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भविष्य में पानी की समस्या से जुझेंगे तीन अरब लोग

संयुक्त राष्ट्र संघ की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भविष्य में करीब तीन सौ करोड़ लोग पानी की समस्या से जूझेंगे। संयुक्त राष्ट्र द्वारा दावा किया जा रहा है कि अगर हालातों में जल्द से जल्द सुधार नहीं हुआ तो वर्ष 2050 तक तीन सौ करोड़ लोग ऐसे होंगे जो पानी के लिए त्राहि -त्राहि करेंगे। लोगों के पास पीने योग्य पानी नहीं होगा। एक विस्तृत अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं का कहना है कि भविष्य में नदियां इतनी दूषित हो चुकी होंगी कि उनका पानी इंसान और वन्य जीवों के लिए घातक होगा।

 

संयुक्त राष्ट्र की जलवायु विज्ञान पर काम करने वाली समिति द्वारा 6 फरवरी को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल में कम से कम एक महीना ऐसा होता है जब दुनिया की लगभग आधी आबादी जल संकट का सामना कर रही होती है। बढ़ती मांग और ग्लोबल वॉर्मिंग वैश्विक स्तर पर पानी की सप्लाई के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि जिन इलाकों में पानी का संकट पैदा हो रहा है, वहां नाइट्रोजन प्रदूषण एक बड़ी समस्या के रूप म विद्यमान है।

 

वेजनिंगनग यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च द्वारा हुई रिसर्च के मुख्य शोधकर्ता मेंगरू वांग के कहने अनुसार आमतौर पर लोग पानी की कमी के बारे में ज्यादा परेशान होते हैं कि समुचित पानी उपलब्ध है या नहीं। लेकिन जल प्रदूषण एक लगातार बढ़ती समस्या है जिसके कारण पानी कुदरत और इंसानों के लिए असुरक्षित हो रहा है। मानव गतिविधियों के चलते बड़े पैमाने पर नाइट्रोजन, पैथोजन्स, केमिकल्स और प्लास्टिक पानी के ससाधनों को प्रदूषित कर रहे हैं। खासतौर पर खेती में इस्तेमाल होने वाली खाद जल स्रोतों में काई जमा करती है जिससे ना सिर्फ जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है बल्कि पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

बढ़ता प्रदूषण

 

नेचर कम्यूनिकेशंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए लेख मुताबिक शहरी आबादी और आर्थिक गतिविधियों के लिए पानी मुख्य स्रोत हैं। इस शोध के शोधकारों ने पाया है कि नदी बेसिन की छोटी ईकाइयां, जिन्हें सब-बेसिन कहा जाता है, वे 2010 के अनुमान से दो गुना ज्यादा मात्रा में पानी की कमी का सामना कर रही हैं और आने वाले समय में यह स्थिति और खराब हो सकती है। जब नाइट्रोजन प्रदूषण के आधार पर आकलन किया गया तो पाया गया कि 2010 में 2,517 लोगों के यहां पानी की कमी हो रही थी। पारंपरिक माध्यमों से किए गए आकलन से यह संख्या सिर्फ 984 थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि जल प्रदुषण को रोका जा सकता है और उसे बेहतर भी बनाया जा सकता है। इसके लिए ज्यादा सक्षम खाद का इस्तेमाल करना होगा और शाकाहार को प्रोत्साहित करना होगा और अधिकतर वैश्विक आबादी को जल संसाधन की सुविधाओं से जोड़ना होगा।

 

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