सुनक ने कहा कि ब्रिटेन में कई बेहतरीन यूनिवर्सिटी हैं और वहां से डिग्री लेना काफी फायदेमंद है, लेकिन कई संस्थान ऐसे भी हैं जो युवाओं को झूठे सपने बेच रहे हैं। ऐसे संस्थान करदाताओं के खर्च पर युवाओं को घटिया पाठ्यक्रम प्रदान कर रहे हैं।
उनका कहना है कि बेकार कोर्सों से देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है। इसलिए हम कौशल प्रशिक्षण के प्रावधान को बढ़ावा देने के लिए काम करेंगे। इसके साथ ही शिक्षा विभाग को यह भी निर्देश दिया जाएगा कि पाठ्यक्रमों में अच्छे परिणाम नहीं देने वाले विद्यार्थियों की संख्या सीमित की जाए। ब्रिटेन के शिक्षा मंत्री गिलियन कीगन ने कहा कि छात्रों और करदाताओं को उम्मीद है कि उनका निवेश बर्बाद नहीं होगा।
एग्रीकल्चर, आर्ट्स, ऑनर्स जैसे विषयों में सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रिटेन में 10 में से 3 ग्रेजुएट्स को अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है। वहीं, हायर एजुकेशन स्टैटिस्टिक्स एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में एग्रीकल्चर, आर्ट्स, ऑनर्स जैसे विषयों में सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट के मामले देखे गए हैं।
सरकार की ओर से ऐसी कोई सूची जारी नहीं की गई है कि कौन से कोर्स बंद करने की तैयारी है, लेकिन सरकारी सूत्रों ने यह साफ कर दिया है कि इस नई नीति से आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज के कोर्सेज को कोई नुकसान नहीं होगा।
उम्मीद है कि जल्द ही पाठ्यक्रमों की घोषणा की जाएगी। यूके सरकार जल्द ही एक नया डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च करेगी। जहां युवाओं को टी लेवल (तकनीकी आधारित योग्यता) से लेकर स्किल बूटकैंप और जरूरी कोर्स की जानकारी एक ही जगह पर मिल सकेगी।
सुनक ने कहा है कि जीवन में सफल होने के लिए आपको यूनिवर्सिटी जाने की जरूरत नहीं है। कई लोगों के लिए, विश्वविद्यालय में पढ़ाई ही सब कुछ है, लेकिन ऐसे लोग भी हैं जिन्हें वर्तमान शिक्षा प्रणाली ने निराश किया है। हालांकि, वहां की लेबर पार्टी प्रधानमंत्री के बयान की आलोचना कर रही है। उनके मुताबिक इससे युवाओं की आकांक्षाओं पर अंकुश लगेगा ।