शारीरिक विकलांगता मनुष्य के साहस और जज्बे के आगे घुटने टेक देती है। यह केवल शब्द मात्र नहीं बल्कि ऐसे सैकड़ों उदाहरण हमारे आस-पास हैं जहां अपने साहस और लगन से अपनी शारीरिक कमी को कोसों दूर धकेल ऐसों ने समाज के सामने एक मिसाल कायम की हैं इस बार दो ऐसे ही शूरवीरों की बात।
बच्चों के बीच राइटिंग कांपटीशन होना और किसी प्रतिभाशाली बच्चे का जीता जाना एक आम बात है, लेकिन अगर कोई बिना हाथ वाला बच्चा इस कांपटीशन को जीत जाए तो यह सबके लिए एक चैंकने वाली बात होगी।
दरअसल अमेरिका के राज्य मैरीलैंड में रहने वाली सारा हिनेस्ले के जन्म से ही हाथ नहीं है। 10 साल की सारा सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई जब उन्होंने 2019 कर्सिव ‘राइटिंग निकोलस मैक्सिम अवार्ड जीता’ और सबके लिए एक मिसाल की तरह सामने आई।
सारा मैरीलैंड के सेंट जाॅन्स कैथलिक स्कूल में पढ़ती है। वहां यह ग्रेड में है उनकी टीचर का कहना है कि सारा किसी भी काम के लिए कभी न नहीं कहती है। उसे जो काम दिया जाता है वह उसे बेस्ट करने का प्रयास करती है। यही लगन उनकी सफलता का कारण भी है।
सारा के पास भले बचपन से हाथ न हो लेकिन वह अपनी बाजू से इतना खूबसूरत लिखती हैं जैसे कोई आर्टवर्क हो।
भले ही सारा के पास और लोगों की तरह हाथ नहीं है लेकिन वह आत्मविश्वास से पूर्ण है सारा उनके लिए उदाहरण है जो अपनी पूर्णता के साथ भी किस्मत को दोष देते रहते है। और यह उनकी काबिलियत से साफ झलकता है। इसी प्रकार अपने मुल्क में यूपीएससी (सिविल सर्विस एग्जाम) की तैयारी करने वाले सभी छात्रों के लिए इरा सिंघल एक मिसाल बन चुकी है। इरा सिंघल विकलांग होने के बावजूद भी यूपीएससी 2014 की जनरल कैटेगरी से टाॅप करने वाली देश की पहली महिला प्रतिभागी है। उन्होंने अपने आत्मविश्वास से साबित किया कि अगर जुनून और जज्बा हो तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको अपनी मंजिल हासिल करने से रोक नहीं सकती।
इरा ने 2010 में सिविल सर्विस एग्जाम दिया था और तब उन्हें 815वीं रैंक मिली थी लेकिन विकलांगता के कारण उन्हें पोस्टिंग नहीं दी गई थी फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के केस दायर कर दिया। वर्ष-2014 में केस जीतने के पश्चात उन्हें हैदाराबाद में पोस्टिंग दी गई। इसी दौरान उन्होंने अपनी रैंक सुधारने का प्रयास भी जारी रखा अंत में उन्होंने सिविल सर्विस एग्जाम की जनरल कैटेगरी में टाॅप किया।
उत्तर प्रदेश में जन्मी इरा लगभग 28 सालों से दिल्ली में रह रही है। वो अपनी लाइफ में कुछ ऐसा करना चाहती थी जिससे दूसरों का जीवन बदलें। इसके लिए उन्होंने नेताजी सुभाष इंस्टियूट आॅफ टेक्टोलाॅजी से कंप्यूटर इजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद फैकल्टी आॅफ मैनेजमेंट वह से एमबीए किया था। इसके लिए उन्होंने कैडबरी इंडिया लिमिटेड और कोका कोला कंपनी में कुछ सालों तक जाॅब भी कर चुकी है। इरा स्कोलियोसिस से पीड़ित है, जिसकी वजह से उनकी रीड़ की हड्डी प्रभावित है। लेकिन इरा ने इसे कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। वर्तमान में वह उत्तरी दिल्ली नगर निगम में उपायुक्त के पद पर कार्यरत है और एक मिसाल के तौर पर देखी जा रही है।