कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से आया है, यह धीरे-धीरे सच साबित हो रहा है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने दुनिया और विश्व स्वास्थ्य संगठन से कई अहम जानकारियां छिपाई हैं। अमेरिकी मीडिया से पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने 2015 में चीन में कोरोना पर शोध करने का दावा किया था।
चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को बताया था कि वहां उनका पहला कोरोना केस 8 दिसंबर 2019 को मिला था। जबकि वायरस से संक्रमण का मामला इससे एक महीने पहले सामने आया था।
वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन शोधकर्ताओं को दिसंबर 2019 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तीनों शोधकर्ताओं में कोरोना के लक्षण पाए गए। इसके बाद वुहान की लैब से वायरस के लीक होने की आशंका बढ़ गई है।
रिपोर्ट में बीमार पड़ने वाले शोधकर्ताओं की संख्या, समय और लक्षणों का भी उल्लेख है। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यह रिपोर्ट उनके एक अंतरराष्ट्रीय सहयोगी ने उपलब्ध कराई थी। इसकी जांच होनी चाहिए। संभव है कि वुहान लैब के डॉक्टर रिसर्च करते समय बीमार हो गए हों। हमें इस बारे में सटीक जानकारी थी।
रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्णय लेने वाली संस्था की बैठक से पहले आई है, जिसमें इस बैठक में कोविड-19 की उत्पत्ति की जांच के अगले चरण पर चर्चा होने की उम्मीद है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि चीन के भीतर इसकी उत्पत्ति सहित, कोविद -19 महामारी के शुरुआती दिनों के बारे में बाइडेन प्रशासन के गंभीर प्रश्न हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार महामारी की उत्पत्ति के आकलन में सहयोग के लिए डब्ल्यूएचओ और अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर काम कर रही है। जो हस्तक्षेप या राजनीतिकरण से मुक्त हो।
अमेरिकी मीडिया की इस रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता है
पिछले साल तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से कई बार कोरोना को ‘चीनी वायरस’ कहा था। उन्होंने कहा था कि इसे चीन की एक लैब में तैयार किया गया है और इससे दुनिया का स्वास्थ्य क्षेत्र तबाह हो रहा है, कई देशों की अर्थव्यवस्था इसे संभाल नहीं पाएगी. ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास इसके सबूत हैं और समय आने पर उन्हें दुनिया के सामने रखा जाएगा.
इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने भी दावा किया था कि कोरोना वायरस 2020 में अचानक नहीं आया, बल्कि चीन इसे 2015 के लिए तैयार कर रहा था। चीनी सेना 6 साल पहले कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की साजिश रच रही थी। द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है।