भारत में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और सांप्रदायिक हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) की प्रमुख ने चिंता जताई है। जेनेवा में चल रहे मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में पूरी दुनिया में मानवाधिकार की स्थिति और इसके सुधार के संबंध में हुई प्रगति को लेकर यूएनएचआरसी की उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेत जेरिया ने जानकारी दी। इस क्रम में उन्होंने भारत का भी ज़िक्र किया।
उन्होंने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और उसके बाद हुए सांप्रदायिक हिंसा में हुई मौतों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने दिल्ली में चल रहे सांप्रदायिक हिंसा पर भी चिंता जाहिर की।
इस दौरान मिशेल ने नागरिकता संशोधन कानून पर भी बात की। उन्होंने कहा, “जम्मू और कश्मीर में कुछ राजनेता रिहा कर दिए गए हैं और कुछ पहलुओं को लेकर आम जन-जीवन सामान्य होता दिख रहा है, बताया जा रहा है कि 800 के लगभग लोग अभी हिरासत में हैं जिनमें राजनेता, एक्टिविस्ट शामिल हैं।”
मिशेल ने इसके बाद कहा, “भारी संख्या में सेना की मौजूदगी के कारण स्कूल, व्यापारित प्रतिष्ठान और रोजगार के जरिए प्रभावित हुए हैं। सुरक्षा बलों द्वारा अतिरिक्त बल प्रयोग और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया।”
उन्होंने आगे कहा, “सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले के बाद भारत सरकार ने मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को आंशिक रूप से बहाल किया है। मगर प्रशासन सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर अतिरिक्त पाबंदियां लगा रहा है।”
मिशेल ने सीएए कानून पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने अपने बयान में कहा, “भारत में बीते दिसंबर में लाया गया नागरिकता संशोधन कानून मुख्य तौर पर चिंता का विषय है। सभी समुदायों से संबंध रखने वाले भारतीयों ने बड़ी संख्या में, अधिकतर शांतिपूर्ण ढंग से इस कानून का विरोध किया है और देश में धर्मनिरपेक्षता के लंबे इतिहास का पक्ष लिया है।”
उन्होंने आगे कहा, “शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने अतिरिक्त बल प्रयोग किए जाने की पहले की खबरों और अन्य समूहों की तरफ से मुसलमानों पर हमला किए जाने पर पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने की खबरों को लेकर चिंतित हूं। अब बात बढ़कर बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हमलों में तब्दील हो गई है। और 23 फरवरी से लेकर अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है। मैं सभी राजनेताओं से अपील करती हूं कि हिंसा को रोकें।”
वहीं पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कहा, “पाकिस्तान को चरमपंथी संगठनों का समर्थन बंदकर अपने देश की जनता की भलाई के बारे में सोचना चाहिए। खासकर अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने में अपनी नाकामी को सुधारे। साथ ही मानवाधिकारों पर उपदेश देने से पहले पाकिस्तान ये याद रखे कि आतंकवाद मानवाधिकारों के हनन का सबसे बड़ा जरिया है।”
जम्मू-कश्मीर पर उठाए गए सवालों पर भारतीय प्रतिनिधि ने कहा, ”जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। पाकिस्तान को इसका लालच छोड़ देना चाहिए।” भारत ने कहा कि मानवाधिकारों पर उपदेश देने से पहले पाकिस्तान ये याद रखे कि आतंकवाद मानवाधिकारों के हनन का सबसे बड़ा जरिया है। भारत का ये बयान मिशेल बाचेलेत जेरिया के बयान के बाद आया है।