विश्व इस समय कोरोना की मार झेल रहा है। सभी देश अपने अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वहीं ऐसे समय में अफगानिस्थान दोहरी मार झेल रहा है। यहां पहले ही आतंकवाद एक बड़ी समस्या है वहीं अब कोरोना वायरस ने देश की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि अब अफगानिस्तान में कोरोना मरीजों को वेंटिलेटर तक नसीब नहीं हो पा रहे हैं। इस समय देश में केवल 400 वेंटिलेटर ही मौजूद हैं।
लेकिन देश की इस परेशानी में एक मिसाल बनकर सामने आई है यहाँ की बेटियां। जी हाँ बेटियां जो अपनी देशभक्ति का परिचय वेंटिलेटर बना कर दे रही हैं। देश संकट की घडी में हैं लेकिन ये बेटियां एक उम्मीद की किरण की तरह आशा जगा रही है। सबसे अलग और गौर करने लायक बात तो यह है कि यह लड़कियां कार के पुर्जों से वेंटिलेटर तैयार कर रही है। इसी कारण देश में इन्हें लोग ‘रोबोटिक्स गर्ल्स गैंग’ कहकर सम्बोधित कर रहे हैं।
कार और बाइक के पुर्जों से बनाया वेंटिलेटर
कोरोना योद्धा बेटियों द्वारा टोयोटा कोरोला ब्रांड की कार का मोटर और होन्डा मोटरसाइकिल की चेन ड्राइव का इस्तेमाल अपने वेंटिलेटर में किया जा रहा है। इनका कहना है कि अच्छे स्तर के वेंटिलेंटर उपलब्ध न होने पर उनका वेंटिलेटर इमरजेंसी में सांस की तकलीफ से जूझ रहे मरीजों को तुरंत राहत दे सकेगा।
इस समूह की मुख्य सदस्य सोमाया फारुकी ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वह इस टीम की सदस्य हैं। हम जो काम कर रहे हैं वो हमारे हीरो डॉक्टर और नर्स का सहयोग कर रहा है। वर्तमान में मार्केट में वेंटिलेटर की कीमत 22 लाख से 37 लाख रुपये के तक है। जो ज्यादातर गरीब देशों के लिए खरीद पाना संभव नहीं। इसलिए हमारा लक्ष्य है कि हम 45 हजार रुपये से भी कम कीमत में वेंटिलेटर उपलब्ध करा सके।
समूह की फाउंडर रोया महबूब है जो खुद भी बिजनेस वुमन हैं। साथ ही वह टाइम मैग्जीन की 100 प्रेरित करने वाले लोगों की लिस्ट में जगह बना चुकी हैं। उनका कहना है कि मई के अंत तक लोगों की मदद के लिए इन्हें डिलीवर करना शुरू कर दिया जाएगा। 70 प्रतिशत तक यह तैयार हो चुके हैं। बस इनमें अब एयर सेंसर लगना शेष है। पहला चरण खत्म हो चुका है और अब दूसरे चरण का काम जोरों पर है।
देश में सिर्फ 400 वेंटिलेंटर ही मौजूद
दरअसल, अफगानिस्तान की आबादी तीन करोड़ 90 लाख है और आबादी के मुकाबले यहाँ वेंटिलेंटर मौजूद नहीं हैं। यहाँ सिर्फ 400 वेंटिलेंटर ही हैं। लेकिन जो वेंटिलेटर लड़कियों की ओर से बनाए जा रहे हैं। उसे किसी को भी कम कीमत पर उपलब्ध कराया जा सकेगा। अफगानिस्तान की लड़कियों के इस समूह को ‘अफगान ड्रीमर्स’ कहा जाता है। अमेरिका ने साल 2017 में इन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया था।
इन लड़िकयों का लक्ष्य है कि मई के अंत तक वह बाजार में कम मूल्य पर देश को अधिक से अधिक वेंटिलेंटर उपलब्ध करा सके। इस समूह में शामिल सभी लड़कियों की उम्र 14 से 17 साल के बीच है। समूह की एक 17 वर्षीय सदस्य नाहिदी रहीमी का कहना है कि इस समय उनके लिए एक-एक जिंदगी बचाना बड़ी बात है और प्राथमिकता भी।
इस समय अफगानिस्तान के हालात बेहद खराब हैं क्योंकि यह देश ईरान से बेहद करीब है, जो खुद महामारी का केंद्र है। अब तक अफगानिस्तान में कोरोना वायरस के 7,650 मामले सामने आ चुके हैं और 178 लोग अपनी जान गँवा चुके हैं। जिसकी एक वजह इस देश की ख़राब चिकित्सा व्यवस्था को भी माना जाता है।