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अमेरिका में गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म

अमेरिका में काफी संवेदनशील माने जाने वाले अबॉर्शन कानून को लेकर इन दिनों भारी विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। हजारों की संख्या में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। अमेरिका के लिए यह मुद्दा पिछले 50 सालों से काफी संवेदनशील बना हुआ है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने 50 साल पुराने फैसले को पलटते हुए गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को खत्म कर दिया है।

जिसके चलते पिछले पचास सालों से अमेरिकी गर्भपात कानून को लेकर चला आ रहा विवाद एक बार फिर बढ़ने लगा है। समाज, गर्भपात करवाने के लिए कानून होना चाहिए या नहीं होना चाहिए, इस मुद्दे पर दो हिस्सों में बंटा हुआ है। इस वक्त अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में गर्भपात के अधिकार को खत्म कर दिया गया है। पिछले एक साल से लगातार गर्भपात कानून का मुद्दा सुर्खियों में बना हुआ है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला लीक हो गया था। अमेरिका की ‘पोलिटिको’ नाम की एक खोजी वेबसाइट ने अमेरिकी जजों के फैसले को लीक कर दिया था जिसके चलते पूरा अमेरिका सुलग उठा था।

दरअसल पोलिटिको डॉट कॉम वेबसाइट ने 2 अप्रैल, को सुप्रीम कोर्ट के 98 पन्नों के इस फैसले को लीक कर दिया था, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों की भीड़ सुप्रीम कोर्ट के आगे प्रदर्शन करने लगी और कोर्ट से फैसला फौरन बदलने की मांग की जाने लगी। देश भर में गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को समाप्त करने के समर्थन और विरोध के लिए जोरदार आवाजें उठाईं जा रही हैं। कई दर्जन गर्भपात विरोधी कार्यकर्ताओं ने शुरुआत में विरोध प्रदर्शनों के दौरान काफी आक्रामक रहे। हालांकि इस दौरान गर्भपात कानून के समर्थक भी वहां पहुंच गए और उन्होंने भी प्रदर्शन शुरू कर दिया है। जिसमें कहा जा रहा था कि गर्भपात हिंसा है, बच्चे को मारने के लिए नहीं जन्मा जाता है और गर्भपात उत्पीड़न है, जैसे नारे लगाए जा रहे थे। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गर्भपात पर कानून बनाने का विरोध किया था और कहा था कि इससे महिलाओं के अधिकारों का हनन होगा।

सुप्रीम कोर्ट का पुराना फैसला क्या था?

अमेरिका में सबसे पहले गर्भपात को लेकर विवाद साल 1973 में शुरू हुआ था, जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय बेंच ने 7-2 के बहुमत से गर्भपात कानून के खिलाफ फैसला सुनाया था। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गर्भपात करना महिलाओं के लिए उनका मौलिक अधिकार है। इसके बाद साल 1992 में भी अमेरिका में इसी तरह का एक मामला आया और उस वक्त भी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात कानून के खिलाफ ही फैसला सुनाया था। उस वक्त अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यहां तक कहा था कि एक मां गर्भपात करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है और इसमें किसी भी तरह की दखलंदाजी नहीं की जा सकती है। हालांकि अदालत की तरफ से अपने फैसले में यह भी कहा गया था कि कोख में जब तक भ्रूण है, तभी तक मां ऐसा कर सकती है, लेकिन एक बार जैसे ही भ्रूण में जीवन आ जाए, उसके बाद सरकार गर्भपात पर कानून बना सकती है।

फिर से क्यों उठा है गर्भपात कानून का मुद्दा?

अमेरिका में गर्भपात कानून को लेकर समाज पूरी तरह से शामिल है। लिहाजा यह मुद्दा पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका है। रिपब्लिकन पार्टी गर्भपात पर रोक लगाने वाली कानून के समर्थन में है, जिन राज्यों में रिपब्लिकन पार्टी की सरकार है, वहां पर ऐसे कानूनी इंतजामात किए जा रहे हैं, जो गर्भपात को कानूनी दायरे में लाए। रिपब्लिकन पार्टी की सरकार वाली मिसिसिपी राज्य में सरकार ने कानून बनाते हुए 15 हफ्ते से ऊपर के भ्रूण गिराने को गैरकानूनी घोषित किया है। जिसके बाद राज्य सरकार के इस कानून को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की एक बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है। माना जा रहा है कि बहुत जल्द गर्भपात कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है।

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