आर्थिक संकट समेत मानवीय संकटों जैसी परेशानियों से गुजर रहे अफगानिस्तान से अब संयुक्त राष्ट्र किनारा कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने यह फैसला अफगानिस्तान की अड़ियल रवैये की वजह से किया है। अफगानिस्तान को चेतावनी देते हुए संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि अगर उसने स्थानीय महिलाओं को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम में काम करने के लिए अनुमति नहीं दी तो संयुक्त राष्ट्र अगले महीने तक अफगानिस्तान से किनारा कर लेगा।
यह बात (यूएनडीपी) के प्रमुख द्वारा कही गयी है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के प्रशासक ए. स्टेनर के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी इस आस में तालिबान प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं कि वह अफगानिस्तान की स्थानीय महिलाओं को संगठन हेतु काम करने देने के लिए इस महीने जारी एक अध्यादेश में इस बात को शामिल करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र कि एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान को अपंनी अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के लिए काम करने वाली महिलाओं की सख्त जरुरत है। स्टेनर ने कहा है कि यह उचित है कि अभी हम जहा है वहां से संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को एक कदम पीछे हटकर अपनी क्षमता का पुनर्मूल्यांकन करना पड रहा है। ‘लेकिन यह मौलिक सिद्धांतों और मानवाधिकारों पर बातचीत करने के बारे में नहीं है.’ स्टेनर ने कहा कि तालिबान ने अफगान महिलाओं को एक आध काम करने की अनुमति दी है। लेकिन अर्थ व्यवस्था पटरी पर न होने के चलते इसे और कामकाजी महिलाओं की अत्यंत अवश्यकता है।
पिछड़ रहा है अफगानिस्तान
तालिबान के सत्ता में आने के बाद आर्थिक सुधार के कुछ मामूली ही संकेत मिलते हैं । अफगानिस्तान के निर्यात में कुछ बढ़ोत्तरी हुयी है। विनिमय दरों में कुछ स्थिरता है इसके अलावा मुद्रास्फीति कम है। हालांकि जनसंख्या की वृद्धि से सकल घरेलू उत्पाद के पिछड़ने की आशंका जताई जा रही है। अफगानिस्तान की सीमा के अंदर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का योग, जनसंख्या वृद्धि से डगमगा सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि प्रति व्यक्ति आय 2022 के 359 डॉलर से कम होकर 2024 में 345 डॉलर हो जायेगी। तालिबान ने महिलाओं को कुछ विशेष परिस्थितियों में स्वास्थ्य, शिक्षा और कुछ छोटे व्यवसाय में काम करने की ही अनुमति दी है।
तालिबान अमेरिका का कहना मानता है या नहीं यह विचरनीय है। तालिबान द्वारा देश भर में कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। जिसमें महिलाओं के लिए भी कई प्रतिबंध हैं । उनके पढाई लिखाई से लेकर उनके घूमने फिरने तक पर प्रतिबंध है। बीते दिनों तालिबान ने अफगानिस्तान के पश्चिमी शहर हेरात में वीडियो गेम्स,विदेशी फ्लिमों और संगीत पर प्रतिबंध लगाया है। लगाए गए प्रतिबंध पर तर्क देते हुए इन सभी को गैर इस्लामिक करार दिया जा रहा है। धार्मिक प्रोत्साहन एवं अधर्म की रोकथाम मंत्रालय ने यह प्रतिबंध लागू किया है। इस प्रतिबंध में 400 से अधिक कारोबार बंद हो गए हैं। इस्लामिक शरिया कानून की तालिबान की व्याख्या से टकराने वाले मनोरंजन के अन्य रूपों पर भी यह प्रतिबंध लागू होता है।
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