अमेरिका अब रोहिंग्या मुसलमानों के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है। रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यामांर सेना के अत्याचारों को औपचारिक रूप से नरसंहार घोषित करने का फैसला लिया है। अमेरिका के इस फैसले से म्यांमार की सेना पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को अमेरिका ने नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध माना है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन सोमवार को वॉशिंगटन में होलोकॉस्ट संग्रहालय में एक कार्यक्रम के दौरान अधिकारिक तौर पर घोषित करेंगे।
यह संग्रहालय रोहिंग्याओं पर हो रहे अत्याचारों को दिखाने के लिए “नरसंहार के लिए बर्मा का पथ” नामक एक कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री ब्लिंकेन ने मलेशिया के दौरे पर कहा था कि अमेरिका इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहा है था कि क्या रोहिंग्याओं पर हो रहे अत्याचार को नरसंहार माना जा सकता है?
वहीं 2018 में तथ्यखोजी दल ने भी संयुक्त राष्ट्र में अपनी रिपोर्ट दिया था कि 2017 में म्यामांर के रखाइन प्रांत में चलाये गए सैन्य गतिविधियों को नरसंहार के इरादे से अंजाम दिया गया था।
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वर्तमान में साढ़े आठ लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश में शरण ले रखे हैं। वहां से भागे हुए रोहिंग्या मुसलमानों ने बताया कि वहां पर म्यामार की सेना के द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार किया गया। उनके घरों में लूटपाट हुई और महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया गया। वहीं इस मामले की सुनवाई हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में भी चल रही है।
बता दें कि रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हुए नरसंहार को अमेरिका द्वारा नरसंहार घोषित करने के बाद म्यांमार के खिलाफ कोई भी अनुशासनात्मक कार्यवाई नहीं की जाएगी। रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने के बाद में म्यांमार पर कई प्रतिबंध पहले से ही लगाए जा चुके हैं। नरसंहार की अधिकारिक घोषणा के बाद म्यांमार को मिलने वाली कई आर्थिक सहायता प्रतिबंधित हो सकती है। अमेरिका को उम्मीद है कि उसके फैसले से सैन्य जुंटा को जवाबदेह ठहराने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को और अधिक सफलता मिलेगी।