श्रीलंका का सरकार ने कोरोना वायरस से मृत्यु होने पर शवों का अंतिम संस्कार अनिवार्य करने के लिए कानून में संशोधन किया है। वहीं दूसरी तरफ इस कानून को लेकर मुस्लिम समुदाय ने नराजगी जताई है। श्रीलंका सरकार में स्वास्थ्य मंत्री पवित्रा वन्नियाराच्ची की तरफ से जारी राजपत्र के अंतर्गत बताया है कि मुस्लिम समुदाय के विरोध प्रदर्शन के बाद भी नए कानून को मंजूरी दी गई है।
जानकारी के मुताबिक श्रीलंका में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। श्रीलंका में अभी तक 200 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। जिनमें से सात लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है। मरने वालों लोगों में तीन मुसलमान भी शामिल है। सरकार की ओर से 11 अप्रैल को जारी किए राजपत्र में कहा गया था कि जिस किसी व्यक्ति की मृत्यु कोरोना वायरस से होने की आशंका है उसका अंतिम संस्कार किया जाना अनिवार्य है। साथ ही श्रीलंका की स्वास्थ्य मंत्री द्वारा कहा गया है कि मृतक के शरीर को 400 से 1200 डिग्री सेल्सियस के मध्य तापमान में न्यूनतम 45 मिनट से एक घंटे तक जलाया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि शवों का दाह संस्कार कब्रिस्तान या अधिकारियों द्वारा बताए गए स्थान पर ही किया जाएगा। बदले हुए कानून के अनुसार, शव के पास केवल वहीं व्यक्ति जा पाएगा जो शव का अंतिम संस्कार करने लिए अनिवार्य शर्तों को पूरा करेगा। लेकिन श्रीलंका के इस कानून से मुस्लिम पक्ष बेहद नाराज है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की तरफ से कोविड-19 के प्रभाव को रोकने के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। इसके अलावा कोरोना से प्रभावित मरीजों की मृत्यु होने पर शवों को आइसोलेशन रूम या किसी क्षेत्र में इधर-उधर लेकर जाने के लिए एक अभेद्य बॉडी बैग का प्रयोग करना होगा और शवों को पूरी तरह से सील करना होगा ताकि शवों के फ्लूइड्स की लीकेज से बचाव किया जा सके।