशिया में महिला पुलिसकर्मियों को ही पुलिस में भर्ती होने के इस सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।
इग्लैंड : इग्लैंड में 50 पाउंड में हायमन रिपेयर किट ऑनलाइन दिए जा रहे है ।दावा किया जा रहा है कि इस किट से वर्जिनिटी वापस आ जाएगी।
अफगानिस्तान : अगर किसी लड़की का शादी से पहले किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध है। तो उसका कैरेक्टर पता लगाने के लिए उसका वर्जिनिटी टेस्ट कराया जाता है। तालिबान के शासन में आते ही यह कानून अफगानिस्तान में लागू कर दिया गया। अफगान के बाद चीन में शादी की रात सेज पर सफेद चादर बिछाई जाती है। सिर्फ इसलिए ताकि लड़की के चरित्र का पता लगाया जा सके। इस रस्म के चलते कई बार शादियां टूटने का खतरा रहता है।
दक्षिण अफ्रीका : बीते महीने एक चर्च में महिलाओं का वर्जिनिटी टेस्ट करवाने के लिए आयोजन किया गया था। ये परीक्षण दक्षिण अफ्रीका के दूसरे नंबर पर आने वाले सबसे बड़े चर्च ” डर्बन के नजरेथ बैप्टिस्ट चर्च ” ने आयोजित किया था। इसे अफ्रीका में महिलाओं के बीच पवित्रता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया गया था। टेस्ट के बाद पवित्रता का टीका भी महिलाओं को लगाया गया था। यह आयोजन हर साल किया जाता है अधिकतर उन्ही लड़कियों का टेस्ट किया जाता है जिनकी शादी होने वाली होती है। परीक्षण के बाद महिलाओं को एक सुंदर परिधान और वर्जेनिटी सर्टिफिकेट दिया जाता है। जिसका कोई शुल्क नहीं पड़ता।
पाकिस्तान : यहां वर्जिनिटी सर्टिफिकेट की मांग होती रही है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष टू-फिंगर वर्जिनिटी टेस्ट पर रोक लगा दी है। कोर्ट के मुताबिक वर्जिनिटी टेस्ट की कोई वैज्ञानिक या मेडिकल जरूरत नहीं होती है, लेकिन यौन हिंसा के मामलों में मेडिकल प्रोटोकॉल के नाम पर इसे किया जाता रहा है। कोर्ट ने किये जा रहे इस टेस्ट को आमनवीय और शर्मिन्दा पूर्ण कहा है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 20 देशों में वर्जिनिटी टेस्ट किया जाता है। लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती कि यह टेस्ट पूरी तरह लड़की के वर्जिन होने का पता लगा सकता है। क्योंकि हायमन एक्सरसाइज या साइकिल चलाने से फट सकते हैं।
भारत में सदियों से चली आ रही है कौमार्य प्रथा
भारत में शादी से पहले अगर किसी महिला ने अपनी वर्जिनिटी खो दी है तो उसे समाज में बहुत ही हीन भावना से देखा जाता है। लेकिन समय के साथ और बढ़ती जागरूकता ने इस मानसिकता को कुछ हद तक दबा दिया है। इसके बावजूद भी कुछ ऐसे समुदाय हैं जो आज भी महिला की वर्जिनिटी टेस्ट के आधार पर उसके चरित्र को आंकते रहे है। ‘कंजरभाट’ समुदाय उन्ही समुदायों में से एक है। इस समुदाय में सुहागरात वाले दिन लड़की की वर्जिनिटी टेस्ट किया जाता है । यह समुदाय भारत के कई प्रदेशों में बिखरा हुआ है। भिन्न_भिन्न प्रदेशों में इस समुदाय को अलग अलग नाम से जाना जाता है। जैसे महाराष्ट्र में कंजारभाट, गुजरात में छारा, पश्चिम बंगाल में कूचा, राजस्थान में कंजर या नट, मध्यप्रदेश में बांछडा या भान्तु और पंजाब, हरियाणा, दिल्ली के क्षेत्र में सांसी आदि के आलावा जादूगर, बाजीगर, बेड़िया नाम से यह समुदाय जाने जाते हैं। कुछ समुदायों में वर्जेनिटी टेस्ट के आधार पर ही लड़की के घर वालों से दहेज माँगा जाता है।
इस समुदाय में लड़की के ‘चरित्र शुद्धि’ के नाम पर उसके ‘कौमार्य’ यानि वर्जेनिटी टेस्ट किया जाता रहा है। इस परीक्षण की पूरी प्रक्रिया बहुत ही घिनौनी और शर्मनाक होती है। सुहागरात वाली रात लड़के को सफेद चादर और लड़की के साथ कमरे में भेजा जाता है, लड़की के कौमार्य होने का पता चादर में पड़े दाग से लगाया जाता है। यही नहीं अगले दिन भरी पंचायत में लड़के से पूछा जाता है लड़की ‘खरी है या नहीं’, जिसका मतलब लड़की का चरित्र ठीक है या नहीं ये होता है , भरी पंचायत में सफेद चादर में खून के दाग दिखाए जाते है । जहां पंचायत तय करती है की महिला वर्जन है या नहीं। अगर चादर में खून के दाग नहीं मिलें मतलब लड़की वर्जिनिटी टेस्ट में पास नहीं हुई है। इसके बाद लड़की को जाति पंचायत को सौंप दिया जाता है। जहां उसे दंड दिया जाता है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन वर्जिनिटी टेस्ट को बेबुनियाद घोषित कर चूका। लेकिन भारत समेत कुछ अन्य देशों में ये टेस्ट अभी भी किया जा रहा है। जहां महिलाओं की पवित्रता इस टेस्ट के ऊपर निर्भर करती है।