पिछले कुछ महीनों से भारत चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद में हुई हिंसक झड़प के बाद से ही दोनों देशों में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। इस हिंसक झड़प के बाद भारत ने चीन से अपने कई संबंध तोड़ दिए। जिसके बाद बौखलाया चीन भारत को चौतरफा घेरने की कोशिश कर रहा है,लेकिन इस बीच चीन के खिलाफ उसका पड़ोसी देश वियतनाम खड़ा हो गया है। वियतनाम ने भारत के साथ रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, समुद्री विज्ञान, नई प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में करीबी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। इसके अलावा साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते दखल को लेकर भी भारत के साथ अहम जानकारी साझा की है।
भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग की डिजिटल माध्यम से आयोजित बैठक के बाद बयान जारी करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने भारत वियतनाम समग्र सामरिक गठजोड़ में हाल के घटनाक्रमों की समीक्षा की। इसके अलावा भारत और वियतनाम ने व्यापक सम्पर्को की भविष्य की दिशा के बारे में चर्चा की। इसमें कहा गया है, दोनों देशों के बीच आर्थिक और रक्षा संबंधों को नई गति प्रदान करने पर सहमति जताई गई। इस बैठक में भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर और वियतनाम की ओर से विदेश मंत्री फाम बिन्ह मिन्ह शामिल हुए।
आशंका जताई जा रही है कि इस बैठक में दक्षिण चीन सागर की सम्पूर्ण स्थिति का मुद्दा भी सामने आया। हालांकि, आधिकारिक रूप से इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना सम्प्रभु दावा करता है जो इलाका हाइड्रोकार्बन का बड़ा स्रोत है। हालांकि, वियतनाम, फिलीपीन, ब्रुनेई सहित आसियान के कई सदस्यों देशों का इसके विपरीत दावा है।
पिछले सप्ताह वियतनाम के राजदूत फाम सान्ह चाउ ने भारत के विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला को दक्षिण चीन सागर में बढ़े तनाव के बारे में जानकारी दी थी। चीन ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी को काफी बढ़ा दिया था। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित बहुस्तरीय मंचों पर करीबी समन्वय बनाने पर सहमति व्यक्त की थी। इन्होंने आसियान ढांचे के तहत महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग एवं समन्वय बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की थी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा कि भारत वियतनात संयुक्त आयोग की 17वीं बैठक की समाप्ति हुई। वियतनाम के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री फाम बिन्ह मिन्ह को सह अध्यक्षता के लिए धन्यवाद। हमारा समग्र सामरिक गठजोड़ बढ़ रहा है। हिन्द प्रशांत में शांति, सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करना है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर ने इस वर्ष आसियान की अध्यक्षता के लिए वियतनाम को भारत का पूर्ण सहयोग व्यक्त किया ,वो भी ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है, उस साल में समूह को सकारात्मक नेतृत्व प्रदान करने के लिए वियतनाम की सराहना की । इसमें कहा गया है कि दोनों देशों ने भारत के हिन्द प्रशांत सागर पहल(आईपीओआई) की तर्ज पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।