कुछ भी कर गुजरने के जुनून के कारण भारतीय मूल के लोग दुनिया में अपना अलग ही मुकाम बनाते आये है ,चाहें वो अमेरिका हो या यूरोप, ब्रिटेन या अफ्रीका ये अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर आगे बड़ रहे हैं और नए-नए मुकाम भी गढ़ रहे हैं। हाल ही में अब ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा भारतीय मूल की प्रीति पटेल पर भरोसा जताते हुए उन्हें अपने कैबिनेट में देश का गृह मंत्री बनाया गया है। प्रीति पटेल का भारत से एक खास कनेक्शन माना जाता है। प्रीति पटेल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारी प्रशंसक हैं। वे मोदी से कई बार मुलाकात भी कर चुकी हैं। प्रीति ने गृह मंत्री के रूप में नियुक्ति के बाद ट्वीट कर कहा, “ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा गृह मंत्री नियुक्त किए जाने पर बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूँ। अब ब्रिटेन के गृह विभाग कार्यालय के साथ काम करने की आतुरतापूर्वक प्रतीक्षा कर रही हूं, ताकि नेशनल सिक्युरिटी, पब्लिक सेफ्टी और सीमाओं को सुरक्षित करने के मामले में अपने देश को यूरोपीय संघ से अलग करने के लिए तैयार कर सकूं।”
प्रीति पटेल का जन्म 29 मार्च 1972 को लंदन में एक युगांडा के भारतीय परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता मूल रूप से गुजरात, भारत के है। 1960 के दशक में, राष्ट्रपति ईदी अमीन द्वारा कुछ समय पहले युगांडा के एशियाई लोगों को निष्कासित करने की घोषणा की गयी थी तब वे ब्रिटेन में चले गए थे और हर्टफोर्डशायर में बस गए थे फिर उन्होंने लंदन और इंग्लैंड के दक्षिण पूर्व में समाचार-पत्रों की एक श्रृंखला स्थापित की थी।
प्रीति पटेल खासी मुखर पॉलिटिशियन रही हैं, लंदन में जन्मीं प्रीति द्वारा कील और एसेक्स यूनिवर्सिटी में शिक्षा ली गयी है । उन्होंने अपना राजनीतिक करियर रैफरेंडम पार्टी के साथ शुरू किया था और बाद में वह कंजरवेटिव पार्टी से जुड़ गईं।1997 में, लंदन में कंजर्वेटिव पार्टी में शामिल होने के लिए पटेल ने अपने प्रेस कार्यालय में नए नेता विलियम हेग के लिए काम करने के लिए एक पद की पेशकश की, जो लंदन और इंग्लैंड के दक्षिण पूर्व में मीडिया संबंधों से संबंधित था। 2000 में, 27 वर्ष की आयु में, प्रीति पटेल ने कंसर्वेटिव पार्टी को छोड़ दिया, जो कि पीआर कंसल्टिंग फर्म वेबर शैंडविक के लिए काम करती थी। 2005 के आम चुनावों में वह नॉटिंघम उत्तर के लिए कंजर्वेटिव उम्मीदवार के रूप में खड़ी थीं, जो लेबर सांसद ग्राहम एलेन से हार गईं थीं।
2005 के आम चुनाव में नॉटिंघम नॉर्थ से असफल रूप से लड़ने के बाद, पटेल को नए पार्टी नेता डेविड कैमरन द्वारा एक आशाजनक उम्मीदवार के रूप में पहचाना गया था, और कंजर्वेटिव संभावित संसदीय उम्मीदवारों (पीपीसी) के ‘ए-लिस्ट’ पर जगह दी गई थी मई 2015 के आमचुनाव में – कंजर्वेटिव जीत – पटेल ने 27,123 वोटों के साथ अपनी संसदीय सीट बरकरार रखी।
दो साल पहले एक विवाद के बाद प्रीति पटेल को टरीजा मे सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था। दरअसल, नवंबर 2017 में प्रीति ने निजी यात्रा के दौरान इजरायल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू और अन्य इजरायली अधिकारियों से मुलाकात की थी पर इसकी जानकारी उन्होंने ब्रिटिश सरकार या इजरायल में ब्रितानी दूतावास को नहीं दी थी। इसको लेकर हुए विवाद के बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री के पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, दो साल बाद अब उन्होंने जबर्दस्त वापसी की है। प्रीति पटेल को भारत समर्थक नेता के तौर पर देखा जाता है और उम्मीद जताई जा रही है कि नई सरकार के गठन के बाद भारत के भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर नकेल कसे जाने की सम्भावना है।