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  •        प्रियंका यादव

 

तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से विश्व एक बार फिर दहल गया है। इसकी तीव्रता 7.6 थी। इस महाविनाशकारी भूकंप में अब तक करीब 18 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है जबकि 30 हजार से अधिक लोग घायल हैं, वहीं एक सवाल जो मन में आता है वह यह है कि ‘भारत भूकंप के प्रति कितना संवेदनशील है?’ सरकार के अनुसार भारत का लगभग 59 प्रतिशत भू-भाग अलग-अलग तीव्रता के भूकंपों के प्रति संवेदनशील है। आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहर और कस्बे जोन-5 में हैं और यहां सबसे ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप का खतरा है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भी इसमें शामिल है

गत सप्ताह तुर्की और सीरिया में एक बार फिर 7.6 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप का केंद्र तुर्की के कहारनमारश में था। इस महाविनाशकारी भूकंप में अब तक करीब 18 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है जबकि 30 हजार से अधिक लोग घायल हैं। लोगों की मदद के लिए अन्य देशों से राहत सामग्री भेजी जा रही है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आपदा में भारत की तरफ से हर संभव मदद की घोषणा की है। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद पीएम के प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने तत्काल राहत उपायों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक कर भारत की तरफ से विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉग स्क्वॉड और आवश्यक उपकरणों के साथ 100 कर्मियों वाली एनडीआरएफ की दो टीमें खोज और बचाव कार्यों के लिए प्रभावित क्षेत्रों में भेज दी हैं।

दरअसल, तुर्की के पूर्व में स्थित गजनीतेप प्रांत के नूरदागी में 6 फरवरी को भूकंप आया। अमेरिकी भू-भर्गीय सर्वेक्षण के मुताबिक भूकंप के बाद मध्य तुर्की में काफी देर तक झटके महसूस किए गए। पहले भूकंप के बाद 6.7 की तीव्रता वाला एक और भूकंप आया, जो 9.9 किलोमीटर दूर था। यह भूकंप 11 मिनट बाद ही आया। तीव्रता के आधार पर मरने वालों की संख्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। तुर्की के अलावा भूकंप से सीरिया, इजरायल, लेबनान, इराक, इजरायल, फिलीस्तीन, साइप्रस तक में झटके महसूस किए गए। गौरतलब है कि तुर्की दुनिया के सबसे ज्यादा सक्रिय भूकंप के इलाकों में से एक है। इससे पहले तुर्की में वर्ष 1999 में 7.4 तीव्रता के भूकंप से इस्तांबुल में लगभग 17 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। एक्सपर्ट लंबे समय से चेतावनी देते आ रहे हैं कि एक बड़ा भूकंप इस्तांबुल को तबाह कर सकता है, क्योंकि वहां सुरक्षा सावधानियों के बिना बड़े पैमाने पर निर्माण की मंजूरी दी गई है।

इन सबके बीच एक सवाल जो मन में आता है वह यह है कि ‘भारत भूकंप के प्रति कितना संवेदनशील है?’ सरकार के अनुसार भारत का लगभग 59 प्रतिशत भू-भाग अलग-अलग तीव्रता के भूकंपों के प्रति संवेदनशील है। आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहर और कस्बे जोन-5 में हैं और यहां सबसे ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप का खतरा है। यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भी जोन-4 में है, जो दूसरी सबसे ऊंची श्रेणी है।

इन राज्यों में भूकंप का सबसे अधिक खतरा
जोन 5 में गुजरात, हिमाचल प्रदेश, बिहार, असम, मणिपुर, नागालैंड, जम्मू और कश्मीर और अंडमान और निकोबार शामिल हैं। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी देश में और आस-पास भूकंप की निगरानी के लिए नोडल सरकारी एजेंसी है। देश भर में राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क है, जिसमें 115 वेधशालाएं हैं जो भूकंपीय गतिविधियों पर नजर रखती हैं।

हिमालय में जोखिम
मध्य हिमालयी क्षेत्र दुनिया में सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है। 1905 में हिमाचल का कांगड़ा एक बड़े भूकंप से प्रभावित हुआ था। 1934 में बिहार-नेपाल में भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 8.2 मापी गई थी और इसमें 10 हजार लोग मारे गए थे। वर्ष 1991 में उत्तरकाशी में 6.8 तीव्रता के भूकंप में 800 से अधिक लोग मारे गए थे। 2005 में कश्मीर में 7.6 तीव्रता के भूकंप के बाद इस क्षेत्र में 80 हजार लोग मारे गए थे।
भूकंपविज्ञानी के मुताबिक 700 से अधिक वर्षों से इस क्षेत्र में विवर्तनिक तनाव रहा है जो अभी या 200 वर्षों के बाद जारी हो सकता है, जैसा कि 2016 में अध्ययनों से संकेत मिलता है। इसका मध्य हिमालय पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा। यह भूकंप इंडो-ऑस्ट्रेलियाई और एशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के बीच टक्कर है, जिन्होंने पिछले पांच करोड़ वर्षों में हिमालय के पहाड़ों का निर्माण किया है।

इन देशों में आ चुका है विनाशकारी भूकंप
चिली : वर्ष 1960 में अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप है। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 9.5 मापी गई। इस जलजले की वजह से सुनामी आ गई थी जिसने कई देशों में जबरदस्त तबाही मचाई। जापान, फिलीपींस से लेकर न्यूजीलैंड तक, कई देशों में इसका असर देखने को मिला था। इसे आज भी ग्रेट चिलियन भूंकप कहा जाता है। इस शहर की आबादी ज्यादा नहीं थी लिहाजा यहां मरने वालों की तादाद ज्यादा नहीं रही। जो कुछ माना गया उसमें मरने वालों की संख्या 1000 से लेकर 6000 के बीच रखी गई। अलग-अलग स्रोतों का दावा अलग रहा। अलबत्ता नुकसान खासे बड़े पैमाने पर जरूर हुआ लेकिन सबसे बड़ी बात इसकी इतनी ज्यादा तीव्रता को लेकर रहा, जो आज भी करीब अविश्वसनीय-सी लगती है।
अमेरिका : वर्ष 1964 में 9.3 की तीव्रता वाले भूकंप के ये झटके अमेरिका के अलास्का में महसूस किए गए थे। अलास्का के आस-पास के इलाके भी इसके जद में आए थे। भूकंप से ज्यादा तबाही सुनामी ने मचाई थी। उत्तरी अमेरिका में भूकंप के बाद आए सुनामी की वजह से भी कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इसे उत्तरी अमेरिका में अब तक का सबसे घातक भूकंप माना जाता है। बताया जाता है कि उस दिन लगातार 4 मिनट तक अलास्का में धरती हिली थी।
जापान : 11 मार्च 2011 में भूकंप की तीव्रता 9 से आए इस जलजले ने जापान के फुकुशिमा में आए भूकंप में 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। बताया जाता है कि भूकंप के बाद आए सुनामी की वजह से 5 लाख से ज्यादा लोगों पर सीधा असर पड़ा था। लहरों में 3 लाख से ज्यादा इमारतें बह गई थीं। कई लोग बेघर हो गए थे। जापान ने इससे पहले कभी इतने जोरदार झटके महसूस नहीं किए थे। हालांकि इससे पहले भी भूकंप के बाद उठे सुनामी ने जापान को अपना निशाना बनाया था।
इंडोनेशिया : वर्ष 2004 में सुमात्रा में आए भूकंप के बाद इस भूकंप की तीव्रता 8.6 थी। हालांकि भूकंप का केंद्र जमीन के काफी नीचे होने की वजह से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन इसमें भी कई लोगों के घर तबाह हो गए। इसके बाद साल 2022 में भी इंडोनेशिया में आए भूकंप ने कई लोगों की जान ले ली थी। हालांकि नवंबर 2022 में आए भूकंप की तीव्रता 5.6 ही मापी गई थी।
नेपाल : 2015 में नेपाल की राजधानी काठमांडू में आए भूकंप की तीव्रता 8.1 मापी गई थी। इसमें 8 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। तब रूक-रूककर कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में भी झटके महसूस किए गए। भारत में सबसे ज्यादा नुकसान बिहार और पश्चिम बंगाल में हुआ। नेपाल के सीमा से सटे होने की वजह से यहां जोरदार झटके महसूस किए गए थे।
भारत : गुजरात के भुज में वर्ष 2001 में आए 7.7 की तीव्रता वाले भूकंप ने लाखों घरों को तबाह कर दिया था। इसमें 20 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। यह भारत में आए सबसे ज्यादा विनाशकारी भूकंप में से एक है। आंकड़ों के अनुसार इस जलजले से कच्छ और भुज में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग घायल हुए थे और 4 लाख से ज्यादा मकान मलबे में तब्दील हो गए थे।

पाकिस्तान : अक्टूबर 2005 में पाकिस्तान के क्वेटा में आए 7.6 की तीव्रता के भूकंप में 75 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। घायलों की संख्या भी 80 हजार के पार थी। आंकड़े बताते हैं कि इस विनाशकारी प्रलय में 2 लाख से ज्यादा लोग बेघर हुए थे। पाकिस्तान में इससे पहले ऐसी भीषण आपदा नहीं आई थी।

हैती : वर्ष 2010 में आए इस भूकंप की तीव्रता 7 थी लेकिन इसमें 1 लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। सबसे ज्यादा तबाही हैती की राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस में मची थी।
आस-पास के इलाके भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए थे। आज तक यहां रहने वाले लोग इस सदमे से उभर नहीं पाए हैं। बताया जाता है कि इस भूकंप के बाद 50 से ज्यादा ऑफ्टर शॉक्स महसूस किए गए थे।

कैसे आता है भूकंप
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकराना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।

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