भारत सहित 5 देशों की आपत्ति जताने के बाद अब यूएन ने अपनी 75वीं सालगिरह के घोषणापत्र के ड्राफ्ट से एक विवादित पदवाक्य (फ्रेज) को हटा दिया है। यह पदवाक्य चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से प्रयोग किए गए एक वाक्यांश से मिलता-जुलता था, जिसे लेकर भारत के अतिरिक्त ब्रिटेन और अमेरिका भी आपत्ति जताने वाले 6 देशों में सम्मिलित थे।
संयुक्त राष्ट्र आम सभा के अध्यक्ष तिज्जानी मोहम्मद-बांदे की ओर से घोषणापत्र का ड्राफ्ट मौन प्रक्रिया के तहत अपने सभी सदस्य देशों में वितरित किया गया था। इस प्रक्रिया के तहत अगर कोई सदस्य देश ड्राफ्ट पर एक निश्चित समय पर आपत्ति नहीं जताता है तो उस देश को घोषणापत्र के तौर पर मंजूरी दे दी जाती है।
एक चैरिटेबल संस्था यूनाइटेड नेशंसा एसोसिएशन-यूके (यूएनए-यूके) के अनुसार, इस वैश्विक संस्था में कार्यवाहक ब्रिटिश राजदूत जोनाथन एलेन 24 जून को मौन प्रक्रिया को तोड़ चुके है। यूएनए-यूके के कंधों पर ही यूएन में ब्रिटिश गतिविधियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी है। यूएनए-यूके के अनुसार, जोनाथन ने ‘फाइव आइज’ इंटेलिजेंस कम्युनिटी की ओर से मौन प्रक्रिया को तोड़ते हुए अपनी आपत्ति जताई थी।
इस फाइव आइज में ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा और भारत सम्मिलित हैं। यूएनए-यूके के अनुसार, इन सभी छह देशों ने घोषणापत्र के आखिर में दिए गए एक वाक्यांश पर अपनी आपत्ति जताई थी। इस वाक्यांश में लिखा था कि एक साझा भविष्य के लिए हमारी साझा दृष्टि को महसूस करना।
इन सभी छह देशों ने इस वाक्यांश को हटाकर एक अन्य वाक्यांश को सम्मिलित करने की मांग की थी जिसमें कहा गया था कि यूएन चार्टर की प्रस्तावना में उल्लिखित बेहतर भविष्य के लिए हमारी साझा दृष्टि को साकार करना। यूएनए-यूके के अनुसार, इन छह देशों ने पुराने वाक्यांश को हटाने की मांग इसलिए की थी क्योंकि 2012 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव हु जिंताओ ने 18वीं पार्टी महासम्मेलन में अपनी विदेशी नीति आकांक्षाओं को व्यक्त करने वाली रिपोर्ट में ठीक इसी तरह के वाक्यांश का प्रयोग किया था। इसके उपरांत मोहम्मद-बांदे की ओर से अपने सभी सदस्य देशों को 25 जून को पत्र लिखकर इस वाक्यांश को बदल जाने की जानकारी दी गई।