कोरोना वायरस को रोकने के लिए प्रत्येक देश लॉकडाउन की तरफ बढ़ रहा है। महामारी को मात देने के लिए कई तरह की वैक्सीन बाजारों में चुकी है। लेकिन संक्रमण रुकने की बजाय और तेजी से बढ़ रहा है। जिन देशों में कोरोना के संक्रमितों की संख्या ज्यादा है, वहां पूरी सख्ती के साथ लॉकडाउन लगाया जा रहा है, जिस देश में संक्रमितों की संख्या कम है, वहां लॉकडाउन में कुछ ढील दी गई है। तुर्की में कोरोना के मामलों में दिन प्रति दिन इजाफा हो रहा है। बढ़ते मामलों को देखते हुए तुर्की सरकार ने लॉकडाउन को लेकर कुछ अलग ही नियम बनाए है।
कोरोनावायरस से निपटने में अलग राह पर चलते हुए तुर्की ने वीकेंड पर लॉकडाउन लगाया जबकि सप्ताह भर स्टे-होम के तहत केवल बच्चों और बुजुर्गों के घर से बाहर निकलने पर रोक लगी रही। ऐसे में वीकेंड पर लॉकडाउन और आयु-विशेष प्रतिबंधों के जरिए तुर्की ने कोरोना से लड़ाई में नया प्रयोग किया। इसी तरह कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए तुर्की की सरकार ने वीकेंड पर लॉकडाउन और आयु के आधार पर प्रतिबंध लगाया है। ताकि कोरोना संक्रमण को रोका जा सके।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की ने पिछले हफ्ते ही लॉकडाउन लगाया है। तुर्की की 31 प्रांतो में 48 घंटे का कर्फ्यू लगाया था। इस घोषणा के बाद लोगों में हडकंप मच गया था। जिसके कारण लोग घरेलू सामान खरीदने के लिए दुकानों में लाइन लगा कर खड़े है। इस हडकंप के बाद तुर्की के राष्ट्रपति तैयब अर्दोगन ने जनता से अपील की है कि वह अपने घरों में ही रहे, तुर्की की सरकार अपने लोगों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। साथ ही राष्ट्रपति ने अगले सप्ताह के लॉकडाउन का पहले ही ऐलान कर दिया।
कोरोनावायरस को लेकर तुर्की कड़े प्रतिबंध का इस्तेमाल नहीं कर रहा है. सरकार लोगों से स्टे-होम और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील कर रही है। वहीं स्टे-होम पॉलिसी के तहत केवल 20 साल से कम और 60 साल से ऊपर की उम्र के लोगों पर ही बाहर निकलने पर प्रतिबंध है। कई जानकार तुर्की के ‘लॉकडाउन मॉडल’ और आयु-विशेष प्रतिबंध को सही मानते हैं। उनका कहना है कि ऐसे लोग जिनकी संक्रमण के चपेट में आने की ज्यादा आशंका है वो लोग घर में रहें और बाकी लोग जरूरी सुरक्षा के कदम उठा कर अपने काम से घर से बाहर निकल सकते हैं।