भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद अमेरिका ने कहा था कि वो जम्मू कश्मीर में घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है। साथ ही उसने सभी पक्षों से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील की थी। अब आखिरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा मान लिया है। ट्रंप ने कहा है कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के मुद्दे पर किसी तरह की मध्यस्थता नहीं करेंगे। अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला ने ये जानकारी दी है कि ट्रंप ने पहले मध्यस्थता का ऑफर दिया था ,लेकिन भारत के कड़े रुख के बाद ट्रंप ने पलटी मार ली है।
इससे पहले ट्रंप ने 22 जुलाई को दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को कहा था। अमेरिकी राष्ट्रपति का दावा था कि पीएम मोदी और उन्होंने पिछले महीने जापान के ओसाका में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की थी, जहां पीएम मोदी ने उन्हें कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की पेशकश की थी। ट्रंप ने कहा कि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर है कि वह इस मसले पर अमेरिका का सहयोग चाहते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि मोदी और इमरान शानदार लोग हैं। अगर वो चाहते हैं कि पिछले काफी समय से चले आ रहे इस गंभीर मसले पर कोई हस्तक्षेप करे तो हम तैयार हैं। हालांकि भारत ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया था, वहीं पाकिस्तान ने उनके बयान का स्वागत किया था।
भारत का कश्मीर पर हमेशा से रुख स्पष्ट रहा है कि यह एक आंतरिक मुद्दा है, जिस पर किसी तीसरे देश की दखल स्वीकार नहीं की जाएगी।जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दुनिया के सामने मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा को किसी देश में तवज्जो नहीं मिल रही है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी चीन दौरे पर मदद मांगने गए थे, लेकिन वहां भी पाकिस्तान को निराशा ही हाथ लगी है।
इमरान के आरोपों के बाबजूद जम्मू-कश्मीर में हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। श्रीनगर में शनिवार और रविवार बकरीद की जमकर खरीदारी हुई, राज्य में लोग बकरीद परंपरागत हर्ष और उल्लास से मना सकें इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कई कोशिशें की हैं।
भारत को दुनिया के कई देशों से जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसला का समर्थन मिल चुका है। इस फैसले पर भारत का समर्थन रूस ने भी किया है ।रूस ने साफ शब्दों में कहा कि जम्मू और कश्मीर को दो भागों में विभाजित और केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला संविधान के अनुसार ही लिया गया था। रूस ने कहा था, मॉस्को को उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर राज्य पर भारत द्वारा लिए गए फैसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में वृद्धि नहीं होगी।