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तालिबान जुल्म के खिलाफ भड़का संयुक्त राष्ट्र

सत्ता में आने के बाद तालिबान अपने खिलाफ उठ रहे आवाजों को दबाता रहा है इसी वजह से इसने कई लोगों को हिरासत में भी लिया था । महिलाओं के खिलाफ तालिबान सत्ता लगातार प्रतिबंध लगाता रहा है हाल ही में तालिबान ने महिलाओं के लिए विश्वविद्यालय के दरवाजे बंद कर दिए हैं। जिसकी वजह से अफगानिस्तानी महिलाएं बड़े स्तर पर शिक्षा से वंचित हो रही है। इसके अलावा नौकरी जैसे कई अन्य क्षेत्रों में भी प्रतिबंध लगा दिया गया है जो कि मानव अधिकारों का उल्न्न्घन है। तालिबान द्वारा महिलाओं पर घरेलू और विदेशी एनजीओ में काम करने पर रोक लगा दी गई है। तालिबान के इस कदम पर इस्लामिक देशों के संगठन “इस्लामी सहयोग संगठन” (ओआईसी ) के सदस्य कतर और यूएई जैसे देशों ने जमकर आलोचना की है। कतर ने तालिबान को नसीहत देते हुए महिलाओं के अधिकार की सम्मान करने की सलाह दी है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों को निशाना बनाने वाली तालिबान सरकार की नीतियों की निंदा की है। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने कहा कि वह महिलाओं की शिक्षा पर बढ़ते प्रतिबंधों से “बेहद चिंतित” है। इसी संदर्भ में महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि तालिबान द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंध “निरस्त किए जाने चाहिए। परिषद में अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के पूर्ण, समान और सार्थक भागीदारी” का आह्वान किया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा कहा गया था कि अफगानिस्तान महिलाओं पर लगे इन प्रतिबनधों को जल्द हटा ले वरना अच्छा नहीं होगा। इसके बावजूद तालिबान पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

तालिबान जुल्मों के खिलाफ खड़ी अकेली लड़की

 

गौरतलब है कि महिलाओं पर किये जा रहे इन अत्याचारों के खिलाफ अफगानिस्तान में छिटफुट विरोध किए जा रहे हैं । इन सबके बीच अफगानिस्तान में 18 साल की लड़की काफी चर्चा में है। जहां बड़े -बड़े लोग तालिबान का विरोध करने से कतराते हैं वहीं अफगानिस्तान में मरवा नाम की यह छात्रा तालिबान के खिलाफ अकेली खड़ी है और तालिबान के लड़कियों के लिए यूनिवर्सिटी बंद करने के फैसले का विरोध कर रही है। इतना ही नहीं अफगानिस्तान की यह स्टूडेंट अकेले ही हाथ में पोस्टर लेकर तालिबान के खिलाफ विरोध करने निकल पड़ी। मारवा के मुताबिक वो जीवन में पहली बार गौरवान्वित, मजबूत और शक्तिशाली महसूस कर रही हैं। उनके कहने अनुसार वे उन अधिकारों की मांग कर रही हैं जो उन्हें अल्लाह ने दिए हैं। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना था ,अगर वे यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लेती, तो ऐसा करने वाली मारवा परिवार की पहली महिला होतीं।

देश में कुछ महिलाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की गई थी। लेकिन तालिबान ने उन्हें प्रदर्शन नहीं करने दिया। इसी वजह से काबुल यूनिवर्सिटी के बाहर रविवार को बड़ी संख्या में तालिबान गार्ड्स तैनात किए गए। 18 वर्षीय मारवा ने अपने हाथ में जो पोस्टर ले रखा था, उसमें लिखा था Iqra जिसका हिंदी अर्थ अध्ययन या पढ़ना होता है। मारवा के कहने मुताबिक उनके साथ बहुत बुरा हुआ ,लेकिन वे शांत रहे। मरवा दुनिया समेत तालिबान को अकेली अफगान लड़की की ताकत दिखाना चाहती है कि वह भी उत्पीड़न के खिलाफ खड़ी हो सकती है। गौरतलब है कि पिछले साल जब अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आई थी तब तालिबान ने वादा किया था कि वे नरम शासन करेंगे। लेकिन उन्होंने वादाखिलाफी करते हुए सत्ता में आने के बाद महिलाओं पर कठोर प्रतिबंध लगाए हैं। अभी हाल ही में तालिबान प्रशासन द्वारा कहा गया है कि महिलाओं को काम पर आने से रोका जाए। महिलाएं अपनी सरकारी नौकरी खो चुकी हैं उन्हें घर पर रहने के लिए बस वेतन का एक हिस्सा दिया जा रहा है। इतना ही नहीं महिलाओं के पार्क और जिम में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

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