पूरी दुनिया में कोरोना महामारी ने अपना कोहराम मचा रखा है। इससे बचाव के लिए सभी देश अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इस महामारी से बचने के लिए वैक्सीन बन चुकी है। परंतु इससे बचाव के लिए मास्क लगाने और बार-बार हाथ धोने को सबसे ज्यादा फायदेमंद बताया जाता है। जैसा कि भारत के प्रधानमंत्री भी अक्सर कहते हैं कि ‘दो गज की दूरी मास्क है जरूरी’। ऐसे में कोरोना के समय पूरी दुनिया में फेसमास्क का कचरा सबसे ज्यादा पाया गया है। अब इसी कचरे के निपटारे के लिए ऑस्ट्रेलिया ने एक नई तकनीक निकाली है। ऑस्ट्रेलिया ने बेकार हो गए मास्क से सड़क निर्माण का तरीका निकाला है। अब बेकार मास्क का इस्तेमाल सड़क को बनाने में किया जाएगा। इससे दो फायदे होंगे पहला तो लाखों के कचरे का निपटारा होगा और दूसरा मजबूत सड़के भी बनाई जाएगी।
मास्क से बनाई जाएगी सड़के
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न के RMIT यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने मास्क से सड़क निर्माण की ये तकनीक निकाली है। इसमें मास्क का कच्चे माल के तौर पर प्रयोग किया जाएगा। दो लेन की 1 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने में 30 लाख मास्क का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे लगभग 93 टन कचरे का यूज हो ही जाएगा। ये सड़के काफी मजबूत होगी और साथ ही इसमें फेस मास्क के साथ साथ भवन निर्माण का मलबा भी इस्तेमाल किया जाएगा।
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हर दिन निकलता है 680 करोड़ मास्क का कचरा
हर दिन कोरोना महामारी के दौरान दुनिया में 680 करोड़ टन कचरा निकाला जाता है। पहले से ही कचरे की वजह से दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या काफी थी और अब कोरोना के कारण कचरे का प्रोडक्शन भी बढ़ गया है। तो अब ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के एक्सपर्ट्स ने फेस मास्क से सड़क निर्माण का एक लाजवाब तरीका निकाला है। अब एक्सपर्ट्स इस कोशिश में भी लगे हैं कि क्या पीपीई किट से भी सड़क बनाई जा सकती है।
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इस्तेमाल से पहले किया जाएगा कीटाणुरहित
कोरोना से बचाव के लिए करोड़ों की संख्या में लोग फेस मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए इनसे सड़क बनाने से पहले इन्हें अच्छी तरह सैनेटाइज किया जाएगा। इसके लिए स्टरलाइज का यूज कर इसे कीटाणु रहित किया जाएगा ताकि इस्तेमाल के समय मजदूर कोरोना की चपेट में ना आ जाए।