संयुक्त राष्ट्र अमेरिका इस वर्ष के अंत में अपना नया राष्ट्रपति चुनेगा। वर्तमान में अमेरिकी सत्ता के शीर्ष पर डेमोक्रेट पार्टी का कब्जा है और उसके नेता जो बाइडन राष्ट्रपति हैं। डोनाल्ड ट्रम्प दोबारा से राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी बतौर अपनी दावेदारी न केवल पेश कर चुके हैं, बल्कि अमेरिकी चुनाव व्यवस्था अनुसार बतौर रिपब्लिकन पार्टी प्रत्याशी एक राज्य आयोवा में जीत भी दर्ज करा चुके हैं। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों की हरेक राज्य में अपने-अपने दल के प्रत्याशियों संग प्रतिस्पर्धा में भाग लेना होता है। सबसे अधिक राज्यों में जीत दर्ज कराने वाला प्रत्याशी ही राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ता है। रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से 6 नेताओं ने मुख्य तौर पर राष्ट्रपति प्रत्याशी बनने का दावा किया था। इनमें डोनाल्ड ट्रम्प, रोनाल्ड डायोन, कोन डीसेन्टिल, निक्की हैली, विवेक रामास्वामी प्रमुख दावेदार थे। आयोवा में ट्रम्प की जीत के बाद विवेक रामास्वामी ने ट्रम्प का समर्थन करते हुए अपना नाम वापस ले लिया है। इससे पहले दो अन्य प्रत्याशी भी मैदान से बाहर हो गए थे। फ्लोरिडा प्रांत के गवर्नर डोनाल्ड डायोन शुरुआती चरण में ट्रम्प के सबसे मजबूत विरोधी बन उभरे थे लेकिन विवेक रामावामी द्वारा नाम वापस लेने के चंद दिनों बाद रोनाल्ड ने भी अपना नाम वापस लेते हुए ट्रम्प को सर्थन दे डाला है। अब रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से दो उम्मीदवार मैदान में हैें। भारतीय मूल की नम्रता निक्की रंधावा हैली जो वर्तमान में दक्षिण कैरोलाइना प्रांत की गवर्नर हैं, ट्रम्प को फिलहाल चुनौती देती नजर आ रही हैें।
डेमोक्रेट पार्टी में खलबली
बतौर रिपब्लिकन पार्टी उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प को आयोवा प्रांत में मिली जीत ने डेमोक्रेट पार्टी की चिंता में भारी इजाफा करने का काम किया है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ट्रम्प की आयोवा प्रांत में जीत के बाद दिए एक बयान में कहा है कि वे बेहद डरी हुई हैं क्योंकि उन्हें आशंका है कि ट्रम्प दोबारा राष्ट्रपति बन सकते हैं। कमला हैरिस ने एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में कहा कि ‘मुझे बहुत डर लग रहा, यही वजह है मैं देशभर का दौरा कर रही हूं . . . हम सभी को डरना चाहिए। हालांकि जब हम डरते हैं तो भागते नहीं हैं, बल्कि उसके खिलाफ लड़ते हैं।’
दरअसल, रिपब्लिकन पार्टी अमेरिकियों को यह संदेश देने का प्रयास कर रही है कि ट्रम्प का दोबारा राष्ट्रपति बनना उनके देश के लिए खासा घातक साबित हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन लगातार ट्रम्प की संभावित वापसी को लेकर जनता को चेता रहे हैं। उनका कहना है कि दो बार महाभियोग का सामना कर चुके ट्रम्प पर 91 आपराधिक मामले भी दर्ज है इसलिए उनका दोबारा राष्ट्रपति बनना अमेरिकी लोकतंत्र के लिए भारी खतरा बन सकता है।
ट्रम्प की उम्मीदवारी पर कानूनी पेंच
बतौर रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रम्प अपनी पार्टी के अन्य दावेदारों से आगे निकलते स्पष्ट नजर आ रहे हैं लेकिन दोबारा से राष्ट्रपति बनने की उनकी राह में अभी लंबी कानूनी लड़ाई बाकी है। अमेरिका के दो राज्यों ने उनकी दावेदारी पर बड़ा प्रश्न चिन्ह् लगाते हुए राष्ट्रपति पद के प्राथमिक मतदान प्रक्रिया में उन्हें भाग लेने से रोक दिया है। ट्रम्प को पहला झटका गत् दिसंबर में कोलोराडो राज्य की सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। 6 जनवरी 2021 को अमेरिकी संसद यूएस कैपिटल में ट्रम्प समर्थकों द्वारा उनके चुनाव हारने के बाद किए गए हमले को लेकर ट्रम्प की भूमिका पर प्रश्न उठाते हुए कोर्ट ने उन्हें राष्ट्रपति चुनाव के प्राथमिक मतदान में शामिल होने के लिए अयोग्य करार दे दिया है। इसके बाद एक अन्य प्रांत मेन के चुनाव आयोग ने भी संसद भीतर हमले के लिए ट्रम्प को जिम्मेदार ठहराते हुए उनको प्राथमिक चुनाव लड़ने से रोक दिया है। अब इन मामलों की सुनवाई अमेरिकी संघ की सुप्रीम कोर्ट में अगले माह होने जा रही है। ट्रम्प के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति की पात्रता का प्रश्न राज्यों की अदालतें तय नहीं कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में यह भी कहा गया है कि यदि कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रोका नहीं गया तो यह अमेरिकी इतिहास में पहली बार होगा कि न्याय पालिका ने एक प्रमुख पार्टी के उम्मीदवार को चुनने का अधिकार मतदाताओं से छीना होगा।
बहरहाल, ट्रम्प के चलते इस बार का अमेरिकी चुनाव खासा रोचक होता जा रहा है। अपनी विवादित कार्यशैली और उत्तेजक बयानों के चलते हमेशा चर्चाओं में रहने वाले डोनाल्ड ट्रम्प की राह में हालांकि अभी खासी अड़चनें बाकी हैं लेकिन तमाम विवादों और अड़चनों के बावजूद वे रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से सबसे मजबूत दावेदार बन उभर चुके हैं।